रांची (ब्यूरो)। ट्रैफिक पुलिस के बर्ताव को लेकर आम लोगों की हमेशा शिकायत रहती है। सड़क पर यातायात नियमों का पालन कराने वाले ट्रैफिक पुलिस कर्मी पब्लिक के साथ मिसबिहेव करते हैं। बगैर हेलमेट के चलने वाले पीलियर राइडर पर पुलिस हमेशा पैनी निगाह बनाए रखती है। जैसे ही कोई बिना हेलमेट के नजर आता है। पुलिस वाले लपक कर उसे पकड़ लेते हैं। लेकिन जब बड़ी-बड़ी घटनाएं होती हैं तब ये पुलिस गहरी नींद में होते हैं। तभी बड़े कांड को अंजाम देकर अपराधी बड़ी आसानी से निकल जाते हैं। आम नागरिक रेड लाइट जंप भी कर दे तो उसके साथ अपराधियों जैसा सलूक किया जाता है। कुछ दिन पहले ही हरमू किशोरगंज चौक के समीप एक युवक को पुलिस वाले ने सिर्फ इस लिए थप्पड़ मार दिया क्योंकि उसने हेलमेट नहीं पहना था। वहीं एक दिन पहले एक कार सवार को रोककर ट्रैफिक पुलिस उसके साथ काफी बदतमीजी की। इन दोनों मामलों को रांची की जनता ने सोशल मीडिया पर मुद्दा बनाया है। सिर्फ पब्लिक ही नहीं, सांसद ने भी ट्विट करके दोषी पुलिस कर्मी पर कार्रवाई की मांग की है। इस पर रांची पुलिस ने संज्ञान लिया है।

आए दिन हो रही बहस

छोटी-छोटी बात पर भी पुलिस-पब्लिक के बीच बड़ी बहस हो जाती है। ट्रैफिक पुलिस ने अपनी ड्यूटी बस चालान काटने तक ही सीमित कर ली है। किसी भी व्यक्ति को नियम तोड़ता देख पुलिस कर्मी फौरन पॉश मशीन निकाल कर चालान काटना शुरू कर देते हैं। इसी बात पर पुलिस और पब्लिक के बीच बहस शुरू होती है जो बढ़ते हुए थाने तक भी पहुंच जाती है। सिटी के अलग-अलग चौक-चौराहों से हर दिन नोक-झोंक की शिकायतें आती रहती हैं। पुलिस वालों की कंप्लेन के बाद भी पुलिस कर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं होती। लेकिन पब्लिक को पुलिस जितना चाहे उतना टॉर्चर करती है। कुछ महीने पहले ही अल्बर्ट एक्का चौक पर ऑटो ड्राइवर को ट्रैफिक पुलिस ने पकड़ लिया। उसके साथ गाली-गलौज और मारपीट भी की। जबकि ऑटो में एक गर्भवती महिला बैठी थी, जिसे ऑटो चालक सदर अस्पताल लेकर जा रहा था। ड्राइवर ने पुलिस कर्मी के खिलाफ कोतवाली थाने में लिखित शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

तनाव में पुलिस कर्मी

पुलिस वाले भी लगातार ड्यूटी के कारण तनाव में रहते हैं। पुलिस कर्मियों का कहना है कि सरकार उनसे 12 घंटे काम ले रही है। आराम तो दूर की बात कड़ी धूप में ड्यूटी के कारण कई पुलिस कर्मी डिहाइडे्रशन के भी शिकार हो रहे हैं। लगातार ड्यूटी के कारण पुलिस वाले चिड़चिड़े भी होते जा रहे हैं। बात-बात पर पुलिस कर्मी पब्लिक से उलझ बैठते हैं। मनोचिकित्सक डॉ शेखर सिंह बताते हैं कि छह से आठ घंटे काम के बाद रेस्ट जरूरी होता है। साप्ताहिक अवकाश भी जरूरी होता है। पुलिस कर्मियों के वर्किंग रुटिन में रेस्ट बहुत कम होता है। वहीं ट्रैफिक पुलिस कर्मियों ने बताया कि कड़ी धूप में लगातार काम लिया जाता है। एक मिनट का भी रेस्ट नहीं है। खाना खाने का भी वक्त नहीं मिलता है। दिन भर की ड्यूटी के बाद रात नौ बजे क्वार्टर पहुंचते हैं। अगले दिन सुबह आठ बजे से ही ड्यूटी ज्वाइन करनी होती है। पब्लिक को भी पुलिस का सहयोग करना चाहिए। लोग यदि नियमों का पालन करेंगे तो उन्हें किसी परेशानी का सामना नहीं करना होगा।

नियमों का पालन भी है जरूरी

सड़क पर वाहन लेकर चलते समय नियमों का पालन करना भी जरूरी है। ड्राइविंग लाइसेंस और गाड़ी के पेपर भी साथ रखना चाहिए। इसके अलावा राइडर और पीलियन राइडर दोनों को आईएसआई लेवल लगा हेलमेट का ही इस्तेमाल करना चाहिए। पुलिस यदि रोके तो उनसे उलझने के बजाय को-ऑपरेट करने पर कोई समस्या नहीं खड़ी होगी। फोर व्हीलर चलाते समय सीट बेल्ट बांधना चाहिए। इसके अलावा ट्रैफिक सिग्नल, जेब्रा क्रासिंग, रेड लाइट जंप आदि का भी ख्याल लोगों को रखना चाहिए।