रांची: गर्मी आ गई है, और विभाग की नींद अब खुल रही है। बिजली वितरण निगम के एरिया बोर्ड की ओर से रांची के सभी इलाकों के इंजीनियरों को निर्देश दिया गया है कि गर्मी आने से पहले सभी ट्रांसफार्मर को दुरुस्त किया जाए। जो भी मेंटेनेंस करनी है अभी ही कर लें। पेड़ की टहनियां जो तार पर लटक रही हैं, उनको भी छांटने का निर्देश जारी किया गया है। हर साल शहर में बिजली तार के ऊपर टहनियां गिरने के कारण सप्लाई बाधित रहती है, लेकिन विभाग की नींद अब खुली है, जब गर्मी का सीजन पीक पर आ रहा है, तब टहनियां छांटने का निर्देश दिया गया है। शहर की जनता को 24 घंटे निर्बाध बिजली देने का वादा पहले ही पूरी तरह से फेल हो गया है।

5 साल से जीरो कट का दावा

राजधानी के लोगों को पिछले पांच साल से वादा किया जा रहा है कि शहर के लोगों को जीरो कट बिजली की सुविधा मिलेगी। लेकिन पांच साल से यह सिर्फ वादा ही नजर आ रहा है। शहर के लोगों को जीरो कट बिजली अब तक नहीं मिल पाई है। रांची में 400 करोड़ की लागत से विद्युत सुदृढ़ीकरण की योजना आरएपीडीआरपीशुरू की गयी थी। यह योजना वर्ष 2016 में आरंभ की गयी थी, तब दावा किया गया था कि योजना पूरी होते ही रांची में अबाधित बिजली मिलेगी, काम पूरा हो चुका है। लेकिन स्थिति यह है कि सबसे ज्यादा पावर कट से रांची के लोग परेशान हैं।

गर्मी आते ही बिजली गुल

आज की तिथि में रांची में 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है। थोड़ी भी आंधी आयी बिजली गुल, थोड़ी गरमी बढ़ी तो बिजली गुल, न बिजली काटने का समय न आने का समय लोगों को पता रहता है। पिछले पांच साल में बिजली की उपलब्धता की स्थिति पर गौर करें तो शहर में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पायी है। जबकि पूरी सरकार कभी वर्ष 2017 से तो कभी 2018 से तो कभी 2019 से बिजली की निर्बाध आपूर्ति की घोषणा करती रही हैं।

सेंट्रल पूल व निजी कंपनियों पर निर्भरता

पांच साल पहले सेंट्रल पूल और निजी कंपनियों से बिजली लेकर मांग पूरी करने का हो प्रयास हो रहा है। इस वित्तीय वर्ष में हर माह लगभग 545 करोड़ की बिजली खरीदी जा रही है। पांच साल में भी बिजली आपूर्ति में सुधार नहीं की गयी।

कहां से कितनी बिजली मिल रही

टीटीपीएस 277 मेगावाट तक

इनलैंड पावर 54 मेगावाट तक

सीपीपी 54 मेगावाट तक

सेंट्रल सेक्टर 550 से 610 मेगावाट तक

कुल मांग 1300 मेगावाट

आपूर्ति 900 से 1100 मेगावाट तक

कमी 150 से 200 मेगावाट तक

अघोषित कटौती से परेशानी

राजधानी में ऐसा कोई भी दिन नहीं है, जब लोगों को बिजली कटौती के कारण परेशान न होना पड़े। डेढ़ दशक बीतने के बावजूद बिजली विभाग का 24 घंटे बिजली देने का दावा धरातल पर नहीं उतरा। गर्मी हो या बरसात लोग हर मौसम में बिजली कटौती से परेशान हैं। इधर, एक सप्ताह से लगातार बिजली की ट्रिपिंग व अघोषित कटौती काफी बढ़ गयी है। लगातार हो रही बिजली की कटौती ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। लोग इनवर्टर और जेनेरेटर पर निर्भर हो गये हैं। बिजली गुल होने के बाद पता नहीं होता है कि बिजली दोबारा कब आएगी।

अंधेरे में राजधानी की सड़कें

शहर की प्रमुख सड़कों को छोड़कर लिंक रोड और कॉलोनी की दूसरी सड़कें अंधेरे में ही रहती हैं। प्रमुख सड़कों में सोलर स्ट्रीट लाइटें लगी हैं, पर बिजली गुल रहने से कनेक्टिंग सड़कों पर अंधेरा पसरा रहता है।

नहीं लगा नया प्लांट

वितरण निगम द्वारा नयी सरकार बनने के साथ 2014 से ही बिजली की स्थिति को सुधारने के बड़े-बड़े दावे किये गए। राजस्व भी बढ़ाया गया, लेकिन इस दिशा में सुधार होने के बजाय स्थिति और बिगड़ती ही गयी है। सरकार बदल भी गई, नई सरकार आ गई, लेकिन बिजली व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ।

इंडस्ट्री की हालत खस्ता

बिजली नहीं रहने के कारण सबसे बुरी स्थिति माइक्रो स्माल इंडस्ट्रीज की है। बिजली के अभाव में इंडस्ट्रीज ने उत्पादन घटा दिया है। इंडस्ट्री के लोगों का आरोप है कि उपभोक्ताओं को बिजली वितरण निगम के भरोसे छोड़ दिया गया है। इंडस्ट्री वाले लोग कई बार सरकार से गुहार लगा चुके हैं कि बिजली की अपूर्ति ठीक की जाए, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।