रांची (ब्यूरो) । झारखंड हाई कोर्ट ने अवमानना के एक मामले में राज्य के परिवहन सचिव के श्रीनिवासन की गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने रांची के एसएसपी को जमानतीय वारंट सौंपते हुए सचिव को 17 अप्रैल को दोपहर 1.15 बजे कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने अवमानना के मामले में कई बार निर्देश देने के बाद भी जवाब दाखिल नहीं करने पर सचिव के खिलाफ वारंट जारी किया है। इस संबंध में सुनील कुमार पासवान की ओर से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है।

कई जवाब ही नहीं दिया

हाई कोर्ट ने पूर्व में परिवहन सचिव को मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) के रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। अदालत ने सचिव से पूछा था कि रिक्त पदों को भरने के लिए कर्मचारी चयन आयोग को कब अधियाचना भेजी जाएगी, कब विज्ञापन निकलेगा और कब तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। अदालत ने परिवहन सचिव को स्वयं शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। 29 मार्च तक अदालत ने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। 29 मार्च को सचिव की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए फिर दो सप्ताह का समय मांगा गया। इसके बाद अदालत ने समय देते हुए 13 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा था। इस दिन भी सचिव की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जा सका।

वारंट के अलावा कोई विकल्प नहीं

हाई कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और कहा कि सचिव अदालत के निर्देश का पालन करने में विफल रहे हैं। अदालत के सामने अब उनके खिलाफ वारंट जारी करने के सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने अदालत से वारंट जारी करने के बदले सचिव को सशरीर हाजिर होने की अनुमति देने का आग्रह किया, लेकिन अदालत ने इस आग्रह को खारिज करते हुए सचिव के खिलाफ वारंट जारी करते हुए एसएसपी को 17 अप्रैल को दिन के 1.15 बजे कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया।

क्या हुआ था 25 मार्च की सुनवाई में

इस अवमानना मामले में झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआइ) के रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति करने की प्रक्रिया की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की थी। 25 मार्च को सुनवाई के बाद अदालत ने परिवहन सचिव को नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। अदालत ने इस मामले में परिवहन सचिव को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। अदालत ने पूछा था कि रिक्त पदों को भरने के लिए कर्मचारी चयन आयोग को कब अधियाचना भेजी जाएगी। कब विज्ञापन निकलेगा और कब तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को रखी गई थी।

क्या कहा गया है याचिका में

याचिका में कहा गया है कि अदालत ने एमवीआई के रिक्त पद दस साल से खाली है। इस पद पर नियमित नियुक्ति नहीं की जा रही है। दूसरे विभाग के पदाधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर कामकाज कराया जा रहा है। प्रार्थी के अधिवक्ता कृष्ण मुरारी ने अदालत को बताया कि अदालत ने कई बार परिवहन सचिव को एमवीआई के पद पर नियमित नियुक्ति करने का निर्देश दिया है, लेकिन सरकार जल संसाधन और पेयजल विभाग के कर्मचारियों को एमवीआई के पद पर प्रतिनियुक्ति की है। सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता राहुल साबू ने अदालत को बताया कि 28 फरवरी तक राज्य में एमवीआई के 49 पद स्वीकृत हैं। फिलहाल तीन लोग ही नियमित हैं। 15 लोग पेयजल और जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति की गयी है।