रांची (ब्यूरो)। घर बन जाएगा तब कीजिएगा नक्शा पास? जी हां, रांची नगर निगम की जो कार्यशैली है, उससे तो यही लगता है। आलम यह है कि नगर निगम में 500 से अधिक नक्शा पास का आवेदन पेंडिंग पड़ा हुआ है। अब इधर हाईकोर्ट के आदेश पर नगर निगम में नक्शा पास पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में पेंडेंसी और बढऩा लाजिमी है। हो भी क्यों नहीं, आखिर बिना नक्शा पास कराए लोग घर बनाएंगे तभी तो नगर निगम उन पर जुर्माना लगाकर अपना खजाना भरेगा। सिटी में घर निर्माण कराने वाले लोगों को अब हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार है।
कंस्ट्रक्शन को लगा ब्रेक
रांची में बहुत सारे निर्माण का काम बंद हो गया है। शहर में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्होंने निर्माण कार्य शुरू कर दिया उसके बाद निगम में नक्शा के लिए आवेदन दिया है। इधर, कोर्ट के आदेश के बाद नक्शा पास नहीं हो रहा है। ऐसे में जिन लोगों ने नक्शा पास कराने के लिए आवेदन दिया है, उनका नक्शा भी पास नहीं हो पाया। ऐसे में लोगों को अब निर्माण कार्य रोकना पड़ रहा है।
सैकड़ों आवेदन पेंडिंग
हाईकोर्ट के आदेश से नगर निकाय, आरआरडीए में नक्शा पास करने पर रोक है। वहीं नगर निगम में 500 से अधिक भवनों का नक्शा जारी नहीं किया गया है। इसकी वजह यह है कि नक्शा स्वीकृत होने के बाद आवेदकों ने सड़क चौड़ीकरण के लिए जमीन गिफ्ट तो कर दी, पर बाउंड्री पीछे नहीं की है। इसलिए निगम ने नक्शा जारी नहीं किया है।
रियल एस्टेट का काम ठप
आवेदकों को मकान का नक्शा निगम से नहीं मिलने पर वह निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी ओर नगर निगम में सभी तरह के काम पर पूरी तरह रोक लगी हुई है। निजी मकान के अलावा मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के निर्माण पर भी रोक लगी है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित है। निर्माण कार्य पर रोक लगने के कारण हजारों मजदूर मायूस होकर अपने-अपने गांव लौट रहे हैं। गौरतलब है कि रांची में सात साल से मास्टर प्लान रिवाइज नहीं किया गया है। जबकि हर पांच साल पर इसे रिवाइज करने का नियम है। ग्रीन लैंड, ओपन स्पेस लैंड यूज होने के कारण नगर निगम और आरआरडीए नक्शा पास नहीं कर रहे हैं।
आसपास में भी नहीं हो रहा काम
रांची के ओरमांझी, कांके, नामकुम इलाकों में भी नया निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। कुड़मी-महतो खाता की जमीन को सीएनटी में शामिल किए जाने के कारण डेवलपमेंट का काम रुक चुका है। बता दें कि किसी तरह के डेवलपमेंट के लिए नक्शा पास कराकर रेरा से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है, लेकिन झारेरा में तीन महीने से चेयरमैन के पद पर कोई नहीं है। इस वजह से किसी भी अपार्टमेंट का रजिस्ट्रेशन तक नहीं हो पा रहा है।
नक्शा पास नहीं होने के कारण
1. अंतिम सर्वे 90 साल पहले
-जमीन से जुड़े कागजात में आपत्ति दर्ज की जा रही है। रांची में अंतिम सर्वे 90 वर्ष पहले हुआ था। इतने वर्षों में एक ही जमीन कई बार बिकी। कुछ के कागज अपडेट हुए तो सैकड़ों राजस्व गांव का खतियान फट चुका है। निबंधित पट्टा रिकॉर्ड रूम से गायब है।

2. जमीन का नेचर नहीं बदला
लैंड यूज में बदलाव नहीं होना भी एक मुख्य कारण है। रांची के मास्टर प्लान में दो वर्ष पहले ही संशोधन किया जाना था, लेकिन नगर निगम ने यह काम नहीं किया। इससे सात वर्ष पहले मास्टर प्लान में तय लैंड यूज के आधार पर ही नक्शा स्वीकृत हो रहा है।

3. रोड के लिए नहीं छोड़ी जमीन
सड़क चौड़ीकरण के लिए जमीन नहीं छोडऩा भी एक कारण है। आवेदन के बाद मास्टर प्लान से सड़क कम चौड़ी होने पर उतनी जमीन आवेदक को दान करनी पड़ती है। कई स्थानों पर 10 से 15 फीट सामने की जमीन छोडऩे की नौबत आती है। इसलिए संकरी सड़कों पर बिना नक्शा के लोग घर बना रहे हैं।
4. सीएनटी जमीन का हस्तांतरण नहीं
यहां सामान्य जाति की जमीन काफी कम थी। इसलिए सीएनटी प्रभावित जमीन लेकर लोग किसी तरह घर बनाकर गुजर-बसर कर रहे हैं। लेकिन इसका हस्तांतरण नहीं होने से भवन का नक्शा पास नहीं कराया जा सकता।
5. पैसा भी होता है खर्च
नक्शा पास कराने में मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। एक हजार वर्ग फीट के घर का नक्शा पास कराने में 16 हजार रुपए फीस है। लेकिन आवेदक को कागजात अपडेट कराने आदि में 20 हजार तक रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ऑर्किटेक्ट भी 30 हजार रुपए तक वसूलते हैं।


कोर्ट के आदेश के बाद अभी नक्शा जारी करने पर रोक लगाया गया है। अब कोर्ट का जो भी आदेश मिलेगा, उसी के अनुसार काम किया जाएगा।
-कुंवर सिंह पाहन, अपर नगर आयुक्त, आरएमसी