रांची: राजधानी से नाबालिगों के गायब होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विशेषतौर पर नाबालिग लड़कियों के गायब होने के मामलों से पुलिस की फाइल फुल होती जा रही है। सीएम हेमंत सोरेन ने भी कहा है कि राजधानी समेत पूरे झारखंड में मानव तस्करों की बढ़ती संख्या चिंता का कारण बनती जा रही है और इनपर लगाम लगा पाना जरूरी है। चान्हो थाना क्षेत्र की रहने वाली एक नाबालिग लड़की 15 जनवरी से लापता है। पुलिस को उसका अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। कई दिन बीत जाने के बाद घरवालों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय, डीजीपी और सीनियर एसपी से कर दी है जिसके बाद पुलिस मुख्यालय ने मामले से संबंधित रिपोर्ट तलब की है। लड़की के परिजनों ने थाना में 8 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है। पुलिस के पास अभी तक उनका भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पुलिस को बताया कि गांव के ही कुलदीप ने अपने परिवारवालों के सहयोग से उनकी बेटी का अपहरण किया है। लेकिन पुलिस अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
6 साल से गायब हैं 1400 बच्चे
राजधानी रांची समेत झारखंड के अलग-अलग जिलों से हर दिन औसत दो बच्चे गायब हो रहे हैं। लेकिन इनकी तलाश कर पाने में पुलिस का सिस्टम फेल साबित हो रहा है। सीआइडी के अनुसार दर्ज आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 6 वर्ष में करीब 1400 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें बच्चियों की संख्या अधिक है, जिनका कोई सुराग नहीं है।
चल रहे कई सारे ऑपरेशन
गायब बच्चों की तलाश के लिए राज्य में सीआइडी (अपराध अन्वेषण शाखा) की ओर से ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है। बच्चों की तस्करी रोकने के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, चाइल्डलाइन समेत कई संस्थाएं काम कर रही हैं। लेकिन बच्चों की तस्करी और गायब होने का सिलसिला नहीं थम रहा है। राज्य में महज आठ एंटी ह़यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट नाकाफी साबित हो रही हैं। बच्चों के गायब होने के यह आंकड़े कई गुना भी हो सकते हैं क्योंकि अनेक मामले तो दर्ज ही नहीं हो पा रहे हैं। सैकड़ों बच्चों के मां-बाप ऐसे हैं, जो बिना मामला दर्ज कराए ही अपने बच्चों के लौटने की आस में बैठे हैं।
तस्करों के निशाने पर हैं बेटियां
मानव तस्करों के निशाने पर ज्यादातर नाबालिग बच्चियां होती हैं। राज्य में इस साल दर्ज मामलों में 18 वर्ष से कम उम्र की बेटियों के गायब होने के 72 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि 18 वर्ष से अधिक उम्र की 58 बच्चियां लापता हैं। इन बेटियों की स्थिति आज कैसी है, वह कहां हैं, क्या कर रही हैं, इसकी कोई जानकारी पुलिस के पास नहीं है।
6 साल में दर्ज आंकड़े
वर्ष गुमशुदा बरामद गायब
2013 645 428 217
2014 581 343 268
2015 422 94 328
2016 723 470 253
2017 118 70 48
2018 427 141 286
नोट: 2019 के आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं।
गुमशुदा बच्चों की तलाश सघन स्तर पर की जा रही है। सभी जिलों के एसपी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी जाती रही है। जरूरत पड़ने पर इंटरस्टेट या नेशनल लेवल पर भी ऑपरेशन किए जाते हैं।
केएस मीना, एडीजी सह पुलिस प्रवक्ता