रांची (ब्यूरो)। शिक्षक क्या बताते हैं से ज्यादा जरूरी है, शिक्षक क्या हैं? क्योंकि समाज कल, आज और कल भी शिक्षकों के ही कंधे पर सवार होकर ही आगे बढेगा। आज 15वीं गुरु दक्षता इंडक्शन प्रोग्राम के तहत यूजीसी-एचआरडी मोरहाबादी में शैक्षिक ईमानदारी पर अपने व्याख्यान के दौरान ये बातें डॉ विनय भरत ने कहीं। उन्होंने कहा कि शिक्षण-अधिगम (लर्निंग) प्रक्रिया में परिवर्तन होने के कारण शिक्षक से इतनी आकांक्षाएं बढ़ गई हैं कि उनकी भूमिका वक्त के साथ और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है। शिक्षक जब क्लासरूम में होता है तो उसकी यह जिम्मेदारी है कि वह एक-चौथाई तैयारी और तीन-चौथाई थियेटर की तर्ज पर कृत्रिम वातावरण तैयार करे, जो स्टूडेंट्स को विषय सहज और सरल बना दे।

सहकर्मियों के साथ मधुर संबंध रहेगा

उन्होंने कहा कि समुदाय में परामर्शदाता की भूमिका शिक्षक का अमुक विभाग तभी आगे जाएगा, जब वह अपने सहकर्मियों के साथ मधुर संबंध में रहेगा। शिक्षक की विनम्रता और योग्यता बिना किसी पूर्वाग्रह और पक्षपात के उसे सहकर्मियों के पास पहुंचाती है जो अच्छे रिश्ते बनाने के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपने सहकर्मियों के मामलों में अधिक दखल देना शिक्षक के लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

आप स्वयं न्यायाधीश हैं

अपनी दखल की सीमा के आप स्वयं न्यायाधीश हैं। समुदाय में शिक्षक की क्या भूमिका है? पूछने से पहले हमें यह सोचना चाहिए कि वे कौन-सी सामाजिक आकांक्षाएंहैं जो समाज एक शिक्षक से चाहता है? समुदाय में शिक्षक को मार्गदर्शक, दार्शनिक और परामर्शदाता की भूमिका निभानी पड़ती है। प्राय: अपनी समस्याओं के समाधान के लिए लोग शिक्षकों से संपर्क करते हैं।

शिक्षक समाज को गति देता है

बतौर नागरिक एक शिक्षक

उन्होंने कहा कि शिक्षक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी करते हुए लोकतांत्रिक प्रणाली को समर्थ बनाता है। समाज के पक्षपात रहित उद्देश्यों के गुण-दोषों की समीक्षा करता है। देश में भ्रष्टाचार, घोटाले, उपद्रव, शोषण जैसी घटनाओं के प्रति संवेदनशील होता है। जो घटनाएं देश के विकास में रुकावट उत्पन्न करती हैं और असामाजिक और प्रगति विरोधी गतिविधियां हैं, उनको रोककर समाज को गति प्रदान करता हैं। ईमानदारी, सच्चाई, वफादारी, समय की पाबंदी, समर्पण, प्रेम, आदि जैसे गुण व्यक्तिगत गुणों के बलबूते शिक्षक को समाज के लिए दीर्घकालिक रोल मॉडल बनाए रखता है। शिक्षक समाज के केंद्र में नैतिक मूल्य और उनका संरक्षक होता है। इसलिए इस कैपिटलिस्टिक युग में शिक्षकों के कंधे पर जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ी है। इस व्याख्यान में देश भर की यूनिवर्सिटीज से तकरीबन 50 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। कोर्स को-आर्डिनेटर डॉ। उर्वशी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।