रांची(ब्यूरो)। यूजीसी एचआरडीसी रांची रांची विश्वविद्यालय रांची के तत्वाधान में आयोजित न्यूरो लिंग्विस्टिक पर केंद्रित रिफ्रेशर कोर्स के 12वें दिन चार व्याख्यान आयोजित हुए। पहला व्याख्यान साहित्यकार महादेव टोप्पो ने भारत में भाषाई विविधता और हिंदी भाषियों का दायित्व विषय पर दिया। उन्होंने कहा कि देश विदेश में भाषा संबंधी विशेषताएं मौजूद हैं। भारत में हिंदी भाषियों का अन्य भाषाओं से भाषाई बंधुत्व बढ़ाने के लिए आने वाली समस्याओं और मुद्दों पर सोचना आवश्यक है।
भाषा बचाने पर बल
अल्पसंख्यक भाषाओं को भी बचाने पर बल दिया ताकि उसके समुदाय के ज्ञान परंपरा और अनुभव मानव हित में बचा रहे। दूसरा व्याख्यान उज्जैन से जुड़े प्रोफेसर गीता नायक ने भाषा की अवाचिक परंपरा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा की भाषा वही नहीं है जो हम बोलते हैं, बल्कि उससे इतर वाचिक रूप में भी भाषाओं का अपना महत्व है। तीसरे सत्र में सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल से जुड़े डॉ सुनील कुमार द्विवेदी ने संज्ञानात्मक भाषा विज्ञान पर व्याख्यान दिया। सत्र का अंतिम व्याख्यान डॉ विक्रम जोरा का रहा। उन्होंने भाषाई विमर्श के आधार पर बच्चों एवं व्यस्त का उदाहरण देते हुए विस्तार से चर्चा की। इससे पहले आगंतुक अतिथियों का स्वागत प्रो सुरेश कुमार साहू एवं धन्यवाद ज्ञापन कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ जिंदर सिंह मुंडा ने किया। इस अवसर पर डॉ श्वेत निशा, नंदिनी बरूआ, कल्याण वसावा, शंभूनाथ सोरेन समेत सभी प्रतिभागी शामिल थे।