रांची (ब्यूरो) । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी गुलजार का स्मृति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मीठी दादी के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित की गई। मौके पर केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि दादी गुलजार, 8 वर्ष की आयु में ओम निवास नामक बोडिंग स्कूल द्वारा इस यज्ञ में शमिल हुई, जिसकी स्थापना दादा लेखराज ने बच्चों के लिए की थी। दादी गुलजार की आयु 92 वर्ष थी, जब उन्होंने शरीर छोड़ा व अव्यक्त हुई।

मां धार्मिक प्रवृत्ति की थी

दादी गुलजार की माता धार्मिक प्रवृत्ति की थी और वह चाहती थी कि उनकी एक संतान आध्यात्मिकता की ओर जाए। भगवान का बच्चा होने के कारण दादी जी का बचपन बहुत ही आनंद में बीता। उन दिनों मुरलियों में केवल आने वाली नई दुनिया अर्थात् स्वर्ग के बारे में ही बताया जाता था। दादी जी उस समय बहुत छोटी थीं। उन्हें किसी भी वेद-शास्त्र आदि का ज्ञान नहीं था। फिर भी बाबा की मुरली सुन कर गहरे प्रेम और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करती थीं।

पूरे देश में सेवा किया

1950 में संस्था माउण्ट आबू स्थानांतरित हो गईं तब तक दादी जी आध्यात्मिक तौर पर परिपक्व हो चुकी थीं। शिव बाबा के निदेशानुसार उन्हें सम्पूर्ण भारत में सेवा के लिए भेज दिया। दादी जी के द्वारा कई सेन्टर स्थापित हुए। दादी गुलजार जी ने विदेशों की भी यात्रा की। उन्होंने आध्यात्मिकता, फिलॉसफी, राजयोग, आर्ट ऑफ लिविंग आदि विषयों में निपुणता के साथ कई व्याख्यान दिए।