रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची को स्मार्ट बनाने से लेकर सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था को स्मार्ट बनाने संबंधित सभी योजनाए हवा-हवाई नजर आ रही हैं। यातायात व्यवस्था को स्मार्ट बनाने को लेकर कई प्लानिंग तैयार किए गए। प्लानिंग के तहत इक्वीपमेंट्स लगाए भी गए, लेकिन आज ये इक्वीपमेंट्स बदहाल हैैं। स्मार्ट ट्रैफिक व्यवस्था के तहत करीब एक साल पहले ही स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल, कॉल बॉक्स और डिस्पले बोर्ड लगाए गए थे। लेकिन एक साल बाद ही सिग्नल टूटकर गिरने लगे है। डिस्पले बोर्ड और कॉल बॉक्स यूजलेस हो चुके हैैं। न स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन इस ओर ध्यान दे रहा है, और न ही कमांड, कंट्रोल एंड कम्यूनिकेशन सेंटर की ओर से इसकी रिपेयरिंग कराई जा हरही है। स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम के तहत ट्रैफिक सिग्नल, इमरजेंसी कॉल बॉक्स, डिस्प्ले बोर्ड, वाइस साउंड, कैमरा व दूसरे इक्वीपमेंट लगाने में करीब 162 करोड़ रुपए खर्च किए गए हंै।

टूटकर गिरा ट्रैफिक सिग्नल

सिटी के मेन रोड में लगाए गए कई चौराहों के ट्रैफिक सिग्नल टूटकर झूल रहे हैं। सुजाता चौक के समीप लगाया गया सिग्नल टूटकर गिरा हुआ है और सिग्नल भी बता रहा है। जिसमे संबंधित विभाग की लापरवाही साफ नजर आती है। कुछ सिग्नल तो ऐसे भी हैं, जो कभी जले ही नहीं लेकिन वे भी बदहाल होकर टूटकर गिर चुका है। जो ठीक है वे भी अधिकतर दिन बंद ही रहते हंै। कभी टेक्निकल खराबी तो कभी बैटरी प्रॉब्लम की वजह से सिग्नल बंद रहते है। रांची के 30 चौक-चौराहों पर नए ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए है। जिसमे 13 चौराहों के सिग्नल आज तक जले ही नहीं।

दावा भी फेल

स्मार्ट ट्रैफिक प्रोजेक्ट के तहत 60 चौराहों पर स्मार्ट जंक्शन बनाने, 81 स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाने का दावा किया गया था। यह दावा आज पूरी तरह फेल नजर आता है। 30 स्थानों पर सिग्नल तो लगा, लेकिन उसे विभाग संभाल नहीं पा रहा है। इन सिग्नलों को स्मार्ट इसलिए भी कहा गया था क्योकि सड़क पर भीड़ और दवाब के अनुसार सिग्नल ऑटोमेटिक चेंज होने थे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा। बल्कि सिग्नल बंद होने पर ट्रैफिक पुलिस को मैनुअल ही ट्रैफिक मैनेजमेंट करना पडता है। स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल के द्वारा ही अगले चौराहे पर हादसे या जाम की स्थिति में सिग्नल द्वारा अलर्ट करने और रूट डायवर्ट करने की जानकारी दी जानी थी। वह भी सिर्फ मुंगेरी लाल के हसीन सपने ही साबित हुए हैैं। इसके अलावा ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए स्मार्ट जंक्शन पर एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम लगाने की भी योजना थी वह भी धरी की धरी रह गई।

कॉल बॉक्स फेल

स्मार्ट सिटी और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम के तहत हर जंक्शन पर वॉयस मैसेजिंग और इमरजेंसी कॉल बॉक्स और डिस्प्ले बोर्ड लगाया गया है। लेकिन जिस काम के लिए इसे लगाया गया है वह पूरा नहीं हो रहा है। न कॉल बॉक्स से कोई कम्पलेन दर्ज की गई और न ही डिस्पले बोर्ड पर कोई जानकारी लोगों को दी जा रही है। वॉयस मैसेजिंग का इस्तेमाल कभी-कभी कर लिया जाता है। इमरजेंसी सर्विस जैसे पुलिस, एंबुलेंस, फायर आदि की सेवा के लिए इमरजेंसी कॉल बॉक्स लगाए गए है। लेकिन इस्तेमाल नहीं हो रहा है। हालांकि कंट्रोल में बैठे कर्मचारियों का कहना है पब्लिक की ओर से कोई शिकायत ही नहीं आती है।

घर पहुंच रहा चालान

राजधानी रांची में ट्रैफिक सिस्टम भले दुरुस्त नहीं है, लेकिन थोड़ी भी आपसे मिस्टेक हुई तो चालान आपके घर जरुर पहुंच सकता है। रेड लाइट जंप होने पर या रुबोो ल ब्रेक करने पर फाइन काटने में पुलिस पीछे नहीं है। लेकिन पब्लिक को सुविधा देने के लिए कोई प्रोपर इंतजाम नहीं है। ट्रैफिक सुगम करने के लिए बोलार्ड लगाया गया, वह भी एक माह भी ठीक से टीक नहीं सका। क्वालिटी खराब होने के कारण सभी बोलार्ड एक-एक कर खुद ब खुद उखड़ गए।

टूटकर गिरे हुए ट्रैफिक सिग्नल की जानकारी संबंधित एजेंसी को दे दी गई है। रिपेयरिंग करने को कहा गया है। जल्द ही इसे ठीक करा लिया जाएगा।

-जीतवाहन उरांव, ट्रैफिक डीएसपी, रांची