रांची(ब्यूरो)। रांची वीमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ शमशुन नेहार के निर्देशन में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एक की प्रोग्राम ऑफिसर डॉ कुमारी उर्वशी एवं कार्यकर्ताओं द्वारा संविधान दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम संविधान की प्रस्तावना का पाठ करते हुए संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। साथ ही पोस्टर तथा निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। अतिथि वक्ता पूर्व न्यायिक आयुक्त रामायण पांडेय ने बताया कि इस वर्ष यह दिवस 'भारत-लोकतंत्र की जननीÓ विषय पर मनाया जा रहा है। अभियान में लोगों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय ने दो वेब पोर्टल विकसित किए हैं।

22 आधिकारिक भाषा

इसमें सभी नागरिक 22 आधिकारिक भाषाओं और अंग्रेजी में संविधान की प्रस्तावना का ऑनलाइन पठन करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। भारत लोकतंत्र की जननी है। संस्कृति, भोजन, परिधान, संगीत और परंपराओं की विविधता हमारे लोकतंत्र को जीवंत बनाती है। दुनिया भर में लोकतंत्र की व्यवस्था भारत में तय पौराणिक व्यवस्था से ही लिया गया है। सत्य तो यह है कि भारत ने ही दुनियाभर को कई राहें दिखायी हैं। अनुभव मंटप जैसी लोक संसद जिसकी स्थापना एक सदी पहले कर्नाटक में विचारक-संत वसवेश्वर ने की थी। उनके द्वारा प्रतिपादित समतावादी सिद्धांतों को कालांतर में कई देशों की जनप्रतिनिधि संस्थाओं में समाहित किया गया। चोल साम्राज्य में प्रचलित मतदान प्रक्रिया भी एक उदाहरण है जिसके प्रमाण तमिलनाडु के कांचीपुरम से प्राप्त हुए हैं। उसमें प्रत्येक समुदाय को प्रतिनिधित्व प्राप्त था। उसमें प्रत्याशियों की एक प्रमुख अर्हता यह थी कि जो व्यक्ति अपनी संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा नहीं करेगा वह चुनाव में शामिल नहीं हो सकेगा।

लोकतंत्र के आठ प्रमुख लक्षण

भारत दुनिया का सबसे जीवंत और विशाल लोकतंत्र था। एक लोकतंत्र के आठ प्रमुख लक्षण होने चाहिए। पहला अभिव्यक्ति और अंत:करण की स्वतंत्रता का अधिकार। दूसरा धर्मनिरपेक्षता। तीसरा धर्म को राष्ट्र से विलग रखना। चौथा सरकार का गणतांत्रिक स्वरूप। पांचवां विधि के समक्ष समता का अधिकार। छठा लैंगिक समानता। सातवां प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण और आठवां सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार। ये आठों तत्व भारतीय संविधान में गहराई से समाहित हैं। इस प्रकार भारत लोकतंत्र की जननी है। संगोष्ठी एवं पोस्टर तथा निबंध प्रतियोगिता में 26 कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।