-राज्य के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दो से ढाई लाख फीस है इंजीनियरिंग कोर्स का

-प्राइवेट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट स्टूडेंट्स से वसूल रहे हैं मोटी रकम

- आइआइटी और एनआइटी में पढ़ना स्टूडेंट्स की है पहली पसंद

16
इंजीनियरिंग कॉलेज हैं झारखंड में

5
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज

11
प्राइवेट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट

6879

सीटें हैं इंजीनियरिंग संस्थानों में

10361
इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट हैं पूरे देश में

17
लाख इंजीनियर हर साल निकल रहे देश में

लूट रहे हैं प्राइवेट कॉलेज
बीआइटी मेसरा से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर चुके और अपनी फर्म चला रहे श्रीदेव सिंह ने बताया कि प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज फीस के नाम पर स्टूडेंटस को लूट रहे हैं। झारखंड के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज एनआइटी जमशेदपुर और बीआइटी सिंदरी में चार साल की इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च जहां औसतन ढाई से तीन लाख है वहीं बीआइटी मेसरा में यह आठ लाख और दक्षिण के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 25 लाख तक जाता है। नतीजा मनमानी फीस और अच्छी फैकल्टी के साथ प्लेसमेंट नहीं होने से यहां स्टूडेंट दाखिला नहीं लेते और सीटें खाली रह जाती हैं।

फीस में काफी है गैप
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करानेवाले आरके चौधरी ने बताया कि प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में जहां एक से डेढ़ लाख रुपये प्रति सेमेस्टर स्टूडेंट से लिये जाते हैं, वहीं सरकारी कॉलेजों में यह 20,000-25,000 रुपये प्रति सेमेस्टर है। ऐसे में नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी और बीआइटी मेसरा, बीआइटी सिंदरी जैसे संस्थान युवाओं को पसंद आते हैं या फिर पसंद आते हैं कर्नाटक और महाराष्ट्र के इंजीनियरिंग कॉलेज जहां इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी दोनों बेहतर हैं।

दूसरे राज्यों में चले जाते हैं 50 हजार स्टूडेंट्स
झारखंड से हर साल चालीस से 50,000 बच्चे राज्य से बाहर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने चले जाते हैं। ये ऐसे बच्चे हैं जिनका दाखिला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में नहीं हो पाता। सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की फैकल्टी बहुत अच्छी होती है क्योंकि उन्हें तनख्वाह अच्छी मिलती है और वे परीक्षा देकर सेलेक्ट होते हैं जबकि प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में वहीं से पढ़े स्टूडेंट या रिटायर हो चुके प्रोफेसर्स को रखा जाता है। प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की फीस भी अधिक होती है इसलिए स्टूडेंटस सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में जाना प्रेफर करते हैं। इसके अलावा स्टेटस सिंबल की वजह से भी स्टूडेंट दूसरे राज्यों के कॉलेजों में पढ़ना चाहते हैं।

6870 सीटें हैं इंजीनियरिंग की
राज्य के 16 इंजीनियरिंग कॉलेजों में इंजीनियरिंग की 6870 सीटें हैं। इनमें दाखिले के लिए करीब 18,000 स्टूडेंटस ने परीक्षा दी थी। राज्य में पांच सरकारी और 11 प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। राज्य में वर्ष 2015 और 2016 सत्र में भी करीब चार हजार सीटें खाली रह गयीं थीं।

एक्सपर्ट क्वोट
सरकारी और प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की फीस में भारी अंतर है। झारखंड के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की तुलना में दक्षिण के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में तो यह अंतर 12 गुणा तक है। प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की फीस को रेशनल किया जाना चाहिए

श्रीदेव सिंह
सरकारी और प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की फीस में बहुत अंतर है। एक तरह से वे स्टूडेंटस को लूट रहे हैं। प्राइवेट में पढ़नेवाले छात्र कुछेक कॉलेजों को छोड़ दें तो गुणवत्ता पूर्ण नहीं होते। वहां पढ़ाई का स्तर भी अच्छा नहीं होता।
आरके चौधरी, फैकल्टी फिजिक्स