रांची(ब्यूरो)। टेड -एक्स कांके के टॉक शो द बिलियन ड्रीम्स में शनिवार को रांची में अपने-अपने क्षेत्र की सफल शख्सियतों ने शहर के साथ अपने अनुभव शेयर किए। टॉक शो में ओडिशी नृत्यांगना सुमेधा सेनगुप्ता ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति से समां बांधा। वक्ताओं ने अपने विचार व विषम परिस्थितियों में भी अपनी सफ लता की कहानी साझा की। टेड-एक्स कांके के क्यूरेटर राजीव गुप्ता ने पावर ऑफ आईडिया के बारे में कहा। बताया कि एक आईडिया की ही देन थी कि मनुष्य चांद पर जा पहुंचा है। टेड -एक्स कांके ऐसे ही नए आइडिया को एक मंच पर लाकर सोसाइटी के साथ साझा कर रहा है। टॉक शो के अंत मे यूफ ोरिया बैंड ने अपने गीत-संगीत से सभी का मनोरंजन किया। टॉक शो का संचालन मास्टर ऑफ शिरोमणि डा नेहा कौर ने किया। मौके पर मुख्य रूप से श्रवण जाजोदिया, अतुल अग्रवाल, प्रो रमण कुमार झा, प्रवीण राजगढिय़ा, सीएम चुग, कनिष्क पोद्दार, नीतीश स्वरूप, प्रीति गुप्ता, अनंत सेठ, कैलाश मांझी, विजेंद्र शर्मा, अमित मोदी, कनिका मल्होत्रा, शमिक चक्रवर्ती, विजेंद्र शर्मा, शुभम शर्मा, शुभम कुमार पति, गौरव कुमार आदि उपस्थित थे।

सफलता के लिए धैर्य जरूरी

इज माई ट्रिप के सह संस्थापक प्रशांत पिट्टी ने स्टार्टअप में सफलता पाने के तरीके बताए। उन्होंने रिसर्च, इन्वेस्टमेन्ट, नेटवर्क, प्रबंधन, विजन इत्यादि बिंदुओं पर चर्चा की। कहा कि शुरुआत में ही सफलता मिल जाए, यह जरूरी नहीं है। इसलिए अपने ड्रीम्स को सच करने के लिए निरंतर प्रयास जारी रखें। उन्होंने कहा कि जो सफलता को तुरंत चाहते हैं वो असफल भी जल्दी होते हैं। जितना बड़ा संघर्ष होगा, सफलता भी उतनी बड़ी होगी।

क्लाइमेट चेंज पर काम

भारत के पहले थ्रीडी प्रिंटर के निर्माता व वर्तमान में क्लाइमेट चेंजिंग पर काम कर रहे अंगद दरयानी ने कहा कि जिस रफ्तार से क्लाइमेट चेंज हो रहा है, उसे गंभीरता से लें। जल एवं वायु प्रदूषण से चिंता बढ़ रही है। हर साल केवल वायु प्रदूषण से लगभग सात लाख लोगों की मौत हो जाती है। हमें इलेक्ट्रिक वाहन की ओर शिफ्ट होने व रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में बढऩे की जरूरत है। उन्होंने खुद के बनाए एयर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की भी जानकारी दी।

स्वच्छता है सबसे जरूरी

वाराणसी के घाटों की सफाई के लिए प्रसिद्ध साकार सेवा समिति की अध्यक्ष तमसुतुला इमसोंग ने कहा कि दूषित जल और साफ.-सफ ाई का ध्यान नहीं रखने से हर साल आठ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। नॉन-रिसाइक्लिंग वेस्ट को घटाकर और कंपोस्टिंग की आदत डालकर इसमें सुधार किया जा सकता है। स्वच्छ भारत अभियान के प्रति ईमानदारी से कार्य करना होगा।