एक फ्रेज है कि 'बुक्स आर अवर बेस्ट फ्रेंड'। ये फ्रेज है तो एकदम परफेक्ट लेकिन आज के दौर में तो ये और भी ज्यादा रेलिवेंट है। सवाल है क्यों? आज कहां किसी के पास किसी के लिए वक्त है फिर चाहे वो फ्रेंड हो या फैमिली। लेकिन किताबें वो साथी हैं जो न सिर्फ हमेशा साथ रहती हैं बल्कि हमें मेंटली और इमोशनली सपोर्ट भी करती हैं। जब मन में कोई उलझन हो या कुछ न समझ आए तब किताबें ही हमें इंस्पिरेशन देती हैं और कई बार सही रास्ता दिखाने में भी हेल्प करती हैं। हिंदी सिनेमा के रिनाउंड फिल्ममेकर अनुराग बसु का भी यही मानना है। ट्रैवल करने और हिंदी इंग्लिश और बंग्ला समेत कई ऑथर्स की बुक्स पसंद करने वाले अनुराग कहते हैं कि ऐसी कम ही बुक्स हैं जिन्हें वह दोबारा पढ़ते हैं लेकिन हां ये जरूर मानते हैं कि बुक्स उनकी लाइफ का इंपॉर्टेंट पार्ट हैं। जानते हैं कि अनुराग बसु के दिल के करीब कौन सी बुक्स हैं...


Raag Darbari, Author: Sri Lal Shuklaराग दरबारी एक ऐसा उपन्यास है जो गांव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से दिखाता है। शुरू से आखिरी तक इतने निस्संग और सोद्देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिंदी का शायद यह पहला वृहत् उपन्यास है। फिर भी राग दरबारी व्यंग्य-कथा नहीं है। इसका संबंध एक बड़े नगर से कुछ दूर बसे हुए गांव की जिंदगी से है, जो वर्षों की प्रगति और विकास के नारों के बावजूद निहित स्वार्थों की वजह से घिसट रही है। यह उसी जिंदगी का दस्तावेज है। 1968 में राग दरबारी का प्रकाशन एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक घटना थी। इसे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। और 1986 में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में इसे लाखों दर्शकों की सराहना प्राप्त हुई। राग दरबारी हिंदी के कुछ कालजयी उपन्यासों में से एक है।
Urvashi Author: Ramdhari Singh Dinker


1961 में प्रकाशित इस काव्य नाटक में दिनकर ने उर्वशी और पुरुरवा के प्राचीन आख्यान को एक नए अर्थ से जोडऩा चाहा है। इस कृति में पुरुरवा और उर्वशी अलग-अलग तरह की प्यास लेकर आये हैं। पुरुरवा धरती पुत्र हैं और उर्वशी देवलोक से उतरी हुई नारी है। पुरुरवा के भीतर देवत्य की तृष्णा और उर्वशी सहज निश्चित भाव से पृथ्वी का सुख भोगना चाहती है। उर्वशी प्रेम और सौन्दर्य का काव्य है। कवि ने प्रेम की छवियों को मनोवैज्ञानिक धरातल पर पहचाना है। दिनकर की भाषा में हमेशा एक प्रत्यक्षता और सादगी दिखी है, परन्तु उर्वशी में भाषा की सादगी अलंकृति और आभिजात्य की चमक पहन कर आई है। आज के दौर में भी उतना ही प्रभावित करता है ये काव्य नाटक।Pride and Prejudice, Author: Jane Austen

जेन ऑस्टेन का लिखा गया यह नॉवेल पहली बार 1813 में पब्लिश हुआ था। नॉवेल की स्टोरी बेस्ड है मेन कैरेक्टर एलिजाबेथ बेनेट पर ब्रिटिश रीजेंसी की एक सोसाइटी के तौर-तरीकों, परवरिश, मोरैलिटी, एजुकेशन और शादी के साथ डील करती है। 19वीं शताब्दी में सेट की गई इस कहानी में हमेशा ही मॉडर्न फैसिनेशन देखने को मिलता है और यही वजह है कि आज भी ये बुक सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली बुक्स की लिस्ट में शामिल है। ये इंग्लिश लिटरेचर का सबसे पॉपुलर नॉवेल है। कई लिटरेरी स्कॉलर्स का भी इसे एप्रिसिएशन मिल चुका है। अब तक इस बुक के कई ड्रैमैटिक अडैप्टेशंस भी देखने को मिल चुके हैं। बुक लवर्स की पसंदीदा इस बुक को हर किसी को एक बार तो जरूर पढऩा चाहिए।Midnight’s Children, Author: Salman Rushdie1981 में सलमान रश्दी की लिखी हुई ये बुक ब्रिटिश कोलोनियलिज्म से इंडिया के पार्टीशन और इंडिपेंडेंस के ट्रांसीजन पर बेस्ड है। बुक हिस्टॉरिकल इवेंट्स को लेकर सेट की गई है लेकिन हिस्टॉरिकल फिक्शन के साथ। इसे सलमान का मैजिकल क्रिएशन माना जाता है। इंग्लिश लिटरेचर में रश्दी की इस बुक को एक एक्जेंप्लेरी क्रिएशन माना जाता है। इस बुक ने 1981 में बुकर प्राइज और जेम्स टेट ब्लैक मेमोरियल प्राइज भी जीता था। इसके अलावा इसे 1993 में बुकर ऑफ बुकर्स प्राइज, बुकर प्राइज की 25वीं एनिवर्सरी के मौके पर मिला था। 2003 में इसे बीबीसी के सर्वे द बिग रीड में लिस्ट किया गया था और साथ ही पेंग्विन बुक्स द्वारा पब्लिश की गई 20वीं सेंचुरी की ग्रेट बुक्स की लिस्ट में भी शामिल किया गया।Stumbling on happiness, Author: Daniel Gilbert
डेनिएल गिलबर्ट की लिखी हुई स्टंबलिंग ऑन हैप्पिनेस एक नॉन-फिक्शनल बुक है। यह यूनाइटेड स्टेट्स और कनाडा में 2006 में पब्लिश हुई। न्यूयॉर्क टाइम्स की ये बेस्ट सेलर बुक 25 लैंग्वेजेस में ट्रांसलेट की जा चुकी है। अनुराग का कहना है कि इन दिनों वह इसी बुक को पढ़ रहे हैं। इस बुक में गिलबर्ट का खुशी को लेकर अपना परसेप्शन है। बुक में उन्होंने बताया है कि लोग खुश इसलिए रहते हैं क्योंकि वे अपने फ्यूचर को अच्छी तरह से इमैजिन नहीं करते। वो मानते हैं कि इमैजिन तीन तरह से फेल हो जाता है। बुक में गिलबर्ट का परसेप्शन है कि इमैजिनेशन के दौरान हम ये रियलाइज नहीं करते कि जब वैसा सच में होगा तो वो वैसा नहीं होगा जो हम सोच रहे हैं बल्कि अलग होगा।मैं कुछ न कुछ पढ़ता रहता हूं। मुझे पढऩा अच्छा लगता है। शरत चंद्र चटोपाध्याय को तो हमने स्कूल में ही पढ़ लिया था। इन दिनों तो मैं ऐसी बुक्स को पढ़ता हूं जो मैं अपनी बेटी को भी पढऩे के लिए दे सकूं। इसलिए अब मेरा जो सिलेक्शन और कलेक्शन है, वो अपने लिए भी और मेरी बेटी के लिए भी है।- अनुराग बसु

Posted By: Prabha Punj Mishra