रांची(ब्यूरो)। सरकार द्वारा पर्यावरण बचाओ अभियान के तहत विभिन्न कार्यक्रम किए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर राजधानी रांची की सड़क किनारे लगे हरे-भरे पेड़ों पर विभिन्न संस्थानों द्वारा कीलों के माध्यम से बैनर, पोस्टर समेत अन्य प्रचार सामग्री ठोंककर पेड़ों को नुकसान पहुंचाया जा रहा हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पेड़ों में कील आदि ठोंकने से कई बार पेड़ों के छाल निकल जाते हैं, जिससे वृक्षों का विकास रुक सकता है।

हर सड़क पर यही हाल

रांची में मोरहाबदी से लेकर हर सड़क पर जहां पेड़ है उसमें कील ठोंका गया है। हाईकोर्ट के आसपास भी पेड़ों में प्रचार के लिए साइन बोर्ड लगाया गया है। इसके अलावा विधानसभा जाने वाले रास्ते में भी पेड़ पर साइन बोर्ड की भरमार है। शहर में हालांकि पेड़ कम हैं, लेकिन जितने हैं उनको छोड़ा नहीं गया है। पर्यावरण विभाग से लेकर रांची नगर निगम को भी इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन अधिकारी मौन साधे हुए हैं।

पेड़ पर प्रचार

अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए कई संस्थाएं ऐसा काम कर रही हैं। उनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है। संस्थानों या व्यापारी वर्ग द्वारा पेड़ों में कील ठोंककर कोचिंग क्लास, यात्रा, टूर सहित व्यापार को बढ़ाने के लिए प्रचार बोर्ड लगाया जा रहा हैं। अब तक रिकार्ड रहा है कि वन विभाग द्वारा पेड़ों पर कील ठोंककर अपना प्रचार कर वृक्षों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी संस्थानों पर कार्रवाई नहीं की गई है। सभी प्रमुख मार्गों पर स्थित सड़क किनारे के पेड़ों पर विभिन्न प्रतिष्ठानों के प्रचार बोर्ड, बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स देखे जा सकते हैं, जिससे न सिर्फ पेड़ों की सेहत बिगड़ रही है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है।

यह पड़ता है दुष्प्रभाव

इस बारे में शहर के पर्यावरणविदों ने बताया कि सामान्य रूप से कील ठोंकने से पेड़ों को कोई खास नुकसान नहीं होता। लेकिन कील ठोंकने के दौरान अगर पेड़ों की छाल निकल जाती है, तो उससे जड़ों से तनों व पत्तियों में जाने वाला पानी ऊपर नहीं जा पाता। वहीं पेड़ों के लिए भोजन प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पत्तियों में बनता है। उन्होंने बताया कि छाल निकल जाने से पेड़ों के जायलम और फ्लोयम नष्ट हो जाते हैं, जिससे पेड़ों का विकास रुक जाता है। साथ ही पेड़ सूख भी सकते हैं।

कानूनन अपराध भी है

पेड़ों पर कील आदि ठोंकना ट्री प्रोटेक्शन एक्ट के तहत अपराध है। कील ठोंकने वाले के विरुद्ध पांच हजार तक का जुर्माना भी हो सकता है। इतना ही नहीं, गलती दोहराए जाने पर 15 दिनों की सजा का भी प्रावधान है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि रांची में वन महकमे ने कभी पेड़ों पर टंगे इन होर्डिग्स की ओर झांकने की भी जहमत ही नहीं उठाई।

पेडों को नुकसान

-कीलें ठोंकने और तार बांधने से पेड़ों को जबरदस्त नुकसान पहुंचता है

-पेड़ पर जिस जगह कील लगायी जाती है वहां जायलम को नुकसान पहुंचता है

-गहरी कील ठोंकने पर फ्लोयम पर भी असर होता है

-छोटे पेड़ों की नेचुरल ग्रोथ रुक जाती है या प्रभावित होती है और वो सूख जाते हैं

-कीलों के कारण पेड़ों में फंगस का खतरा रहता है

-तार उन्हें जगह-जगह से चोटिल करते हैं

-तार और कीलों की वजह से सही पोषण नहीं मिल पाता और पेड़ वक्त से पहले मर जाते हैं

क्या है कानूनी प्रावधान

-शहर में प्रचार सामग्री लगाने के नियम बनाए गए हैं

-रांची नगर निगम की अनुमति के बिना शहर में कहीं भी किसी तरह की प्रचार सामग्री नहीं लगाई जा सकती है

-इसके लिए बकायदा फीस देनी होती है निगम को

-पेड़-पौधों का इस्तेमाल प्रचार के लिए नहीं हो सकता

-बिना परमिशन के प्रचार करने वालों के खिलाफ जुर्माना की कार्रवाई हो सकती है

-पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है