गिरफ्त से आजाद हैं ये शूटर्स
लखन सिंह : हटिया हेसाग का रहनेवाला लखन सिंह राजकुमार धानुका मर्डर केस का मुख्य आरोपी है। लखन सिंह पर आरोप है कि उसने भोला पांडेय (मृत)के  इशारे पर ही राजकुमार धानुका हत्याकांड को अंजाम दिया था। कोर्ट में कोई गवाह नहीं मिलने के कारण कोर्ट से उसे कई कांडों में रिहा कर दिया था। जेल से छूटने के बाद लखन सिंह ने अपना गिरोह तैयार किया। गिरोह तैयार करने के बाद उसने क्षेत्र में बिजनेसमैन से रंगदारी उठानी और जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया था। एक माह पहले पुलिस ने उसे पकड़ा था, लेकिन वह हाजत से फरार हो गया। इन दिनों ये जमीन की नापी वगैरह में रंगदारी लेने का काम करता है। इस पर अभी चार से पांच मामले दर्ज हैं। इसमें रंगदारी, हत्याकांड और धमकी देने और आम्र्स एक्ट के मामले शामिल हैं।
मो तौकिर उर्फ राज - इटकी का रहनेवाला मो तौकिर उर्फ राज पतरातू के डॉन भोला पांडेय गिरोह के लिए काम करता था। भोला पांडेय की हत्या के बाद वह उसके भतीजे रांची जेल में बंद किशोर पांडेय के साथ जुड़ गया। मोै तौकिर गोली चलाने में माहिर है। वह अपने टारगेट को कभी मिस नहीं करता है। फिलहाल, वह फरार है।

अमर सिंह- तुपुदाना का रहनेवाला अमर सिंह, लखन सिंह उर्फ सुरेंद्र सिंह का भाई और उसका दाहिना हाथ है। वह अपने भाई के इशारे एरिया में बिजनेसमैन, क्रशर व्यवसायी और किसान पर रंगदारी देने के लिए प्रेशर बनाता है। रंगदारी नहीं देने पर उसे गोलियों का निशाना बना देता है। मो तौकिर उर्फ राज भी अमर सिंह के साथ रहता है और शूटर बनकर लोगों को टपकाने का काम करता है।

बिरजू राम:  यह सम्राट गिरोह जयनाथ साहू का शूटर है। वह खुद को स्टूडेंट बताता है। रांची में उसका हर बार आना-जाना होता है। वह जयनाथ साहू के इशारे पर काम करता है। जयनाथ साहू ने बिरजू राम से कई मर्डर केस को अंजाम दिलवाया है।
जेठा कच्छप: पीएलएफआई का जेठा कच्छप अभी रांची पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका है। विमल गोप के जेल जाने के बाद जेठा कच्छप दिनेश गोप का दाहिना हाथ बन गया है। वह एरिया में पीएलएफआई संगठन से युवकों को जोडऩे का काम कर रहा है। शुरुआती दौर में रांची पुलिस ने जेठा कच्छप को अरेस्ट कर जेल भेजा था, इसके बाद वह पुलिस की पकड़ में नहीं आया है। पहले वह शूटर का काम करता था। अब इस काम को उसके गुर्गे करते हैं। गोली कैसे चलानी और कब चलानी है, इसकी वह लड़कों को ट्रेनिंग देता है।
मौलवी: लापुंग का मौलवी पुलिस के लिए अभी वांटेड शूटर बना हुआ है। पुलिस उसकी तलाश में संभावित स्थानों पर छापेमारी कर रही है, वह पुलिस के हाथ नहीं आ पा रहा है। मौलवी पर लापुंग, इटकी समेत कई एरियाज में लेवी वसूलने और लोगों को मारने का आरोप है।
जिदन गुडिय़ा: पीएलएफआई से जुड़े जिदन गुडिय़ा का नाम बच्चा-बच्चा जानता है। इसका कार्यक्षेत्र लापुंग, कर्रा और खूंटी एरिया में सबसे अधिक है। छोटा हथियार हो या बड़ा, इसे दोनों को चलाने में महारत हासिल है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार जिदन गुडिय़ा को पुलिस ने अरेस्ट तो किया था, लेकिन वह साक्ष्य के अभाव में जेल से बाहर है। वह दर्जनों कांडों का आरोपी भी है।
तिलकेश्वर गोप: तिलकेश्वर गोप पर दर्जनों मामले लंबित हैैं। वह पुलिस से बचने के लिए बहुरूपिए के भी वेश में रहता है। अभी उसने खुद का संगठन तैयार कर लिया है। हाल में बेड़ो पुलिस को उसके ठिकाने के बारे में जानकारी मिली थी। पुलिस ने वहां जाल बिछाया तो मौके से वह फरार हो गया था।
राजू नेपाली: राजू नेपाली पैसे की खातिर किसी की भी मर्डर करने में आमादा रहता है। वह रातू थाना एरिया के सिमलिया में रहता है।
मुकेश कुमार झा: नामकुम के चायबगान में रहनेवाला मुकेश कुमार झा भी नामी क्रिमिनल है। उसका पेशा पैसे की खातिर किसी को भी टपकाने का रहता है। पिछले साल उस पर अरगोड़ा में जमीन कारोबारी लक्की सिंह को गोली मारने का आरोप है। रांची पुलिस उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही है। वह अपने गिरोह के साथ लोगों से रंगदारी मांगने का भी काम करता है। मुकेश पूर्व में लूट और रंगदारी के मामले में जेल जा चुका है। फिलहाल, वह जमानत पर एक साल से बाहर है। पुलिस को उसकी तलाश है। वह लखन सिंह गिरोह के लिए काम कर रहा है।
इन दिनों ये जमीन के धंधे में लिप्त कुछ सफेदपोश के लिए काम कर रहा है। इस पर चार से पांच मामले दर्ज हैं, जिनमें  रंगदारी, छिनतई, मारपीट और हत्या के मामले शामिल हैं।
राकेश सिंह: कावेरी के मालिक लव भाटिया के अपहरणकांड का आरोपी राकेश कुमार सिंह अब भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। राकेश मूल रूप से चुटिया थाना क्षेत्र के अमरावती कृष्णापुरी में रहता है। वह नोमिनेटेड क्रिमिनल मनोज चड्ढा का रिश्ते में भतीजा लगता है। इसे लालपुर पुलिस ने लव भाटिया अपहरणकांड में यूपी के क्रिमिनल्स के साथ अरेस्ट किया था। छह महीने पूर्व ही वह जेल से छूट गया है। फिलहाल, वह छह महीना पहले जमानत पर रिहा हो गया है। इन दिनों ये फोन से जमीन के कारोबारियों को धमकाने का काम करता है। इस पर चार से पांच मामले दर्ज हैं। इसमें  रंगदारी, अपहरण और हत्याकांड के केसेज शामिल हैं।
नरेश सिंह उर्फ बुतरू : श्रवण चौहान गुट का नरेश सिंह उर्फ बुतरू नीेचे हटिया का रहनेवाला है। श्रवण चौहान की मौत के बाद वह जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मुंगेरी लाल के लिए काम करता है। नरेश सिंह उर्फ बुतरू पर 2006 के दिसंबर में पांच लोगों की सामूहिक हत्या करने और तुपुदाना चौक के टेनी मिश्रा हत्याकांड में शामिल रहने का आरोप है.  इन मामलों में वह जेल भी गया था। जेल से निकलने के बाद वह छह माह से पुलिस की नजरों में फरार है। तुपुदाना, जगन्नाथपुर सहित कई थानों में दर्जनों मामले दर्ज हैैं। इन दिनों पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, ये अंडरग्राउंड है। इस पर एक दर्जन से अधिक इसमें हत्या, रंगदारी, गोली चालन और आम्र्स एक्ट के केसेज शामिल हैं।
कन्हैया सिंह : यह मूल रूप से यह ओडि़सा का रहनेवाला है। रांची और आसपास के एरियाज में उसने सुपारी किलर्स के रूप में दर्जनों घटना को अंजाम दिया है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार वह कहां है, इसकी कोई जानकारी पुलिस को नहीं है। वैसे पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
राहुल खत्री: राहुल खत्री गुमला का रहनेवाला क्रिमिनल और शूटर है। वह पैसे के लिए किसी को भी टपका सकता है। वह जल्दी गिरोह में नहीं रहता है। उसका एक फंडा है कि वह जो काम करेगा, अकेले ही करेगा।
आदित्य उर्फ बिट्टू : किशोरगंज का आदित्य उर्फ बिट्टू जेल में बंद संदीप थापा का गुर्गा है। वह संदीप प्रधान उर्फ थापा के लिए ही काम करता है। आदित्य के साथ हमेशा साजन उर्फ सन्नी भी मौजूद रहता है। उसने प्रकाश यादव और आईटीआई हेहल में रहनेवाले जीतेंद्र पासवान पर जेल में बंद संदीप प्रधान उर्फ संदीप थापा के इशारे पर गोली मारी थी। इसमें जितेंद्र पासवान की मौत हो गई थी।
जीतेंद्र नायक : पहले जीतेंद्र नायक पीएलएफआई में था। पीएलएफआई से हटकर उसने अलग गैंग बना लिया। यह गैंग में सबसे यंग और नामी शूटर हैं। गैंग के पास देसी कट्टा, भुजाली और देसी बम रहता है। इसका फंडा है कि यह बड़े प्यार से लेवी और रंगदारी की डिमांड करता है। मांगी गयी लेवी से यदि कम भी मिले, तो उसे ले लेता है और उसकी जान बख्श देता है.  गिरोह का कब्जा कर्रा, लापुंग, बेड़ो, इटकी, मुरहू, तोरपा और भरनो तक है.   
बंबइया उर्फ अर्जुन कच्छप: यह पूर्व में जयनाथ साहू के सम्राट गिरोह में काम करता था। पैसों की आर्थिक तंगी और खुद को डॉन बनाने की ललक में जेल से रिहा होने के बाद उसने खुद को गैंग लीडर घोषित कर दिया। अपने इलाके के कुछ साथियों को मिलाकर यह लूटपाट, लेवी और रंगदारी जैसे काम को अंजाम देने लगा। इसका प्रभाव बेड़ो, इटकी, कर्रा थाना क्षेत्र के पश्चिमी भाग में अधिक प्रभावित है। इस गैंग के पास हथियार के रूप में देसी कट्टा, चाकू, भुजाली वगैरह ही है। यह खुद एक शूटर है। इसके गिरोह में कई शूटर  हैं।
जयनाथ साहू: सम्राट गिरोह का लीडर जयनाथ साहू है। इस गैंग के पास अत्याधुनिक हथियार हैं और प्रभावित इलाकों में खूंटी का पश्चिमी भाग, मुरहू, रांची का कर्रा, लापुंग, लापुंग का मालगो, नवाटोली, सापूकेरा, कुरूम, रनिया और गुमला जिला का सिसई व भरनो शामिल हैै.   
सुरेश उर्फ सुरी : लापुंग के बड़काखुखरा में सुरेश दा के नाम से प्रचलित सुरेश पीएलएफआई गैंग का मेंबर था। लेवी को लेकर हुई तकरार में इसने अपना गिरोह बना लिया। इसने पीएलएफआई के जीतेंद्र नायक गिरोह के लोगों को मारना शुरू किया। उसने अपने सहयोगी  अमित बारला के साथ मिलकर जीतेंद्र नायक गुट के अमित की हत्या कर दी।