रांची (ब्यूरो)। वाटर क्राइसिस को लेकर सबसे खराब स्थिति हरमू, मोरहाबादी और कांके का है। इन इलाकों में ड्राई जोन जैसे हालात हो गए हैं। पानी का लेवल सात सौ फीट नीचे चला गया है। लोग संभल-संभल कर मोटर का प्रयोग कर रहे हैं। कहीं मोटर जल न जाए। वहीं सरकारी अमला कान में तेल डाल कर सो रहा है। शहर में पानी की कमी दूर करने की जिम्मेवारी नगर निगम, वाटर बोर्ड और जल विभाग की है। लेकिन बढ़ती गर्मी के बीच इन तीनों इकाईयों से अब तक एक भी पहल शुरू नहीं हुई है। न तो खराब चापाकल रिपेयर किए गए हैं। न बेकार पड़ी बोरिंग को जिंदा किया गया और न ही वाटर सप्लाई के लिए टैंकर की खरीदारी हुई। पानी की सप्लाई में भी कटौती होने लगी है। एक से दो दिन गैप कर पानी की सप्लाई की जा रही है। लोगों को पानी की मुसीबतें अभी से ही होने लगी है।
नहीं दिख रही तैयारी
वैसे तो हर साल गर्मी के मौसम में पानी का संकट होता है। लेकिन अप्रैल या मई महीने से यह संकट बढ़ता थी। इस बार मार्च के दूसरे हफ्ते से ही समस्या होने लगी है। ड्राई जोन वाले इलाकों में वाटर लेवल नीचे जाने से कुएं और हैंडपंप सूखने लगे हैं। घरों की बोरिंग में भी पानी का प्रेशर कम होने लगा है। हरमू, विद्यानगर, मधुकम, मोरहाबादी चिरौंदी इलाके में भूगर्भ जल स्तर सात फीट नीचे चला गया है। नगर निगम के टैंकर पानी लेकर दौडऩे लगे हैं। वार्ड 26 के पार्षद का कहना है कि अभी से ही बोरिंग सूखने लगी है। पेयजल संकट दूर करने के लिए नगर निगम की भी कोई खास तैयारी नजर नहीं आ रही है। 53 वार्डों में पानी सप्लाई के लिए नगर निगम के पास महज 43 टैंकर हैं। टैंकरों में पानी भरने के लिए नगर निगम सिर्फ दो हाइड्रेंट पर निर्भर है। एक हाईड्रेंट बकरी बाजार और दूसरा हरमू एमटीएस में है। इसके अलावा डोरंडा, कर्बला चौक, हरमू व अन्य इलाकों में भी नगर निगम का हाईड्रेंट है। लेकिन ये इस्तेमाल नहीं होने से खराब हो रहे हैं। मामूली रिपेयरिंग कराकर इससे पानी निकाला जा सकता है। हाइड्रेंट के अलावा नगर निगम द्वारा लगवाए गए मिनी एचवाईडीटी को भी मरम्मत की जरूरत है।