RANCHI: झारखंड राज्य स्तरीय विद्यार्थी विज्ञान सेमिनार में देवघर रामकृष्ण विद्यापीठ के स्टूडेंट उमंग का चयन हुआ है। उमंग 8 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय विद्यार्थी विज्ञान सेमिनार में झारखंड का प्रतिनिधित्व करेंगे। सेमिनार में सेकेंड पोजिशन पर सेंट फ्रांसिस स्कूल देवघर की छात्रा आद्या मिश्रा और थर्ड पोजिशन पर केवि बालिका उच्च विद्यालय रातू की छात्रा संगीता मंडल रहीं। हालांकि इन्हें राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने का मौका नहीं मिलेगा।

रांची जिला स्कूल में दो दिनी राज्य स्तरीय विद्यार्थी विज्ञान सेमिनार का शुक्रवार को समापन हुआ। प्रकाश का उपयोग, संभावनाएं व उसकी चुनौतियां विषय पर आयोजित सेमिनार में ख्क् जिलों के फ्म् विद्यार्थियों ने शिरकत की थी। सेमिनार में पार्टीसिपेट करने वाले सभी प्रतिभागियों को मेडल व सर्टिफिकेट दिया गया है। मौके पर डीईओ राजकुमार प्रसाद सिंह सहित जज की भूमिका में रांची कॉलेज फिजिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ एपी साहा, संत जेवियर कॉलेज के डॉ संजय कुमार व तरूण कुमार लाला मौजूद थे।

रिजल्ट को लेकर हुआ विवाद

फ‌र्स्ट पोजिशन पर उमंग के नाम की घोषणा होते ही आद्या मिश्रा के पिता डॉ एनडी मिश्रा ने पक्षपात का आरोप लगा दिया। मंच के समीप आकर हंगामा करने लगे। उन्होंने निर्णायक मंडली पर पक्षपात का आरोप लगाया। हालांकि निर्णाय मंडली की ओर से एपी साहा ने उनके सभी सवालों का जवाब दिया। कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों ने डॉ एनडी मिश्रा को समझाया तब जाकर माहौल कुछ शांत हुआ। हालांकि उन्होंने कहा है कि वह इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे।

आधे से अधिक स्टूडेंट्स नहीं बता पाए, प्रकाश क्या है

सेमिनार में ख्क् जिलों से फ्म् कैंडिडेट आए थे। इसमें से क्9 लड़कियां थीं। मंच पर प्रेजेंटेशन के बाद निर्णायक मंडली की ओर से सवाल किए गए। इसमें ज्यादातर कैंडिडेट्स प्रकाश के बारे में नहीं बता पाए। क्भ् से ज्यादा कैंडिडेट मेन टॉपिक से भटक गए। डायवर्ट होकर उनकी चर्चा सोलर एनर्जी पर चली गई। कुछ स्टूडेंट्स फॉर्मल ड्रेस और हवाई चप्पल में ही सेमिनार में भाग लेने आ गए थे। जबकि सभी को स्कूल ड््रेस, जूता में आना था। ज्यादातर स्टूडेंट प्रेजेंटेशन के दौरान सब्जेक्ट से भटक गए या फिर अटक गए। ऐसा तब हुआ जब सभी कैंडिडेट्स का सेलेक्शन प्रखंड स्तरीय और जिला स्तरीय प्रतियोगिता के बाद हुआ था। सटीक तैयारी और मार्गदर्शन का अभाव भी इसका कारण रहा है। कुछ स्टूडेंट्स माइक और तामझाम देखकर भी नहीं बोल पा रहे थे। इसकी तैयारी उन्हें नहीं कराई गई थी। सभी कैंडिडेट्स के साथ उनके टीचर भी प्रोग्राम में आए थे। गोड्डा, जामताड़ा और सरायकेला जिले से किसी भी स्टूडेंट्स ने हिस्सा नहीं लिया।

समय से पहले स्पीच खत्म

सेमिनार में बोलने के लिए छह मिनट के समय निर्धारित थे, लेकिन कैंडिडेट्स मुश्किल से तीन मिनट तक ही बोल पाए। बहुत कम ही स्टूडेंट थे, जिनके लिए निर्णायक मंडली को बेल बजानी पड़ी हो।