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-मिट्टी से मैट पर पहुंचा गेम दे रहा दौलत और शोहरत कमाने का मौका

-सिटी में भी कबड्डी के खिलाड़ी तलाश रहे हैं नए मौके

prakashmani.tripathi@inext.co.in

PRAYAGRAJ: इस क्रिकेट क्रेजी देश में दूसरे खेलों की अनदेखी आम बात है। लेकिन भला हो डिफरेंट सुपर लीग्स का, जिनकी बदौलत अब दूसरे खेल भी सांस लेने लगे हैं। प्रो-कबड्डी लीग भी एक ऐसी ही सुपरलीग है, जिसने कबड्डी को नई जान दे दी है। यह प्रो-कबड्डी का चार्म है कि प्रयागराज में भी कबड्डी को लेकर नया क्रेज दिखने लगा है। यहां पर खिलाड़ी इस खेल में अब कॅरियर की उम्मीदें तलाशने लगे हैं।

उत्सवों से प्रोफेशनल बनने का सफर

यूं तो 2004 से 2016 के बीच हुए तीनों व‌र्ल्ड कप में इंडिया चैंपियन रही है। इसके बावजूद लोकल लेवल पर कबड्डी को लेकर रवैया बहुत नहीं बदला था। लेकिन 2014 में प्रो-कबड्डी लीग की शुरुआत के बाद से सीन बदल चुका है। अब इस खेल में ग्लैमर, पैसा और शोहरत भी जुड़ चुकी है। मैदान की मिट्टी से मैट तक पहुंची कबड्डी अब ड्राइंगरूम में टीवी पर एंज्वॉय की जाती है। केपी इंटर कॉलेज के स्पो‌र्ट्स टीचर और कबड्डी कोच उमेश खरे बताते है आज यह गेम सिटी ब्वॉयज का नया जुनून बन चुका है।

स्कूलों में भी पॉपुलैरिटी

पहले इस खेल के लिए खिलाड़ी ढूंढने पड़ते थे। लेकिन प्रो-कबड्डी का ऐसा असर हुआ कि खिलाडि़यों को छांटना पड़ता है। अब खिलाडि़यों में होड़ रहती है कि वह अपने हुनर को कैसे निखारें कि प्रो-कबड्डी तक पहुंच सकें। सिटी के कई स्कूलों में कबड्डी के लिए नियमित प्रैक्टिस करायी जाती है। यहां सिर्फ ब्वॉयज ही नहीं, ग‌र्ल्स भी बड़ी संख्या में प्रैक्टिस करती नजर आएंगी। यहां से उन्हें डिस्ट्रिक्ट, स्टेट लेवल और नेशनल लेवल के लिए रास्ता बनाने का मौका मिलता है।

वर्जन

प्रो-कबड्डी ने लोगों में कबड्डी को लेकर सोच बदल दी है। जिला स्तर पर भी कुछ लोगों को आगे आना चाहिए। इससे कबड्डी से जुड़े खिलाडि़यों को बेहतर प्रशिक्षण मिल सके गा और जिले के खिलाड़ी आगे बढ़ सकेंगे।

-उमेश खरे

कबड्डी कोच, केपी इंटर कालेज

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खेलों को बढ़ावा देने के लिए फिजिकल टीचर्स को ज्यादा से ज्यादा खिलाने का अवसर मिलना चाहिए। खाली इंटरवल व 30 या 35 मिनट की प्रैक्टिस से खिलाड़ी तैयार नहीं होगे। इसके लिए समय-समय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन होना चाहिए।

-डॉ। अंजना सिंह

स्पो‌र्ट्स टीचर एंड कबड्डी कोच

ईश्वर शरण बालिका इंटर कालेज

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खिलाडि़यों ने यह कहा

प्रो-कबड्डी के पहले लोग उतना इस खेल में इंट्रेस्ट नहीं लेते थे। लेकिन प्रो-कबड्डी ने एक नई पहचान दी है। कॅरियर चांसेज बढ़ने के कारण ही खिलाडि़यों का इंट्रेस्ट भी बढ़ा है।

-अभय निषाद

अभी हम लोग अपने कॉलेज में खेलते है। इसके बाद जिला, मंडल और स्टेट खेलते है। हमारी मांग है सरकार ज्यादा से ज्यादा स्कूलों में इस खेल को लेकर सुविधाएं मुहैया कराए।

-आर्य

प्रो कबड्डी के आने से इस खेल को लेकर कॅरियर बनाने की संभावनाएं बढ़ी हैं। ऐसे में लगता है कि अगर इस खेल में मेहनत करें तो हम भी करियर बना सकते है।

-दीपांशु पाल

कबड्डी शुरू में सिर्फ शौकिया खेलते थे। लेकिन जब इसमें करियर की संभावना दिखी तो अब नियमित रूप से प्रैक्टिस करते हैं। बेहतर खिलाड़ी बनने की कोशिश है।

-जतिन कुशवाहा

कबड्डी को लोग सीरियस खेल के रूप में नहीं देखते थे। लेकिन जब से इसमें बॉलीवुड व दूसरे खिलाड़ी इंट्रेस्ट दिखाने लगे और यहां भी पैसा दिखने लगा, लोगों और खिलाडि़यों दोनों की सोच बदली है।

-करन निषाद

क्रिकेट, वॉलीबाल जैसे गेम्स की तरह ही डिस्ट्रिक्ट लेवल पर भी प्रतियोगिताओं के आयोजन की संख्या बढ़ानी चाहिए। इससे खिलाडि़यों को अधिक से अधिक खेलने का मौका मिलेगा।

-राजीव रंजन

यह बात सही है कि पहले के मुकाबले कबड्डी को लेकर लोगों की सोच बदली है। लेकिन अभी भी इस गेम को लेकर बहुत काम होना जरूरी है।

-हरिकेश सिंह

प्रो-कबड्डी में जाने की इच्छा है, जिससे उसमें खेल सकूं और सिटी का नाम रौशन कर सकूं। यही सोचकर इस खेल के प्रति प्रैक्टिस करती हुं।

-अंशिका यादव

कबड्डी में पूरी बॉडी की कसरत हो जाती है। अब तो इसमें भी बहुत स्कोप दिखाई देता है। स्कूल टीम में सेलेक्शन के बाद से रेगुलर प्रैक्टिस करती हुं।

-कुशी सरोज

सही मायने में प्रो-कबड्डी के आने के बाद ही इस खेल को लेकर लोगों में क्रेज बढ़ा है। अभी तक सिर्फ क्रिकेट में ही ज्यादा क्रेज लोगों का देखने को मिलता था।

-सृष्टि

रंग बिरंगे ड्रेस में खेलना चाहते हैं ऐसे मे जरूरी है कि कबड्डी के लिए भी पूर्णकालिक कोच मिले। जो नई तकनीकि की जानकारी दे और हम अधिक बेहतर खेल सके।

-सुष्मिता