रांची (ब्यूरो) । राजधानी रांची को साफ और स्वच्छ बनाने के लिए कई योजनाएं बनती हैं। लेकिन उन्हें अमलीजामा पहनाने में विभाग हमेशा से फेल साबित होता रहा है। कई योजनाएं हैं जिनपर वर्षों से काम हो रहा है, लेकिन आज भी ये योजनाएं आधी-अधूरी हैं। इन्हीं में एक सीवरेज-ड्रेनेज का प्लान भी है। इस योजना पर बीते 15 सालों से काम चल रहा है। काफी मशक्कत के बाद साल 2014 में काम शुरू तो हुआ लेकिन यह आजतक पूरा नहीं हो सका है। सीवरेज-ड्रेनेज के फस्र्ट फेज का काम भी कंप्लीट नहीं हो सका है। इसमें सबसे बड़ी बाधा जमीन की आ रही है। सीवरेज से आने वाले गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए एसटीपी का लगभग 90 परसेंट काम पूरा कर लिया गया है। लेकिन, सीवर लाइन नहीं बिछने की वजह से फिलहाल यह यूजलेस है।

40 किमी सीवर लाइन बाकी

नगर विकास विभाग सीवर लाइन प्रोजेक्ट को एक बार फिर एक्सटेंशन देने की तैयारी में है। क्योंकि, अभी तक मात्र 60 प्रतिशत ही सीवर लाइन बिछ सकी है। फस्र्ट फेज में कुल 120 किमी सीवर लाइन बिछाई जानी थी, जिसमें महज 70 किमी ही लाइन बिछाने का काम हुआ है। 40 किमी सीवर लाइन अब भी अधूरी है। वहीं, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम लगभग पूरा हो चुका है। इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। लेकिन जब तक इससे सीवर लाइन कनेक्ट नहीं कर दिया जाता, इसका कोई इस्तेमाल नहीं है। यहां गंदे पानी के पहुंचने के बाद इसका ट्रीटमेंट करके इसे कृषि या सिंचाई योग्य बनाने की योजना है।

एनओसी का रोड़ा

सीवर लाइन का काम पूरा नहीं होने के पीछे एनओसी भी एक बड़ी वजह है। रोड कंस्ट्रक्शन विभाग, एनएचएआई और सीसीएल की ओर से एनओसी नहीं मिलने की वजह से प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया है। कांके रोड में सीसीएल, बरियातू रोड में पथ निर्माण विभाग और बूटी मोड़ से आगे एनएचएआई ने मेन लाइन बिछाने के लिए एनओसी नहीं दिया है। इस वजह से काम की रफ्तार नहीं बढ़ रही है। जबकि बडग़ाईं के लेम में एसटीपी तैयार है। हालांकि इसका अभी तक ट्रायल नहीं लिया गया है, क्योंकि बिजली कनेक्शन का काम पूरा नहीं हुआ है। एनओसी के अलावा जमीन अधिग्रहण भी इसमें बाधक बन रही है। दरअसल, बोड़ेया रोड स्थित वृंदावन कॉलोनी से आगे रैयती जमीन से पाइपलाइन गुजर रही है। रैयतों ने इसका विरोध कर दिया था। इसलिए अब रैयती जमीन अधिग्रहण के बाद ही पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हो सकेगा। इस प्रक्रिया में छह माह और लगने की उम्मीद है।

7 साल में दो कंपनियां पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं

2007 में मैनहर्ट ने शहर को चार जोन में बांटकर सीवरेज -ड्रेनेज प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार की थी। लेकिन यह विवादों में फंसा रहा। इस वजह से काम शुरू नहीं हुआ। 2014 में सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट में संशोधन करते हुए ड्रेनेज हटा दिया गया। 180 किमी सीवर लाइन को बढ़ाकर 210 किमी करते हुए साल 2015 में ज्योति बिल्डकॉन को काम सौंप दिया गया। जोन-1 के 9 वार्ड में सीवरेज का काम करने का ठेका 356 करोड़ में दिया गया। इसमें कंपनी को करीब 80 करोड़ का भुगतान भी किया गया। 2 वर्ष में यह काम पूरा होना था, लेकिन तीन बार कंपनी को एक्सटेंशन देने के बाद भी मात्र 113 किमी सीवर लाइन ही बिछ सकी।

सीवरेज प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण और एनओसी बड़ी समस्या बन रही है। इसके लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। जल्द ही समस्या दूर करके प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जाएगा।

-शशि रंजन, नगर आयुक्त, रांची