- गर्मी पास, आधे टैंकर हो गए बर्बाद, कैसे बुझेगी सिटी के लोगों की प्यास

-स्टील के टैंकर खरीदने की बनी थी योजना, नल तक नहीं है नगर निगम के टैंकर में

- 76 टैंकर हैं पूरी सिटी में वाटर सप्लाई के लिए

- 63 टैंकर थे नगर निगम के अपने

- 13 टैंकर खरीदने को सांसद ने दिया था फंड

- 53 वार्ड आते हैं रांची नगर निगम क्षेत्र में

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सिटी के कई इलाकों में पानी का लेवल नीचे जा चुका है। वहीं कुछ इलाकों में पानी की किल्लत भी शुरू हो चुकी है। आज तो स्थिति यह है कि लोगों ने टैंकर से पानी भी मंगवाना शुरू कर दिया है, ताकि लोग अपने घरों के जरूरी काम निपटा सकें। अभी गर्मी शुरू भी नहीं हुई है कि वाटर सप्लाई नेटवर्क ध्वस्त होने लगा है। वहीं आधे टैंकर बर्बाद हो चुके हैं, जिससे कि गर्मी में इस बार पानी के लिए लोगों को दौड़ लगानी पड़ेगी। वहीं निगम को भी पानी पिलाने के लिए सोचना पड़ेगा।

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निगम ने अबतक शुरू नहीं की तैयारी

गर्मी की हल्की दस्तक सिटी में हो चुकी है। दिन में सूरज लोगों को तपा रहा है। वार्डो में पीने के पानी को लेकर संकट की स्थिति हो गई है। इसके बावजूद टैंकर से सप्लाई के लिए रांची नगर निगम ने तैयारी अब तक नहीं शुरू की है। बकरी बाजार स्थित स्टोर में पिछले छह महीने से ये टैंकर इधर-उधर पड़े हुए हैं, जिससे समझा जा सकता है कि नगर निगम ने सिटी में पानी की समस्या से निपटने को लेकर कितना गंभीर है।

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76 में से 30 टैंकर हो गए बर्बाद

पूरी सिटी को पानी पिलाने के लिए नगर निगम के पास कुल 63 टैंकर थे। वहीं 13 टैंकर सांसद के फंड से खरीदे गए थे। जिससे कि पूरे शहर में पानी की सप्लाई बिना किसी रुकावट के की जा सके। अब उसमें से आधे टैंकर मेंटनेंस के अभाव में जर्जर हो चुके हैं। कई टैंकरों में जंग लग चुका है और कुछ टैंकर जंग लगने के बाद पूरी तरह कबाड़ बन चुके हैं। कई टैंकरों में तो जंग लगने के बाद छेद हो गए हैं, जिससे कि टैंकर में पानी भरने के बाद पानी बहता रहता है। टैंकर की रिपेयरिंग नहीं कराई जाती है तो इस गर्मी काफी परेशानी होगी।

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स्टील टैंकर की योजना ठंडे बस्ते में

नगर निगम ने सिटी में टैंकर से पानी सप्लाई के लिए स्टील के टैंकर खरीदने की योजना बनाई थी। वहीं इसके लिए सप्लाई करने वाली एजेंसियों से कोटेशन भी मंगाए गए थे, जिससे खरीदारी में खर्च लोहे के टैंकर की तुलना में थोड़ा ज्यादा होता। लेकिन उसका मेंटेनेंस करने में मामूली खर्च किया जाता। वहीं रख-रखाव के लिए भी ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। लेकिन यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। वहीं कोरोना की दस्तक के बाद नई कोई योजना पर काम नहीं हुआ।

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दिसंबर से कई इलाकों में दिक्कत

गर्मी आते ही राजधानी रांची के कई हिस्से ड्राई जोन में कन्वर्ट हो जाते हैं। इसमें कांके रोड, मोरहाबादी, लालपुर, बरियातू, रातू रोड समेत कई घनी आबादी वाले इलाके शामिल हैं। वहीं कांटाटोली और डोरंडा इलाके में भी लोहों को पानी के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। ग्राउंड वाटर का लेवल नीचे चले जाने के कारण तुपुदाना, विद्यानगर, मधुकम, एदलहातू और कांके में तो पानी के लिए लोगों को दौड़ लगानी पड़ती है। इस बार तो कई इलाकों में दिसंबर से ही पानी के लिए लोग परेशान है।

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सेनेटाइजेशन में लगे हैं कई टैंकर

नगर निगम पानी की सप्लाई को लेकर गंभीर नहीं है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आधा दर्जन टैंकर को सेनेटाइजेशन में लगा दिया गया है। इसमें मोटर लगाकर प्रभावित क्षेत्रों में सेनेटाइजेशन कराया जा रहा है। ऐसे में ये टैंकर भी लंबे समय से केमिकल के यूज के कारण बर्बाद हो चुके है। अब इस टैंकर से तो पानी की सप्लाई नहीं की जाएगी।