रांची(ब्यूरो)। जाम छलकाना अब होगा और भी महंगा। जी हां, यदि आप भी इसके शौकिन हैं तो अब आपको यह शौक और महंगा पडऩे वाला है। झारखंड में शराब की कीमतें और बढ़ेंगी। दरअसल, थोक विक्रेताओं की लाइसेंस फ स में सरकार की तरफ से एक्स डिस्टीलरी प्राइस इडीपी लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय राजस्व वसूली और शराब की खुदरा बिक्री में कमी आने की वजह से लिया गया है। उत्पाद विभाग के उपायुक्त मुख्यालय की तरफ से इस संबंध में सभी थोक विक्रेताओं को इडीपी लागू करने का निर्देश भी दिया गया है।

कम हो रही है बिक्री

उन्होंने दिशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड को पत्र लिख कर इडीपी लागू करने को कहा गया है। जानकारी के अनुसार, 11 जिलों में शराब की बिक्री कम होने पर स्पष्टीकरण की भी मांग की गई है। अब झारखंड में पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और ओडि़शा की तुलना में शराब की कीमतें और अधिक होंगी। झारखंड मदिरा का भंडारण और थोक बिक्री नियमावली के नियम 9.1, तथा 2.14 के आलोक में इडीपी लागू करने का प्रावधान है। ऐसे में बिक्री नियमावली के अंतर्गत एक्स डिस्टीलरी प्राइस, एक्स ब्रीवरी प्राइस, एक्स वाइनरी प्राइस के जरिए थोक विक्रेता रिटेलरी से इसकी वसूली कर सकते हैं। इसमें लागत, पैकेजिंग, समर्पित मूल्य का कॉस्ट जोड़ा जा सकता है। इसमें होलसेलर लागत और परिवहन व्यय को भी शामिल कर सकते हैं। इसमें विभागीय हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है।

कम हुई शराब बिक्री

झारखंड में नई उत्पाद नीति घोषित होने के बाद चार महीने बाद शराब की बिक्री कम हो गई है। खुदरा शराब दुकानों की सेल एफि सिएंसी बिक्री संतोषजनक नहीं होने को लेकर उत्पाद आयुक्त ने 11 जिलों के सहायक उत्पाद आयुक्तों से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने रामगढ़, धनबाद, गढ़वा, लोहरदगा, सिमडेगा, पलामू, जामताड़ा, पाकुड़, गिरिडीह, सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम के सहायक आयुक्त से स्पष्टीकरण की मांग की है। उत्पाद आयुक्त ने कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के अगस्त माह की बिक्री काफ कम हुई है। अगस्त माह के लिए पूरे राज्य से 392.32 करोड़ रुपए की शराब बिक्री का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जबकि अगस्त माह में मात्र 251.14 करोड़ की ही शराब सभी 24 जिलों में बिकी। इसकी वजह से राजस्व में 36 फ सदी की गिरावट दर्ज की गई।

हफ्ते भर में मांगा जवाब

उत्पाद आयुक्त ने इस संबंध में सभी संबंधित जिलों के सहायक आयुक्त से एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो राजस्व में शिथिलता मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ के सुबोध जायसवाल ने शराब की बिक्री कम होने पर कहा है कि झारखंड स्टेट बेवरेज कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा जो निकाला गया है आंकड़ा उसमें देखा जा सकता है कि मई से 8 सितंबर तक टारगेट कितना करना था और कितना टारगेट अचीव हुआ। उनके अनुसार सरकार का शराब का रेवेन्यू तो 110 परसेंट सुरक्षित है। यह हासिल भी हो जाएगा। जेएसबीसीएल का कंपनी और गोदाम, दुकानों की देनदारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जो अंत में कंपनी के बकाये में जुड़ेगा। दुकानों का बकाया, गोदाम का बकाया जेएसबीसीएल कहां से देगा, क्योंकि जेएसबीसीएल के पास अपना फ ंड नहीं है। मात्र 20 करोड ही फ ंड है जबकि कम से कम 100 करोड़ की जरूरत है। इस वर्ष की शराब नीति में जेएसबीसीएल को 95 प्रतिशत निवेश गोदामों में करना है। पर अब तक मात्र 5 प्रतिशत ही प्राइवेट गोदाम में इन्वेस्ट किया गया है।