साक्षी के साथ सात फेरों के बाद उन्होंने क्रिकेट के मैदान और उसके बाहर की दुनिया में ऊंचाइयों और बुलंदियों के जिस आसमां को छुआ है, वह वाकई इन्क्रेडिबल है। पिछले दो सालों में उनके करियर के ग्राफ में न सिर्फ जबर्दस्त उछाल आया, बल्कि उनके ख्वाबों के तमाम सितारे दामन में मानों मोती बनकर आ गिरे।

वर्ल्ड कप पर कब्जा, आईपीएल में चैंपियन के दो खिताब, टेस्ट में नंबर वन टीम के कैप्टन, क्रिकेट वर्ल्ड के बिगेस्ट ब्रांड, फोब्र्स से लेकर टाइम मैगजीन तक के तमगे, अर्निंग में वर्ल्ड के नंबर वन क्रिकेटर सहित शोहरत और कामयाबियों के जितने रिकॉर्ड उन्होंने पिछले दो सालों में रचे हैं, वह किसी परी-कथा से कम नहीं। बेशक इन उपलब्धियों के पीछे उनकी अपनी बेमिसाल प्रतिभा, अटूट संघर्ष, अथक मेहनत और अटूट लगन हैं, लेकिन जब कभी भी धौनी की इस परी-कथा के पन्ने खुलेंगे तो उनकी बेटर हॉफ साक्षी के लकी चार्म के तौर पर जिक्र के बगैर यह सक्सेस स्टोरी अधूरी ही मानी जाएगी।

महबूब की राह में बरसे बहारों के फूल

साक्षी के लेडी लक ने उनके महबूब यानी धौनी की राह में किस तरह बहारों के फूल बरसाए, इसके लिए थोड़ा फ्लैश बैक में चलना जरूरी है। 4 जुलाई 2010 को मीडिया की नजरों से दूर देहरादून में जब उन्होंने अपने बचपन की फ्रेंड साक्षी के संग शादी रचाई, तो उसके कोई दसेक दिन बाद ही उन्होंने सबसे बड़े ब्रांड डील पर साइन किया।

13 जुलाई, 2010 को रीति स्पोट्र्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और माइंड स्कोप कंपनी के साथ धौनी ने 210 करोड़ का डील किया। यह क्रिकेट वर्ल्ड के किसी भी स्टार का अब तक का सबसे बड़ा डील था। ब्रांड वैल्यू में वह मशहूर गोल्फर टाइगर वुड्स की बराबरी पर आ खड़े हुए। उन्होंने इस मामले में सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़ दिया।

ब्रांड के बादशाह, फोर्ब्स के स्टार

पिछले दो सालों में उनकी ब्रांड वैल्यू में किस तरह उछाल आया है, यह पिछले महीने फोब्र्स मैगजीन की ओर से जारी वल्र्ड के हाईएस्ट अर्निंग वाले प्लेयर्स की लिस्ट पर नजर डालने से ही साफ हो जाता है। धौनी इस लिस्ट में 31वें नंबर हैं, जबकि टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच (62), स्प्रिंट रनर उसैन बोल्ट (63), फुटबॉलर वेन रूनी और फर्नांडो टोरेस भी उनसे पिछड़ गए। सचिन तेंदुलकर को इस लिस्ट में 78वां स्थान मिला।

गैलरी में साक्षी, मैदान पर धौनी का तूफान

मैरिज के बाद क्रिकेट के मैदान पर धौनी को पहली कामयाबी तब मिली, जब उनकी कैप्टनशिप में 2010 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ वन डे और टेस्ट सीरिज में इंडिया ने जीत हासिल की। इसके बाद चैंपियंस लीग के मैचों में भी माही की अगुवाई वाली इंडियन क्रिकेट सेना ने अपनी बादशाहत का लोहा मनवाया, पर उनके लेडी लक का असली इम्तिहान तो 2011 का वर्ल्ड कप था।

फाइनल का मुकाबला हर किसी की जेहन में अब भी ताजा होगा। श्रीलंका के 274 रनों के खिलाफ इंडिया की शुरुआत बेहद कमजोर थी। सहवाग जीरो पर आउट हो चुके थे और थोड़ी देर बाद सचिन भी पवेलियन लौट गए थे। कोहली और गंभीर टीम के संकटमोचक बनकर उभरे, लेकिन इस बीच कोहली के आउट होते ही एक बार फिर निराशा के बादल गहराने लगे। याद कीजिए वह क्षण, जब धौनी मैदान पर उतरे। गैलरी में बैठीं साक्षी उनकी हौसला अफजाई करती रहीं और 79 बॉल में ताबड़तोड़ 91 रन बनाकर कैप्टन कूल ने वह इतिहास रच दिया, जिसका इंडिया को 27 सालों से इंतजार था।

जब हसीन हो गई दूसरी एनिवर्सरी की शाम

बेशक वर्ल्ड कप के बाद गुजरा साल क्रिकेट के मैदान में धौनी कुछ खास करिश्मा नहीं कर पाए। पहले इंग्लैंड, फिर आस्ट्रेलिया में करारी शिकस्त ने धौनी के फैंस को निराश जरूर किया, लेकिन इसे शायद लेडी लक का ही कमाल कहेंगे कि उनके करियर पर मंडराते बादल छंटते गए। बीसीसीआई ने उनपर अब भी अपना भरोसा कायम रखा है।

चार जुलाई की शाम जब धौनी और साक्षी शादी की दूसरी सालगिरह सेलिब्रेट कर रहे होंगे, उसी वक्त बीसीसीआई ने इंडिया-श्रीलंका वन डे सीरिज के लिए टीम का ऐलान किया और उम्मीदों के ही अनुरूप कप्तानी एक बार फिर साक्षी के साजन यानी धौनी को ही सौंपी गई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि साक्षी का लेडी लक आने वाले दिनों में धौनी के स्टारडम को और चमक देगा।

Report by Shambhu Nath Choudhary