-- दुकानों के शटर गिरे, सड़कें हो गईं खाली

-- राज्य सरकार के नए निर्देश का दिखा असर

रांची: ये कैसा मंजर छाया है। भागते-दौड़ते शहर को आखिर किसकी नजर लग गई। बुधवार को घड़ी की सुई जब तक तीन पर पहुंचती। पूरा शहर वीरान हो गया। दुकानों के शटर गिर गए। लोग अपने-अपने घरों में कैद हो गए। अगर कहीं लोग दिखाई दे रहे थे तो वह बस केवल श्मशान और कब्रिस्तान में। अलग-अलग अस्पतालों के बाहर बस एक सा नजारा रहा। चीख-पुकार और इंतजार। कोई किसी की सुध लेने वाला नहीं। कोई किसी को ढांढस बंधाने वाला नहीं। राजधानी रांची में एक-एक दिन में कोरोना के 17 सौ से अधिक मामले आ रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड में मौत का आंकड़ा हर दिन अर्धशतक लगा रहा है। श्मशान और कब्रिस्तान की हकीकत आंकड़ों से बहुत आगे की कहानी बयां कर रही है। गंभीर रूप से बीमार लोग ¨जदगी की डोर थामे रखने के लिए एक-एक सांस की जद्दोजहद करते दिखे। हालात से निपटने के लिए झारखंड सरकार की ओर से स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू कर रखा है। बुधवार से इसे और सख्त कर दिया गया। संक्रमण की चेन तोड़ने के विकल्प के रूप में दवाओं के साथ्र प्रतिबंध का सहारा लिया जा रहा है। शहर के आम नागरिक से लेकर व्यवसायी वर्ग तक आगे आकर सरकार के फैसले के साथ खड़ा है। किसी भी कीमत पर हर जान की हिफाजत एकमात्र लक्ष्य है। विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षाबलों के जवान खाली सड़कों पर फ्लैग मार्च कर रहे हैं। सबकी बस एक कोशिश है किसी तरह से हालात नियंत्रण में बने रहें।

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