रांची (ब्यूरो)। पब्लिक प्रॉपर्टी की बर्बादी करने में सभी डिपार्टमेट्स में जैसे प्रतियोगिता चल रही है। कौन सा विभाग कितना पब्लिक एसेट््स बर्बाद करता है, सभी में इसकी होड़ लगी है। कहते हैं दीमक लग जाने पर संपत्ति नष्ट हो जाती है। लेकिन सरकारी विभाग को जैसे दीमक की जरूरत ही नहीं है। सिस्टम ही चट कर रहा है पब्लिक प्रॉपर्टी। इस मामले में रांची नगर निगम भी कहीं से पीछे नहीं है। यह अन्य डिपार्टमेंट से एक कदम आगे ही है। बीते पांच सालों में नगर निगम ने वाहन खरीद में करीब 12 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए हैं। करोड़ों रुपए से भी अधिक की पब्लिक प्रॉपर्टी रांची नगर निगम में बर्बाद की जा रही है। निगम के सभी स्टोर में, यहां तक की सड़क पर भी निगम के डेड एसेट्स पड़े हुए हैं। सिटी बस हो, कचरा उठाने वाली गाड़ी, वाटर टैंकर या अन्य व्हीकल्स सभी कंडम अवस्था में बकरी बाजार स्थित नगर निगम के स्टोर में पड़ी हुई हैं। पहले के एसेट््स खराब होते रहते हैं और नगर निगम नई खरीदारी की प्लानिंग कर लेता है, जिस कारण मामूली परेशानी में ही वाहन खड़े-खड़े कंडम हो जाते हैं। सिर्फ बकरी बाजार ही नहीं बल्कि नागा बाबा खटाल और डोरंडा में भी नगर निगम की संपत्ति कबाड़ अवस्था में पड़ी हुई है।
60 से ज्यादा बसें कबाड़
नगर निगम की 50 से अधिक सिटी बसें खड़ी-खड़ी कबाड़ हो चुकी हैं। इन बसों के कबाड़ होने से सरकार को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। साल 2005 में जवाहरलाल नेहरु शहरी पुनरुत्थान मिशन के तहत नगर निगम को 51 बसें दी गई थीं। इन सिटी बसों की खरीद पर लगभग पांच करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, जिसमें आधी बस भी सड़क पर नहीं दौड़ सकीं, बाकी स्टोर में और इधर-उधर खड़े-खड़े बर्बाद हो गए। इसके बाद फिर बसों की खरीदारी हुई। एक समय यह संख्या बढ़कर 91 तक पहुंच चुकी थीं, लेकिन आज नगर निगम के पास ठीक-ठाक अवस्था में सिर्फ 25 बसें ही रह गई हैं। उनकी भी स्थिति ठीक नहीं है। आये दिन कोई न कोई खराबी बस में आती ही रहती है। अब एक बार फिर से नगर निगम ने 500 बसों की खरीदारी की योजना तैयार कर ली है।
नशेडिय़ों का अड्डा बन चुके है ये कबाड़ बसें
सिटी में आम लोगों की सुविधा के लिए सिटी बस सर्विस शुरू की गई थी, लेकिन दिनोंदिन इसकी हालत बिगड़ती जा रही है। नगर निगम इसकी सुध लेने की कोशिश भी नहीं कर रहा है। आम नागरिक तो इन सिटी बसों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, लेकिन नशेडिय़ों व जुआरियों के लिए यह सुरक्षित अड्डा जरूर बन गया है। नागा बाबा खटाल और बकरी बाजार नगर निगम के स्टोर में सिटी बसें कबाड़ हालत में पड़ी हुई हैं। बस की सीट से लेकर इंजन और टायर सभी कंडम हो रहे हैं। कई बसें जिन्हें मामूली पैसे खर्च करके ठिक किया जा सकता है, लेकिन निगम की अनदेखी के कारण बसें दिनोंदिन जर्जर और बेकार होती जा रही हैं।
वाटर टैंकर भी कंडम
गर्मी के मौसम में लोगों की प्यास बुझाने में नगर निगम के वाटर टैंकर की भूमिका अहम होती है। जब बोरिंग, कुएं, नल सभी फेल हो जाते हैं, वैसी स्थिति में एक बड़ी आबादी इन्हीं टैंकर पर आश्रित हो जाती है। लेकिन नगर निगम की लापरवाही के कारण इन टैंकर की हालत भी कंडम हो चुकी है, जिन टैंकर से पानी वितरण किया जाता है। उनमें जंग लग चुकी है। नगर निगम में ऐसे भी वाटर टैंकर हैं, जो कबाड़ हो चुके हैं। पांच हजार लीटर की क्षमता वाले इस टैंकर के अंदर और बाहर दोनों हिस्सों में जंग लग चुकी है। वहीं दर्जनों वाटर टैंकर पूरी तरह कबाड़ हालत में स्टोर मेें रखे हुए हैं। दिनोंदिन इसकी वैल्यू खत्म होती जा रही है। इन डेड एसेट््स को समय पर ऑक्शन करके सरकार रेवेन्यू प्राप्त कर सकती थी।
क्या कहती है पब्लिक
बसों की संख्या हर दिन घटती जा रही है, जिसका फायदा ऑटो चालक उठा रहे हैं।
रांची में ऑटो की बाढ़ आ गई है। ये लोग भाड़ा में भी मनमानी करते हैं।
-- मो इकबाल

सरकार पब्लिक से हर चीज के लिए टैक्स लेती है। उन्हीं टैक्स के पैसे से एसेट्स की खरीदारी की जाती है। लेकिन लापरवाही के कारण इन्हें सड़ा दिया जाता है।
-- पिंटू साहू

नगर निगम के स्टोर में करोड़ो रुपए की प्रॉपर्टी बर्बाद की जा रही है। इसके अलावा शहर में विभिन्न स्थानों पर लगाया गया एचवाईडीटी भी खराब हो चुका है। निगम ध्यान नहीं दे रहा।
-- मधु

सिर्फ नगर निगम ही नहीं, कई जगह अन्य सरकारी संपत्तियों की भी बर्बादी की जा रही है। निगम इस मामले में सबसे आगे है। कई ऐसे भी संसाधन है जिन्हें बिना उपयोग के ही कबाड़ बना दिया गया।
-- रोहन


डेड एसेट्स का ऑक्शन करने का निर्णय लिया गया था। लेकिन किसी कारण से इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। जल्द ही इस विषय में सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
-आशा लकड़ा, मेयर, आरएमसी