देश के दसवें प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव पामुलापति वेंकट नरसिंह राव को आज पूरा देश याद कर रहा है। 28 जून 1921 को करीमनगर में जन्‍में इस राजनेता ने देश की सुरक्षा के लिए अहम फैसले लिए। उन्‍होंने देश को दीवालिया होने से बचाया और आतंकियों के हौसले भी तोड़े। इनकी खासियत थी कि ये एक दो नहीं बल्‍कि 17 भाषाएं बोलते थे। पीएम राव को लेकर फेमस राइटर विनय सीतापति ने उन पर ‘हाफ लायन: हाउ पीवी नरसिम्हा राव ट्रांसफार्म इंडिया’ में लिखी है। जिसमें उनसे जुड़े कई बड़े दावे किए हैं। आइए जानें आज इस खास दिन पर देश के दसवें प्रधानमंत्री के जीवन से जुडी कुछ खास बातें....


राजनीति में अनुभव: पीएम बनने से पहले राजनीति में उनके विविध अनुभव जांचे गए थ्ो। शायद इन्हीं वजहों से उन्हें केंद्र सरकार में गृह, रक्षा और विदेश मंत्रालय जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई थी। दीवालिया होने बचाया: इसके बाद देश में मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निवेश आदि काफी तेजी से बढा था। कई बार ऐसी स्िथतियां आईं जब देश दीवालिया होने की कगार पर था, लेकिन उन्होंने बचा लिया था।। इजराइल का दूतावास:1992 में प्रधानमंत्रित्व में इजराइल का दूतावास नई दिल्ली में खोला गया था। जो एक बड़ी सफलता थी। सन 1993 के मुंबई में बम धमाकों के बाद नरसिम्हा राव के शासन में काफी अच्छे से संकट प्रबंधन हुआ। इन भाषाओं में पारंगत रहे:
पीएम राव एक नहीं कई भाषाओं के ज्ञानी थे। वह तेलुगु, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत, उड़िया, बंगाली और गुजराती अंग्रेजी, फ्रांसीसी, अरबी, स्पेनिश, जर्मन और पर्शियन समेत 17 भाषाएं बोलते थे। संगीत, सिनेमा में उनकी रुचि थी। साहित्य एवं राजनीतिक टिप्पणी लिखने, भाषाएं सीखने, तेलुगू एवं हिंदी भाषा में कविता लिखने एवं साहित्य में भी वह एक्सपर्ट थे।


अंतिम सांस ली थी:
9 दिसंबर 2004 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (नयी दिल्ली) में भर्ती कराया गया। प्रॉपर उपचार होने के बाद भी वह ठीक नहीं हुए। 23 दिसंबर को उन्होंने अंतिम सांस ली थी।

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Posted By: Shweta Mishra