ईपीएफओ कर्मचारियों को सस्ते मकान
मोदी सरकार ने देश के हर नागरिक को साल 2022 तक सस्ते मकान देने का वादा किया था. इस वादे को पूरा करने के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ डिपार्टमेंट के पांच करोड़ कर्मचारियों को घर देने की योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है. उल्लेखनीय है कि लेबर मिनिस्ट्री ने इस योजना के लिए बैंकों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों, सरकारी कंस्ट्रक्शन कंपनियों और डीडीए, हुडा जैसे नगर विकास प्राधिकरणों के साथ काम करने की योजना बनाई है.

लो-सेलरी ग्रुप को प्रिफरेंस

लेबर मिनिस्ट्री ने इस योजना के तहत उन कर्मचारियों को घर देने में वरीयता देने का फैसला किया है जो लो-इनकम ग्रुप को बिलॉंग करते हैं. गौरतलब है कि लो इनकम ग्रुप में आने वाले कर्मचारियों को अपना मकान प्राप्त करने के लिए मकान की पूरी कीमत की कुछ राशि को अपने पीएफ अकाउंट में जमा धन से चुकाना होगा. इससे पहले पीएफ अकाउंट होल्डर्स को पीएफ अकाउंट से हाउसिंग लोन के लिए पहले पांच सालों तक अंशदान करना पड़ता था.

आखिर कैसे काम करेगी यह योजना

लेबर मिनिस्ट्री से जुड़े सूत्रों के अनुसार अगर ईपीएफओ कोष की 15 परसेंट धनराशि को लोन के रूप में प्रोवाइड कराया जाए तो 70 हजार करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं. इससे 35 लाख सस्ते मकानों को बनाया जा सकता है. इसके साथ ही इस समय ईपीएफओ के पास 6.5 लाख करोड़ रुपये हैं और हर साल ईपीएफओ को 70 हजार करोड़ रुपये की वार्षिक वृद्धि है. ऐसे में ईपीएफओ के 70 परसेंट कर्मचारी जिनकी इनकम 15 हजार रुपये से कम है, को सस्ते मकान प्रोवाइड कराए जा सकते हैं.

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