रांची (ब्यूरो) । दिनोंदिन सूरज की तपिश बढ़ती जा रही है। गर्मी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। एक ओर जहां धीरे-धीरे ग्राउंड वाटर लेवल कम होता जा रहा है वहीं दूसरी ओर नगर निगम की ओर से इससे निबटने की फिलहाल कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। बढ़ती गर्मी के साथ ही राजधानी रांची में पेयजल की समस्या भी बढ़ती जा रही है। आने वाले दिनों में यह और विकराल रूप लेने वाला है। निगम क्षेत्र के 15 वार्ड अभी से ही ड्राई जोन में बदलने लगे हैं। मौसम विभाग की मानें तो मार्च-अप्रैल महीने में लोगों को प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में सबसे ज्यादा समस्या पीने के पानी को लेकर हो सकती है, जिसे देखते हुए रांची नगर निगम को भी कमर कसने की जरूरत है। हालांकि, नगर विकास विभाग की ओर से इसे लेकर मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें सभी नगर निकायों से पानी के इंतजाम और सकंट के उपाय मांगे गए थे। रांची नगर निगम की ओर से इस संबंध कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है। निगम के पास पहले से जो वाटर टैंकर हैं, वह भी जर्जर अवस्था में पड़े हुए हैं।

आधे से ज्यादा टैंकर जर्जर

कई इलाकों में ग्राउंड वाटर लेवल नीचे जाने लगा है, जिस वजह से डीप बोरिंग, नल और कुआं के सूखने की नौबत आ गई है। ऐसी स्थिति में आम जनों के पास सप्लाई वाटर और निगम द्वारा भेजे जाने वाले वाटर टैंकर ही विकल्प के रूप में बच जाता है। सप्लाई भी रेगुलर नहीं होने की स्थिति में अधिकतर आबादी टैंकर पर आश्रित हो जाती है। नगर निगम के पास वर्तमान में 45 वाटर टैंकर है। इनमें आधे से अधिक जर्जर हालत में हैं। जिससे पानी की जरूरत को पूरा करना संभव नहीं है। शहरी इलाके में जलापूर्ति के लिए निगम के पास दो हजार लीटर क्षमता वाले 30 टैंकर हैं। वहीं पांच और छह हजार लीटर वाले टैंकर की संख्या पांच है। इधर डोरंडा में भी निगम के 10 टैंकर है। लगभग सभी टैंकर में जंग लग चुका है। किसी की नल टूटी हुई है तो कोई लिकेज हो गया है। रखरखाव के अभाव में वाटर टैंकर की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है। नगर निगम वर्षों पुराने वाटर टैंकर से जलापूर्ति करता है। कई टैंकरों में तो दर्जनों छेद हो चुके हैं। वहीं कई की स्टील की चादर रखरखाव के अभाव में जंग लगने से खराब हो गई है।

ड्राई जोन में होगी टैंकर की डिमांड

रांची नगर निगम क्षेत्र में 15 वार्ड ऐसे हैं जहां हर साल पानी की किल्लत होती है। इस वर्ष भी यहां पानी की समस्या शुरू हो चुकी है। इन इलाकों में हार्ड रॉक होने की वजह से गर्मी के दस्तक देते ही जलस्तर तेजी से नीचे चला जाता है और मार्च शुरू होते ही टैंकरों से जलापूर्ति की स्थिति बन जाती है। ऐसी हालात मानसून आरंभ होने तक जून माह के अंतिम सप्ताह और इससे अधिक समय तक भी बनी रहती है। वार्ड संख्या 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 30, 31, 34 के अलावा कांके, मोरहाबादी, डोरंडा एवं एचइसी इलाके समेत कुल 15 वार्ड क्षेत्र के लाखों लोगों की आबादी निगम के वाटर टैंकर पर ही आश्रित हो जाती है। इसी महीने से नगर निगम को इन इलाकों में टैंकर भेजना पड़ सकता है। लेकिन निगम की ओर से इसे लेकर कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। मानसून सीजन को छोड़ अन्य दिनों में वार्ड संख्या 22, 23, 24, 25 और 26 में टैंकरों से पानी की आपूर्ति की स्थिति बनती रहती है।

पानी की समस्या को लेकर नगर निगम गंभीर है। इसे लेकर मीटिंग हुई है। जल्द ही व्यवस्था दुरुस्त करते हुए टैंकर से पानी सप्लाई शुरू कर दी जाएगी।

-डॉ आशा लकड़ा, मेयर, आरएमसी