रांची (ब्यूरो)। सिटी में ट्रैफिक मूवमेंट की समस्या भी काफी गंभीर है। ट्रैफिक स्मूद करने के लिए लगातार योजनाएं तैयार की जाती है। लेकिन, सख्ती से लागू नहीं किए जाने के कारण सभी योजनाएं फेल हो जाती हंै। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। सड़क पर आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सड़क पर अतिक्रमण से लेकर कई तरह की समस्या है, जिस कारण पब्लिक को ट्रैवल में ट्रबल का सामना करना पड़ता है। सिर्फ ऑटो और बस चालकों द्वारा नियम को ताक पर रखकर चलना ही परेशानी का सबब नहीं बल्कि रिक्शा, ठेला, मालवाहक ऑटो भी है। इनसे ट्रैफिक काफी डिस्टर्ब होता है। रिक्शा-ठेला चालक सामान लोड कर अपनी धुन में चलते रहते हैैं। पीछे कौन से वाहन आ रहे इससे उन्हें कोई मतलब नहीं होता। शहर की प्रमुख सड़कों पर भी रिक्शा-ठेला चालक आवागमन प्रभावित करते हैं। वहीं इन पर नियंत्रण करने के लिए चौक-चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मी या तो ट्रैफिक पोस्ट में बैठ कर समय काटते है या फिर बगैर हेलमेट वालों को पकड़ कर उनका चालान।
हॉर्न का भी असर नहीं
रिक्शा ठेला वाले इतने मग्न होकर चलते हैं कि उन्हें हॉर्न का भी कोई असर नहीं पड़ता है। इन्हीं रिक्शा-ठेला वालों की वजह से शहर में जाम लगता है। सबसे खराब हालत अपर बाजार और मेन रोड की है। अपर बाजार में सुबह से ही रिक्शा-ठेला सामान लोड कर दौडऩे लगते हैं। देर शाम तक यह सिलसिला जारी रहता है। अपर बाजार में जाम लगने की एक बड़ी वजह यह भी है। सवारी बिठाने वाले रिक्शा से ज्यादा परेशानी माल ढोने वाले रिक्शा-ठेला से है।
मैनुअल रिक्शा नहीं हुआ बंद
सिटी में ई-रिक्शा को आए करीब पांच साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। इसके बावजूद राजधानी से मैनुअल रिक्शा जो पैडल से चलते हैं, उन्हें पूरी तरह निगम बंद नहीं करा सका है। जबकि मैनुअल रिक्शा को पूरी तरह से बंद कराने की योजना थी। इसके स्थान पर सभी रिक्शा चालक को ई-रिक्शा के लिए प्रेरित करना था। लेकिन इस दिशा में कोई खास काम नहीं हुआ। ई-रिक्शा होते हुए भी कुछ चालक पैडल मार कर रिक्शा खींचने को विवश हैं। शहर में आज भी करीब चार हजार मैनुअल रिक्शा-ठेला चल रहे हैं। इसके अलावा मालवाहक ऑटो और पिकअप वैन भी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बिगाडऩे में अपना योगदान दे रहे हैं।
नो एंट्री व्यवस्था भी फेल
मेन रोड में दिन के बारह बजे तक मालवाहक ऑटो, रिक्शा, ठेला, पिकअप वैन की नो एंट्री की गई थी। लेकिन यह भी फेल हो चुका है। शहर को जाम मुक्त बनाने के लिए यह निर्णय करीब पांच साल पहले लिया गया था। लेकिन, इसका भी सख्ती से पालन नहीं कराया गया। शहर के छह प्रमुख मार्गों पर सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक और दिन के 3 से रात 8 बजे तक सभी तरह के माल वाहक वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। कुछ दिनों तक इसका पालन किया गया, जिससे ट्रैफिक में थोड़ा-बहुत सुधार आया। लेकिन अब यह पूरी तरह धराशायी हो चुका है।
आम लोगों की राय
मालवाहक रिक्शा और ठेला में कैपिसिटी से अधिक माल लोड कर लिया जाता है। जिससे वे लोग रिक्शा खींच नहीं पाते, और धीरे-धीरे चलते हैैं। इससे ट्रैफिक की काफी समस्या होती है।
अनिल प्रसाद

रिक्शा-ठेला चालकों के कारण बाइक निकलना भी मुश्किल होता है। अपर बाजार और मेन रोड में सबसे ज्यादा समस्या होती है। इनके लिए एक समय निर्धारित हो या अलग लेन की व्यवस्था हो।
अनिता

सड़क पर ट्रैफिक की काफी समस्या है। हर रोड में जाम झेलना पड़ता है। इसके पीछे कई वजह है। ट्रैफिक स्मूद कराने पर प्रशासन और परिवहन विभाग को ध्यान देना चाहिए।
शिव

रिक्शा-ठेला चालक हॉर्न बजाने पर साइड नहीं देते हंै। अपर बाजार में इन्हीं की वजह से जाम लगता है। एक नियम तो बनना ही चाहिए ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।
सुधीर कुमार