-जमीन पर डिपेंड करेगी मेट्रो पैसेंजर्स की फैसिलिटीज

- कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर नहीं सुलझ रहा जमीनों का मामला, राइट्स के सर्वे में 160 हेक्टेयर जमीन चुनी गई है प्रोजेक्ट के लिए

KANPUR: कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए जमीन को लेकर खींचतान मची हुई है। इसके चलते जमीन से जुड़े मामले स्टेट से लेकर सेंट्रल गवर्नमेंट तक पहुंच गए हैं। एलएमआरसी ऑफिसर्स के मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए आईडेंटीफाई की गई जितनी ज्यादा जमीन मिलेगी, उतनी ही अधिक मेट्रो पैसेंजर्स को फैसिलिटीज अवेलेवल होगी।

160 हेक्टेयर जमीन आईडेंटीफाई

कानपुर में मेट्रो के दो कॉरिडोर प्रस्तावित हैं। इसमें एक आईआईटी से फूलबाग होते हुए नौबस्ता और दूसरा सीएसए से विजय नगर होते बर्रा-8 तक है। इन दोनों मेट्रो रूट के लिए लखनऊ मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने लगभग 160 हेक्टेयर जमीन आईडेंटीफाई की है। इसमें स्टेट गवर्नमेंट की सबसे अधिक 148.705 हेक्टेयर जमीन है। इसके अलावा करीब 10 हेक्टेयर जमीन प्राइवेट व सेंट्रल गवर्नमेंट की है।

सर्वे व डिमाकर्ेशन हो रहा

160 हेक्टेयर जमीन पर मेट्रो कॉरिडोर की जमीन के अलावा हर मेट्रो स्टेशन पर पार्किग, अनवरगंज-कासगंज रेलवे क्रॉसिंग से मेट्रो स्टेशन के लिए फुटओवर ब्रिज, मेट्रो स्टेशन में ज्यादा एंट्री-एग्जिट गेट, कॉस्टिंग यार्ड, मेट्रो डिपो आदि शामिल हैं। फिलहाल लखनऊ मेट्रो रेल कार्पोरेशन के असिसटेंट इंजीनियर आदर्श कुमार, राजन सिंह आदि प्रॉयरिटी सेक्शन आईआईटी से मोतीझील तक के लिए जमीन का सर्वे व डिमार्केशन कर रहे हैं। हालांकि जमीन पाने में एलएमआरसी को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जमीन का मामला सुलझ नहीं रहा। जमीन से जुड़ी फाइलें शासन से लेकर सेंट्रल गवर्नमेंट की मिनिस्ट्री तक दौड़ रही है।

तो होगी फैसिलिटीज में कटौती

मेट्रो रेल कार्पोरेशन के ऑफिसर्स के मुताबिक अगर चिंहित की गई जमीन मिल जाते हैं। मेट्रो स्टेशन के एंट्री-एग्जिट गेट अधिक हो सकते हैं। हर स्टेशन पर पार्किग के अलावा अनवरगंज-कासगंज रेलवे लाइन पर फुटओवर ब्रिज आदि फैसिलिटीज भी कानपुराइट्स को अवेलेवल हो सकेगी, पर अभी तक जीटी रोड की एनओसी नहीं मिली, फाइल सेंट्रल रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री तक जा चुकी है। इसी तरह एचबीटीयू में कॉस्टिंग यार्ड और पॉलीटेक्निक मेट्रो डिपो की जमीन नहीं मिली। इसको लेकर शासन तक में मीटिंग हो चुकी है। अगर चुनी गई जमीनें नहीं मिलती है तो सुविधाओं में कटौती होगी।

मेट्रो के लिए चाहिए जमीन

सेंट्रल गवर्नमेंट-- 7.0454 हेक्टेयर

स्टेट गवर्नमेंट-- 148.705 हेक्टेयर

प्राइवेट-- 2.94 हेक्टेयर