-जिला महिला अस्पताल में प्रग्नेंट लेडिज के परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप

-गंभीर अवस्था में होने के बावजूद चार घंटे तक नहीं हो पाई ऑपरेशन की व्यवस्था

GORAKHPUR: जिला महिला अस्पताल में प्रेग्नेंट लेडिज के साथ लापरवाही का सिलसिला जारी है। अस्पताल की बदइंतजामी और हेल्थ कर्मचारियों की उदासीनता के कारण रविवार को एक और नवजात की मौत हो गई। अस्पताल पहुंचने के बाद प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला के इलाज के लिए घंटों कोई डॉक्टर नहीं आया। काफी देर के बाद डॉक्टर आई तो पेशेंट को देखने के बाद ऑपरेशन की सलाह दी।

परिजनों का कहना है कि इस दौरान कागजात पर छह बार हस्ताक्षर करवाए गए। उधर, मरीज की हालत गंभीर बनी रही। करीब चार घंटे बाद उसका ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद हेल्थ इंप्लाइज ने बताया कि बच्ची की मौत हो गई। यह सुनकर घरवालों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने यहां के व्यवस्था पर आरोप लगाते हुए संबंधित अधिकारी से जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की।

सिस्टम पर खड़े किए सवाल

तिवारीपुर एरिया के जाफरा बाजार के रहने वाले मोहम्मद अली की पत्‍‌नी शाफिया बानो रविवार सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन उसे लेकर रविवार की सुबह 7 बजे जिला अस्पताल पहुंचे। इमरजेंसी में कोई डॉक्टर नहीं होने के कारण उसे घंटों इंतजार करना पड़ा। काफी देर के बाद डॉक्टर आई तो प्रेग्नेंट लेडिज को वार्ड में एडमिट करने की बात कहते हुए ऑपरेशन करने को कहा। पीडि़त परिवार का कहना है कि डॉक्टर ने बताया कि पेट में बच्चा टेडा है।

ऑपरेशन की तैयारी में लगे चार घंटे

करीब 12 बजे ऑपरेशन किया गया। इसके बाद सिस्टर ने बताया कि बच्ची पैदा हुई है, लेकिन उसकी मौत हो गई है। यह सूचना सुनते ही घरवाले परेशान हो गए। वे अस्पताल के जिम्मेदारों पर आरोप लगाने लगे। पीडि़त परिवार का कहना था कि यदि मरीज की कंडिशन ठीक नहीं थी तो उसे मेडिकल कॉलेज क्यों नहीं रेफर किया गया? जिस समय मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचा उसी समय ऑपरेशन किया गया होता तो बच्ची की जान बच जाती। चार घंटे तक इधर-उधर टहलाया गया।

वर्जन

मामले की जानकारी नहीं है। अगर परिजनों की ओर से लिखित शिकायत मिलती है तो इसकी जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। एके गुप्ता, एसआईसी जिला महिला अस्पताल