स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को नहीं दिया गया समय
वहीं इस पूरे केस को लेकर स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बी.वी. आचार्या ने बताया कि जज ने महज दस सेकेंड के अंदर पूरा फैसला सुना दिया. इतना ही नहीं मामले को लेकर प्रॉसिक्यूशन को अपनी बात रखने का एक भी मौका तक नहीं दिया गया. उनका ऐसा मानना है कि अब उन्हें नहीं लगता कि केस में अपील करने का कोई आधार शेष भी रह गया है.

अब आगे के लिए लगाए जा रहे ऐसे कयास
जयललिता की रिहाई के बाद इस मामले को लेकर अब इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि कर्नाटक सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है. वहीं तमिलनाडु को अपनी मुख्यमंत्री के तौर पर जयललिता की क्षत्रछाया फिर से मिल सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनपर चुनाव लड़ने की पाबंदी भी पूरी तरह से खत्म हो गई है. अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वह हर तरह से उम्मीदवार पद की दावेदार हो सकती हैं. इसके साथ ही सिर्फ जयललिता के दम पर चलने वाली उनकी पार्टी AIADMK के अस्तित्व पर से भी अब हर तरह के खतरे खत्म हो चुके हैं.  

लगभग तय है CM बनना
जयललिता को लेकर हाईकोर्ट की ओर से दिए गए फैसले पर गौर करें तो उसका साफ-साफ मतलब यह निकलता है कि अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उनकी वापसी लगभग-लगभग तय है. ऐसे में हाईकोर्ट के दिए फैसले के खिलाफ अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करती भी है तो उसपर फैसला आने में अभी तो फिलहाल वक्त लगेगा. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दे, तभी जयललिता के CM बनने पर रोक लग सकती है. वहीं याद दिलाते चलें कि अगले साल तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने को हैं. ऐसे में जयललिता की पार्टी AIADMK चुनाव में अपना जोर दिखाने के लिए बिगुल फूंक सकती है.

कुछ ऐसा था मामला
एक बार नजर करें जयललिता पर चल रहे केस पर, तो यह मामला था आय से अधिक संपत्ति का. 68 करोड़ रुपए की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में निचली अदालत ने पीसीए के तहत जयललिता, शशिकला, जे. एलव अरासी व व्ही. सुधागरन को दोषी करार दे दिया गया था. इन सभी को सजा सुना दी गई थी. इस सजा के तहत जयललिता पर किसी भी सरकारी पद को लेने और छह साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई थी.

Hindi News from India News Desk

 

National News inextlive from India News Desk