रांची (ब्यूरो) । राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान यानी रिम्स में गर्मी आते ही पानी संकट शुरू हो गया है। करीब 5 हजार लोग हर रोज रिम्स कैंपस में मौजूद रहते हैैं। इन्हें पीने के पानी के लिए बाहर मौजूद दुकानों का रुख करना पड़ रहा है। मुसीबत उन्हें ज्यादा है, जिनके मरीज रिम्स में भर्ती हैैं और उन्हें 24 घंटे हॉस्पिटल के भीतर ही रहना पड़ता है। ऐसे लोगों को बाहर से पानी खरीदने में ही रोजाना 100-150 रुपए अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। वैसे, रिम्स में ओपीडी में आने वाले मरीजों को केवल 5 रुपए में ही इलाज की सुविधा मिल जाती है, लेकिन पानी उन्हें 20 रुपए लीटर खरीदना पड़ता है।
सभी वाटर कूलर खराब
रिम्स के पुरानी बिल्डिंग में मरीजों को पीने का पानी मिल सके, इसके लिए वाटर कूलर लगाया गया था। अभी मेंटेनेंस के अभाव में वाटर कूलर खराब पड़े हैैं। दूसरी ओर, बरियातू टीओपी की तरप स्थित पुराने इमरजेंसी में पांच रुपए प्रति लीटर की दर से पानी बेचा जाता है। हालांकि, ज्यादातर लोग पेड मशीन से निकलने वाले पानी की जगह बोतलबंद पानी खरीदना ज्यादा प्रिफर करते हैैं। वहीं इस भीषण गर्मी में वार्डों में भर्ती मरीजों के परिजनों को पानी खरीदने के लिए बाहर निकलना पड़ता है।
ओपीडी के पास 2 कूलर खराब
रिम्स के ओल्ड कैंपस स्थित ओपीडी में तीन वाटर कूलर लगे हैैं, जिनमें से 2 तो खराब ही है और एक में गुरुवार को पानी ही नहीं था। इस मशीन में पानी रहने के बावजूद केवल एक नल से बूंद-बूंद पानी आता है। इससे एक लीटर का बोतल भरने में 15 मिनट का समय लग जाता है। लोग इसका इस्तेमाल कर नहीं सकते। रिम्स ओपीडी में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों की संख्या एक हजार के पार होती है। डॉक्टर से मिलने में उन्हें 3 घंटे का वक्त लग जाता है। ऐसे में जो लोग घर से पानी लेकर नहीं आते, उन्हें बीच में ही कुर्सी छोड़कर इधर-उधर भटकना पड़ता है।
क्या कहते हैैं लोग
रिम्स में इलाज के लिए आए हुए छह दिन हो गए। मरीज न्यूरो सर्जरी वार्ड में भर्ती है। हमें बाहर ही रहना होता है। पूरे अस्पताल में कहीं पानी नहीं मिलता। बाहर से खरीदकर पानी लाते हैैं, तो प्यास बुझती है।
अमरेंद्र किशोर, गढ़वा से आए तीमारदार

मैैं अपनी बेटी को लेकर ओपीडी में आया था। मैैं यह सोचकर निकला था कि अस्पताल में पानी मिल ही जाएगा, लेकिन यहां पानी नहीं मिला। सारी मशीनें खराब हैैं। बाहर से पानी लाकर बेटी को दिया।
बृजकिशोर रवानी, हेहल, रांची

इतने पड़े हॉस्पिटल में पानी की किल्लत होना प्रबंधन की उपेक्षा को दर्शाता है। कुछ लोग तो बालटी और डेकची में पानी भरकर वार्ड में लाकर रख रहे हैैं। कई लोग तो एक दूसरे को पानी पहुंचा रहे हैैं।
रेणु देवी, गुमला से आईं तीमारदार