प्रयागराज (ब्यूरो)। अखंड सुहाग की कामना से किया जाना वाला करवा चौथ का व्रत इस बार 17 अक्टूबर को है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को किया जाता है। इस साल यह 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्य पं। दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 17 मिनट पर और चतुर्थी तिथि का मान सम्पूर्ण दिन और रात्रिशेष 5 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। कृतिका नक्षत्र दिन में 3 बजकर 25 मिनट पर रहेगा।

वृषभ राशि पर उच्च स्थित पर है चंद्रमा

इसके बाद रोहिणी नक्षत्र। योग व्यतिपात और वरियान दोनों हैं। चंद्रमा वृषभ राशि पर उच्च स्थिति में है। पुराणों के अनुसार चन्द्रमा को नक्षत्रों में रोहिणी नक्षत्र अत्यधिक प्रिय है। उसकी स्थिति इसी नक्षत्र पर होने से वह प्रेम प्रवर्धन की समृद्धि करने वाला योग बना रहा है। ऐसे में इस बार करवाचौथ का व्रत रखने पर दाम्पत्य जीवन में हमेशा प्रेम बना रहेगा।

सूर्योदय से चन्द्रमा निकलने तक निर्जला व्रत

करवाचौथ के दिन सुहागिन स्त्रियां पति के मंगल और समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इस व्रत में सुहागिनें उस दिन सूर्योदय के पहले से चन्द्रमा निकलने तक निर्जला व्रत करती हैं। दिनभर भजन और मांगलिक एवं सात्विक कार्यो में व्यतीत रहती हैं। शाम से ही चन्द्र दर्शन तथा उसे अर्घ्य देने की तैयारी करती हैं। उस दिन वे सुन्दर वस्त्र तथा आभूषण धारणकर सम्पूर्ण श्रृंगार कर करवा की पूजा करती हैं। अर्घ्य देने के बाद ही वह कुछ ग्रहण करती हैं।

'करवाचौथ व्रत के दिन प्रेमयोग बन रहा है। ऐसे में व्रत रखने से सम्पूर्ण फल मिलेगा। व्रत के दौरान अगर कोई महिला निर्जला न रह सकें तो कुछ पेय पदार्थ ले सकती हैं।'

- पंडित दिवाकर त्रिपाठी, निदेशक, उत्थान ज्योतिष संस्थान

'रोहिणी नक्षत्र के कारण प्रेम योग बन रहा है। विगत वर्ष की तुलना में इस बार व्रत रखने वालों के जीवन में अधिक प्रेम रहेगा।'

- आचार्य अविनाश राय, ज्योतिषाचार्य

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