रांची (ब्यूरो): मांडर प्रखंड अंतर्गत बुढख़ुखरा स्थित खेल मैदान में आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट में कुल 32 टीमें शामिल होंगी। खेल प्रभारी फ्रांसिस जेवियर खलखो और अध्यक्ष मो साकिब ने बताया कि टूर्नामेंट में रजिस्ट्रेशन के लिए अंतिम तिथि 28 अगस्त है। प्रवेश शुल्क 4100/- रुपए है। रजिस्ट्रेशन फॉर्म के लिए बुढ़ाखुखरा स्थित प्रज्ञा केंद्र, फ्रांसिस जेवियर खलखो (मो- 96619 04995), मो। साकिब (मो- 95721 04027) और मो तारिक (मो-62017 90054) से संपर्क कर प्राप्त किया जा सकता है। टूर्नामेंट के विजेता को 51 हजार नगद रुपए व ट्रॉफी, उपविजेता को 31 हजार नगद रुपए व ट्रॉफी दिए जाएंंगे। साथ ही तृतीय स्थान पानेवाले को 11 हजार नगद रुपए व ट्रॉफी और चतुर्थ स्थाने पानेवाले को 10 हजार नगद रुपए व ट्रॉफी देकर पुरस्कृत किया जाएगा। इसके अलावा मैन ऑफ द मैच, मैच ऑफ द सिरीज होने वाले खिलाड़ी को भी सम्मानित किया जाएगा।

कमिटी का गठन

संचालन समिति की बैठक में एक कमेटी का गठन किया गया। इसमें संरक्षक-मो रशीद, राजू केवट, पते किस्पोट्टा (सेवानिवृत्त सैनिक), कैला खलखो, मारकुश खलखो, फागू महतो, मो मिस्टर, क्यामुद्दीन अंसारी, चमरा खलखो। वहीं सलाहकार- हुसने कुजुर, सीप खलखो, जान खलखो, एकराम मियां, प्रेम खलखो, अनिल खलखो, चेगड़े उरांव व मो। इकराम, खेल प्रभारी- फ्रांसिस जेवियर खलखो, अध्यक्ष- मो। शाकीब ऊर्फ छोटू, कार्यकारी अध्यक्ष- विनोद खलखो, उपाध्यक्ष- कृष्णा केवट, मुकेश खलखो, सचिव- आयता खलखो, सह सचिव- प्रदीप केवट व दुर्गा खलखो, कोषाध्यक्ष- पितरुस खलखो, मिडिया प्रभारी- सन्नी खलखो, रंजीत खलखो व लखो खलखो को मनोनीत किया गया। इसके अलावा सदस्य के रूप में तारिक अंसारी, रुंजा खलखो, मुकेश खलखो, मो। इरफान, मो। तौहिद, मो। गुफ्रान, मो। असलम, मो। राजा, मो। नौशाद, चुगुनु खलखो, इरिक कुजुर, अमित खलखो, विमल खलखो, प्रकाश खलखो, मोहन खलखो, दाउद खलखो, मो। रकीब, पाते खलखो रखा गया है।

22 वर्षों से हो रहा है टूनार्मेंट

शहीद एतवा उरांव स्मारक न्यास के तहत शहीद एतवा उरांव फुटबॉल टूर्नामेंट पिछले 22 वर्षों से मांडर प्रखंड के बुढ़ाखुखरा स्थित खेल मैदान में हो रहा है। शहीद एतवा उरांव को मरणोपरांत 1998 में राष्ट्रपति द्वारा सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया गया है। यह पदक अबतक झारखंड और बिहार में किसी को भी नहीं मिला है। उन्होंने जून 1996 में अपनी जान की परवाह किए बगैर कोयल नदी में आठ लोगों को बचाने के बाद शहीद हो गए थे।