रांची (ब्यूरो): रुक्का की सफाई के लिए अहमदाबाद की एजेंसी हार्डवेयर एंड टूल्स कंपनी का चयन किया गया है। डैम की सफाई 52 साल में पहली बार की जाएगी। करीब 12 फीट गाद निकाला जाएगा। ऐसा करने से न सिर्फ डैम का पानी साफ होगा, बल्कि इसकी कैपिसिटी भी बढ़ेगी।

गेट की रिपेयरिंग भी

सफाई के साथ-साथ फाटक के गेट की रिपेयरिंग भी की जाएगी, ताकि स्पीलवे गेट के पास जमे करीब 20 फीट गाद को बाहर लाने लाया जा सके। डैम की सफाई नहीं होने से काफी मात्रा में गाद जम गया है, जिससे पानी स्टोरेज कैपिसिटी भी कम हुई है। रुक्का डैम को रांची का लाइफ लाइन कहा जाता है, क्योंकि आध्भी रांची की प्यास इसी डैम के पानी से बुझती है।

1965 में बना था डैम

रुक्का डैम का निर्माण 52 साल पहले 1965 में किया गया था। रूस की चनचनी कंपनी ने इस डैम का निर्माण किया था। पांच दशक से लगातार इसमें कीचड़ ारता जा रहा है। गाद को बाहर निकालने के लिए स्लुइस गेट का डिजाइन किया गया था, लेकिन गाद और कीचड़ से यह गेट बंद पड़ गया है। सफाई होने के बाद गेट की मरमत की जाएगी और गाद आसानी से बाहर निकल सके इसका भी बंदोबस्त किया जाएगा।

बढ़ेगी ांडारण क्षमता

रुक्का डैम की ांडारण क्षमता 36 फीट है, लेकिन गाद ारने के कारण इसकी कैपिसिटी फिलहाल सिर्फ 24 फीट रह गई है। इसमें भी अच्छी बारिश नहीं होने के कारण पानी का ांडारण कभी 21 तो कभी 22 फीट तक ही हो पाता है। इस बार जुलाई में रुक्का में ांडारण सिर्फ 14.08 फीट तक ही था। जो 2018 के बाद इस साल देाा गया। इसके पीछे की वजह मानसून का कमजोर होना भी बताया जा रहा है।

सिकिदरी पावर प्लांट नहीं होगा बंद

डैम की कैपिसिटी बढऩे से सिकिदरी पावर प्लांट को भी बंद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पानी की डिमांड बढऩे पर सिकिदरी हाइड्रल प्रोजेक्ट को भी बंद करना पड़ जाता है। डैम की सफाई का एक बड़ा फायदा यह भी होगा कि गर्मी के दिनों में भी सिकिदरी जलविद्युत परियोजना से बिजली उत्पादन किया जा सकेगा। जलापूर्ति में भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब हो कि गेतलसूद डैम पर बना सिकिदिरी हाइडल पावर प्लांट साल में 10 महीने बंद ही रहता है। गर्मी में तो चार से पांच महीने तक प्लांट से विद्युत उत्पादन पूरी तरह ठप हो जाता है। अन्य महीनों में हर दो दिन के बाद प्लांट बंद करना पड़ता है। इसका कारण है कि यदि एक दिन प्लांट चलता है तो 15 दिनों तक सप्लाई किया जाने वाला पानी डैम से बह जाता है। इसे लेकर पेयजल और विद्युत प्लांट के बीच तनातनी रहती है। यदि डैम कर जलस्तर बेहतर हो और जिस उद्देश्य के साथ डैम बना था वह शुरू हो तो सिकिदिरी प्लांट से रांची की आधी बिजली जरूरत को प्लांट अकेले पूरा कर सकती है। सिकिदरी हाइडल प्लांट से करीब 120 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। यदि यह उत्पादन रोजाना हो तो शहर में विद्युत आपूर्ति में भी सुधार होगा। लेकिन इसके लिए जलस्तर बढऩा बेहद जरूरी है।