Believe that life is worth living and your belief will help create the fact.

                                                                                                                                - William James

कंप्यूटर पर टाइप करना मैं दो-तीन दिन में ही सीख गया था. साथ ही मैं काफी सारी कमांड से भी वाकिफ हो चुका था. एक दिन मैंने एक स्टोरी की और किसी गलत कमांड देने से वह स्टोरी उड़ गई. मैं घबरा गया. लेकिन मित्र ने मुझे बताया कि ‘कंट्रोल जेड’ करने से गायब हो गई स्टोरी वापस आ जाती है. उसने कंप्यूटर पर यह कमांड दी और वह स्टोरी वापस आ गई. मुझे लगा कि यही एक ऐसी कमांड है जिससे खो गई चीजों को वापस लाया जा सकता है. तब से मुझे कंप्यूटर की यही कमांड सबसे ज्यादा याद है. इस कमांड के बारे में मैं अक्सर सोचता हूं कि काश, जिंदगी में भी कोई ऐसी कमांड होती जिससे गुजर गये डेढ़-दो दशकों को वापस लाया जा सकता.

दिलचस्प बात है कि मैं ही नहीं, चालीस से ऊपर की उम्र के अधिकांश लोगों को यही लगता है कि या तो उनका जन्म डेढ़-दो दशकों बाद हुआ होता या फिर यह सारा विकास उस समय हो गया होता जब हम युवा थे. मीडिया से जुड़े एक सज्जन जिनकी उम्र 45 साल है, अक्सर कहते हैं, यार हम लोग बड़े गलत समय पर पैदा हुए. काश, हम लोग दस-बीस साल बाद पैदा होते तो जिंदगी में बहुत कुछ देख सकते! तब न कंप्यूटर था, न मोबाइल, न टेलीविजन का ही इतना विस्तार हुआ था और न ही उस समय का समाज इतना उदार था. ऐसे तमाम लोग हैं. वास्तव में ये ठहर सी गई उम्र के लोग युवाओं की तरह जिंदगी जीना चाहते हैं.

इन्हें लगता है कि ये भी अपनी प्रेमिका को एसएमएस भेजें, बिंदास उनके साथ मेट्रो स्टेशन पर घूमें, मॉल जाएं, सिनेमा देखें और वह सब कुछ करें, जो वे अपनी उम्र में करना चाहते थे. बात सिर्फ  जिंदगी को एन्जॉय करने की ही नहीं है. 48 वर्षीय जगमोहन उनियाल कहते हैं कि मैं उस समय बेहद अच्छा गाना गाता था लेकिन मुझे कोई ऐसा माध्यम नहीं दिखाई पड़ता था, जहां मेरी प्रतिभा आकार ले सके. बाथरूम ही इनका स्टूडियो बनकर रह गया. काश, उस समय भी इतने टेलेंट हंट प्रोग्राम होते. आखिर पिछले डेढ़ दशकों में हमारी दुनिया कितनी बदल गयी है?

कंप्यूटर, मोबाइल, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, मॉल्स की छोटे शहरों में भी बाढ़ सी आ गयी है. इस दौरान हमारे मूल्य भी इतनी तेजी से बदले हैं कि हम खुद इस बदलाव पर चकित हैं. पहले जहां प्रेम के इजहार में सालों लग जाते थे, वहीं अब लडक़े और लड़कियां भी बिना वक्त गंवाए ऐसा कर लेते हैं. जब तक रिश्ता चला ठीक, वरना दूसरा घर देखो. प्रेम की जो काल्पनिक दुनिया थी, वह अब ठोस जमीन अख्तियार कर चुकी है. लिहाजा 40 से ऊपर के लोगों को लगता है कि क्यों नहीं वे इस दौर में पैदा हुए. लेकिन क्या सचमुच पुराने दौर में अपनी उसी उम्र के साथ लौटना संभव है? समाजशास्त्री कहते हैं कि वक्त कभी लौटकर नहीं आता. और यह भी सच है कि किसी भी समाज में तकनीकी स्तर पर ही नहीं बल्कि हर स्तर पर बदलाव और विकास होता रहता है. यह बदलाव भविष्य की पीढिय़ों के लिए होता है.

इसलिए बेहतर यही है कि अपनी उम्र को अपने वर्तमान स्वरूप में ही जिया जाए. ऐसा नहीं है कि इस कमांड के बगैर जिंदगी में नीरसता आ जाएगी. उम्र कभी आपको कुछ भी सीखने से नहीं रोकती और अपने आसपास आपको तमाम ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो पचास की उम्र में भी नयी तकनीक से वाकिफ  हो रहे हैं और बाजार में अच्छा काम कर रहे हैं. आप भी खुद को फिट रखते हैं म्यूजिक और डांस में रुचि ले रहे हैं. और जहां तक रूमानियत का सवाल है तो आप अपने बच्चों और अन्य युवाओं को देखकर इस बात पर खुश हो सकते हैं कि जो आपको अपनी उम्र में नहीं मिला, वह नयी पीढ़ी को मिल रहा है. अब मैं समझ गया हूं कि कंट्रोल जेड कमांड का इस्तेमाल केवल तभी हो सकता है, जब तक आप कोई और कमांड न दें. और जिंदगी में तो हम सैकड़ों कमांड दे चुके हैं. इसलिए जिंदगी में कंट्रोल जेड संभव ही नहीं. ऐसे में यदि जिंदगी की कोई स्टोरी उड़ गई है तो पुरानी इबारतों के मोह में न पडक़र अपनी जिंदगी की स्लेट पर नयी इबारत लिख लें.

प्रवीण दिक्षित

Writer is a freelancer