तेलंगाना राष्ट्र समिति और दूसरे दलों और संगठनों पर आधारित 'तेलंगाना संयुक्त संघर्ष समिति' ने मंगलवार से 48 घंटे के बंद का आह्वान किया है। इससे पहले अलग तेलंगाना के लिए ही कांग्रेस के दस सांसदों और 42 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया है जबकि तेलुगूदेसम के 36 विधायकों ने भी त्यागपत्र दे दिए हैं। कांग्रेस के 42 विधायकों में 11 मंत्री भी हैं।

समिति की एक बैठक में इस्तीफ़ा देने वाले सदस्यों की प्रशंसा की गई और केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया कि यदि वो अब भी समझदारी से काम नहीं लेती तो हालात और बिगड़ जाएंगे।

इस बैठक में टीआरएस अध्यक्ष के चन्द्रशेखर राव, बीजेपी के विद्यासागर राव, सीपीई एम एल न्यू डेमोक्रेसी और कई दूसरे संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

समिति के संयोजक कोदंडा राम ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का त्यागपत्र एक ऐतिहासिक घटना है जिससे तेलंगाना आंदोलन में और तेज़ी आ गई है। चन्द्रसेखर राव ने कहा कि केंद्र सरकार को तुरंत इस्तीफ़ों पर ध्यान देना चाहिए और उनकी मांग स्वीकार करते हुए तेलंगाना राज्य की स्थापना का बिल संसद में लाना चाहिए।

उन्होने कहा कि इस पर केंद्र सरकार को मजबूर करने के लिए आंदोलन में तेज़ी लाई जाएगी।

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केंद्र को धमकी


इसके लिए समिति ने जिस कार्य योजना की घोषणा की है उसमें मंगलवार और बुधवार को सम्पूर्ण बंद और सात जुलाई को पूरे तेलंगाना में छात्रों के जुलूस शामिल हैं। दो दिन की हड़ताल में सरकारी कर्मचारी, अध्यापक और वकील सभी शामिल होंगे।

इसके बाद आठ और नौ जुलाई को रेल रोको आंदोलन किया जाएगा और तेलंगाना से किसी रेल को जाने नहीं दिया जाएगा। राव ने कहा कि तेलंगानावादी दक्षिण भारत को शेष देश से काट कर रख देंगे।

उन्होने चेतावनी दी है, "अगर सरकार ने शान्ति पूर्ण आंदोलन से बात नहीं मानी तो तेलंगाना अग्नि कुंड की तरह धधक उठेगा और 1969 जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी जब अलग तेलंगाना राज्य के हिंसात्मक आंदोलन में 300 लोगों की जानें गई थीं."

राव ने कहा कि इस स्थिति के लिए केंद्र सरकार ही ज़िम्मेदार होगी। उन्होने आह्वान किया कि सभी तेलंगानावादी संगठनों को एक छत के नीचे जमा होकर लड़ना चाहिए।

इस बीच बंद के आह्वान को देखते हुए हैदराबाद और तेलंगाना के दूसरे क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और केंद्रीय पुलिस बलों को तैनात कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने दूसरे मंत्रियों के साथ स्थिति पर विचार किया और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वो शांति बनाये रखें और इस बात का ख़याल रखें कि बंद के कारण आम लोगों को कोई तकलीफ़ न हो।

 

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