रांची(ब्यूरो)। कुछ साल पहले यहां पानी लबालब भरा रहता था। नदी से बहकर आया पानी यहां झरने की शक्ल में गिरता था, जिससे नजारा खूबसूरत दिखता था। तालाब होने से पास में घने पेड़-पौधे थे, लेकिन आज सिर्फ यहां सूखा है। पानी की जगह कंक्रीट के जंगल दिख रहे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं डिस्टिलरी तालाब की, जो रांची के लालपुर से कोकर की ओर जाने वाले रास्ते में पड़ता है, जिसे सौंदर्यीकरण के नाम पर बर्बाद कर दिया गया। नेचुरल रिसोर्सेज वाला यह स्थान दोहन का जीता जागता उदाहरण बन कर रह गया है। ऐसे ही नेचुरल रिसोर्सेज के सैकड़ों उदाहरण सिटी में भरे पड़े हैं, जो या तो बर्बाद कर दिए गए या बर्बादी के कगार पर हैं। इन रिसोर्सेज की वर्तमान स्थिति पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट एक अभियान शुरू कर रहा हैै, जिसकी कहानी एक-एक कर प्रकाशित की जाएगी। पहले दिन डिस्टिलरी तालाब से शुरुआत।

10-12 साल में तालाब बर्बाद

डिस्टिलरी पुल के समीप रहने वाले 55 वर्षीय रामनरेश साहू ने बताया कि महज दस से बारह साल में इसे बर्बाद कर दिया गया। कुछ साल पहले तक यहां पानी की कमी नहीं होती थी। तालाब पानी से लबालब भरा रहता था। इस जगह का नजारा अद्भुत था। लोग दूर-दूर से यहां का सौंदर्य देखने आते थे। लेकिन भू-मााफियाओं द्वारा इस जगह को बर्बाद कर दिया गया। भू-माफियों की मदद से डिस्टिलरी तालाब के इलाके में अतिक्रमण कर धड़ाधड़ यहां कंक्रीट के जंगल खड़े कर दिए गए। इससे इस तालाब में पानी का स्रोत समाप्त हो गया और पानी सूखने लगा। जैसे जैसे पानी सूखता गया यहां कंक्रीट के जंगल खड़े होते चले गए। रामनरेश बताते हैं कि साल 2004 तक इस जगह डिस्टिलरी तालाब हुआ करता था। करम नदी से पानी बह कर आता जो इस जगह पर बने चेकनुमा डैम में जमा होता था। इस स्थान पर बड़ा तालाब था, जिसे डिस्टिलरी तालाब के नाम से जाना जाता था। आज स्थिति ऐसी हो गई है कि डिस्टिलरी तालाब सिर्फ एक नाम बनकर रह गया है। यहां तालाब या पानी जैसी कोई चीज नहीं है।

पार्क व सब्जी मार्केट का झांसा

डिस्टिलरी तालाब को बचाने की जगह नगर निगम भी इसके दोहन में शामिल रहा है। नगर निगम अपना ड्रीम प्रोजक्ट बताकर इस तालाब का जो थोड़ा बहुत अस्तित्व था उसे भी मिटा दिया। पार्क के नाम पर यहां करोड़ों रुपए लूटा दिए गए। जो कभी बड़ा तालाब की शक्ल में था, आज यह एक संकुचित नाला बन चुका है। आसपास के लोग बताते हैं कि नगर निगम द्वारा किए गए सौंदर्यीकरण के काम से पहले तालाब पर बने चेकडैम के कारण नजारा वाटर फॉल की तरह होता था। करम नदी का पानी यहां एकत्र होने के बाद झरने की तरह नीचे गिरता था। जिसे देखने काफी लोग आते थे। इस जगह पर नगर निगम ने एक पार्क का निर्माण कराया है। जो मुश्किल से एक महीने भी नहीं खुला। वहीं पास में ही एक सब्जी मार्केट का भी निर्माण कराया जा रहा है।

आसपास में नहीं थी पानी की कमी

डिस्टिलरी तालाब में पानी लबालब होता था। इससे आसपास का भी ग्राउंड वाटर लेवल हमेशा रिचार्ज होता रहता था, जिससे लोगों की बोरिंग या कुंए सूखते नहीं थे। धीरे-धीरे अतिक्रमण के कारण नदी सिमट गयी। नदी के किनारे अंधाधुंध घरों के निर्माण ने तो नदी को छोटा कर दिया, लेकिन रांची नगर निगम ने इस तालाब को सौंदर्यीकरण के नाम पूरी तरह से खत्म कर दिया। तालाब के सूखने पर अब यहां रहने वाले लोगों को पानी की दिक्कतें भी होने लगी हैं। ग्राउंड वाटर रिचार्ज नहीं हो पाता, जिससे समय से पहले ही लोगों के कुएं और बोरिंग सूखने लगते हैं। लालपुर, वद्र्धमान कंपाउंड, पीस रोड, कोकर, चूना भट्टा, भाभानगर, हनुमान नगर, आदि क्षेत्रों और मोहल्लों में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया है। नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय की जिद से यहां पार्क और छोटा तालाब का भी निर्माण कराया गया है। लेकिन धरातल में पानी होने और बारिश में पार्क की दीवार और तालाब दोनों धंस गए। इसके बाद अब अंडरग्राउंड सब्जी मार्केट का निर्माण इसी जगह पर हो रहा है, जिससे यहां आने वाले दिनों में नाला भी गायब हो जाएगा।