श्रीनगर (एएनआई)। बुधवार को श्रीनगर सेशन कोर्ट ने आतंकवादी बिट्टा कराटे की सुनवाई स्थगित कर दी। कश्मीर घाटी में आतंकवाद के शुरूआती पीड़ितों में से एक सतीश टिक्कू के परिवार ने याचिका दायर की थी । पीड़ित परिवार द्वारा दायर याचिका के बाद 31 साल पुराने मामले का ट्रायल शुरू हुआ। लेकिन अब कोर्ट इस मामले में 16 अप्रैल को फिर से सुनवाई करेगा। एडवोकेट उत्सव बैंस आतंकवादी बिट्टा कराटे के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को पीड़ित सतीश कुमार टिक्कू के परिवार की तरफ से श्रीनगर सैशन कोर्ट में आवेदन दाखिल करेंगे। एएनआई से बात करते हुए, बैंस ने कहा, आज मामले की पहली सुनवाई थी। अदालत ने मामले को सकारात्मक रूप से सुना। आगे बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार को पिछले 31 वर्षों में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं पर निष्कर्ष तक नहीं पहुंचाने के लिए फटकार लगाई। साथ ही उन्होंने कहा कि आज की सुनवाई टिक्कू के परिवार के लिए उम्मीद की किरण है।

मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को

बैंस ने आगे बताया कि अगली सुनवाई 16 अप्रैल को है। बिट्टा कराटे के वकील द्वारा रूकावट ड़ालने से सुनवाई स्थगित कर दी गई थी। कश्मीरी पंडितों के लिए काम करने वाले एक एनजीओ ने 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर 1989-90 में हिंसा के दौरान घाटी में हुई हत्याओं की जांच की मांग की थी। 24 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। उन्‍होनें कहा था कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद 27 साल से अधिक पुरानी दुर्घटनाओं पर कोई जांच करना और सबूत एकत्र करना मुश्किल है।

अलगाववादियों की एफआईआर में की जाए जांच

क्यूरेटिव पिटीशन ने सुप्रीम कोर्ट से पक्षकारों को सुनवाई के अवसर प्रदान किया। साथ ही मामले को योग्यता के आधार पर नए सिरे से निर्देश देने की मांग की। आगे यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट "इस बात की सराहना करने में पूरी तरह से विफल रही कि 1989-98 के दौरान 700 से अधिक कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई और 200 से अधिक मामलों में एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन एक भी चार्जशीट दाखिल करने के बाद भी चरण तक नहीं पहुंची। " एनजीओ द्वारा 2017 में दायर याचिका में मांग की गई थी। याचिका में यासीन मलिक और बिट्टा कराटे जैसे अलगाववादियों की एफआईआर में जांच की जाए। साथ ही उनपर हत्याओं के लिए मुकदमा चलाया जाए।

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