रांची (ब्यूरो) । पुलिस जवान जिस हालत में जिस स्थान में जहां रहते हंै, क्या वहां की तस्वीर बदलेगी। जिस हालत में पांच साल पहले पुलिस के जवान रह रहे थे, आज भी उसी हालत में जिंदगी गुजार रहे हैैं। सुबह उठते ही पुलिस कर्मियों का संघर्ष शुरु हो जाता है। शौच जाने से लेकर खाना बनाने, खाने, वर्दी पहनने और ड्यूटी के लिए निकलने तक यह संघर्ष जारी रहता है। फिर ड्यूटी से लौटने के बाद भी इसी जद्दोजहद से जवानों को गुजरना पड़ता है कि आखिर आराम कहां करें? जवानों का कहना है काफी मुसीबतों के साथ रह रहे हैं। आलम यह है कि कुछ जवानों को गैरेज में रहना पड़ रहा है। इन सब के बीच एक अच्छी खबर यह है कि इन जवानों के लिए 225 बेड का बैरक बनाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, यह कब तक तैयार हो सकेगा यह कहना मुश्किल है। न्यू पुलिस लाइन में ही करीब छह करोड़ की लागत से बैरक बनाया जाएगा।

पुलिस पोस्ट और थाना का भी होगा निर्माण

पुलिस के जवानों के रहने की कमी को देखते हुए बैरक बनाने का निर्णय लिया गया है। न्यू पुलिस लाइन में 225 बेड का बैरक तैयार किया जाएगा। इसके लिए पांच करोड 89 लाख रुपए आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा थाना और पुलिस पोस्ट निर्माण के लिए भी गृह विभाग ने करोड़ों रुपए की मंजूरी दे दी है। इस राशि से पुलिस लाइन में बैरक के अलावा खरसीदाग व अन्य स्थानों में पुलिस पोस्ट बनवाए जाएंगे। खरसीदाग में एक करोड़ 38 लाख से आउट पोस्ट का निर्माण कराया जाएगा।

अन्य जिलों में भी थाने बनेंगे

अन्य जिलों में भी थाना भवन और पुलिस पोस्ट बनाए जाने है। रांची पुलिस लाइन में बनने वाले बैरक में 5,89,57500 रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। उक्त राशि में चार करोड़ चार लाख रुपए से बिल्डिंग निर्माण होगा, जबकि शेष राशि से वाटर सप्लाई, इलेक्ट्रिक, बोरवेल, रेन वाटर हार्वेस्टिंग समेत अन्य कार्य में खर्च किए जाएंगे। भवन निर्माण करने के लिए दो साल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आवंटित राशि के खर्च और निकासी की जिम्मेवारी रांची एसएसपी को दी गई है। वहीं योजना के भौतिक सत्यापन की जिम्मेवारी डीजीपी या पुलिस हाउसिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक की होगी।

वर्षों से है बैरक की समस्या

कांके रोड स्थित न्यू पुलिस लाइन में कई वर्षों से बैरक की समस्या बनी हुई है। पुलिस के जवानों ने कई बार लिखित शिकायत की है। अब हरकत में आते हुए गृह विभाग द्वारा बैरक बनाने का निर्णय लिया गया है। बैरक निर्माण होने के बाद पुलिसकर्मियों को रहने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को इसकी जिम्मेवारी दी गई है। पुलिसकर्मियों को राहत देने के लिए इस प्रस्ताव को तैयार किया गया है।

कैंटीन के पास बनेंगे बैरक

कैंटीन के नजदीक इस बैरक का निर्माण कराने की योजना है। जवान व उनके परिजनों के रहने के लिए पुलिस लाइन में आवास बने हुए है। इसके अलावा बैरक भी है। लेकिन इसकी स्थिति खराब है। गौरतलब हो कि पुलिस लाइन में जिला पुलिस के अलावा पुलिस के अन्य विंग के पुलिस कर्मी भी रहते है। इस कारण जवानों को परेशानी झेलनी पड़ती है। जवानों को रहने के लिए स्थान की कमी पड़ जाती है। कभी-कभी पुलिसकर्मियों को बैरक से बाहर समय काटना पड़ता है।

टेंट में रहने को विवश

बैरक नहीं होने के कारण पुलिस के जवानों को टेंट में रहने की विवशता रहती है। पुलिस लाइन में बैरक के अभाव में 300 जवान टेंट में रहने को विवश है। जवान किसी तरह टेंट में रात बिताते हैैं और सुबह तय समय पर ड्यूटी के लिए निकल जाते है। टेंट में भी जगह की कमी हो जाती है। यहां वर्दी रखने से लेकर, खाना बनाने, खाने व अन्य कई समस्याएं आती हंै। बारिश के मौसम में समस्याएं डबल हो जाती हैं। टेंट से टपकती बारिश की बूंदें परेशान करती हैं। 70 जवानों के लिए यहां वैकल्पिक व्यवस्था की गया थी। लेकिन वह भी नाकाफी है। अब बैरक के निर्माण से पुलिस के जवानों को काफी राहत मिलेगी।

एक-एक बैरक में 50 बेड

वर्तमान बैरक की हालत इतनी खराब है कि एक-एक बैरक में 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों के रहने के लिए बेड लगाए गए हैं। कई पुलिसकर्मी बैरक से बाहर निकल कर सीढ़ी पर अपनी बेड लगा चुके हैं और किसी तरह समय काट रहे हैं। ज्यादातर पुलिसकर्मियों का बक्से में बंद सामान भी सीढिय़ों पर ही रखा हुआ है। 50 वर्ष से ऊपर के उम्र के भी कई ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो जर्जर स्थिति में एक बेड लगाकर रहने को मजबूर हैं। टेंट में रहने वाले पुलिसकर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि बारिश के मौसम में टेंट के अंदर तक पानी भर जाता है। टेंट के आसपास में बड़े-बड़े घास उगे हुए हैं। बारिश होने पर सांप-बिच्छू के आने का डर सताता रहता है। ड्यूटी से आने के बाद कई पुलिसकर्मी अच्छे से सो भी नहीं पाते हैं। इसके अलावा पानी और शौचालय की समस्या भी अलग है।