जेएनयू में पिछले कई दिनों से 'देशभक्‍ित वर्सेज देशद्रोही' की लड़ाई चल रही है। यूनिवर्सिटी का छात्रनेता कन्‍हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में अरेस्‍ट करने के बाद यह मामला काफी तूल पकड़ता जा रहा है। हालांकि इस पूरे प्रकरण में कौन सही या कौन गलत है....यह कहना काफी मुश्‍किल है लेकिन जेएनयू में पढ़ने वाले स्‍टूडेंट्स चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी से जुड़ी कुछ बातें दुनिया के सामने भी आनी चाहिए....


1. इस पूरे मुद्दे में सबसे अहम रोल मीडिया हाउसेस का है। यानी कि टीवी स्टूडियो में बैठकर वे कोई फैसला नहीं सुना सकते। फैसला सुनाने का अधिकार सिर्फ कोर्ट का है। ऐसे में न्यूज चैनलों को सिर्फ खबर के तौर पर इसे पेश करना चाहिए न कि मीडिया ट्रायल किया जाए...3. हिंसा नहीं बहस से निकलेगा हल...जी हां इस मामले से जुड़े सभी लोगों को धैर्य के साथ आपस में बातचीत करनी चाहिए। अपनी बात रखने के साथ-साथ सामने वाले की बात को अनसुना न करें। याद रखें कि यह दुनिया सिर्फ आपके कहने पर नहीं चलेगी, स्थिति को अच्छी तरह से समझकर तब रिएक्ट करें।


5. अपनी बात को सच्चाई के साथ सामने वाले के सामने रखिए। अगर आपको लगता है कि कुछ गलत हुआ है तो उसे तर्क के साथ पेश कीजिए। वैसे भी हिंसा या प्रोटेस्ट से दबाव बनाकर बात मनवाना किसी तरह भी जायज नहीं है।

7. अक्सर कहा जाता है कि आप स्टूडेंट्स हैं तो उस तरह ही बर्ताव करें। लेकिन भाई स्टूडेंट्स भी इस देश के नागरिक होते हैं, वे वोट डालने भी जाते हैं। यही नहीं बड़े-बड़े नेताओं ने स्कूल-कॉलेज से ही राजनीति शुरु की थी। तो हम करें तो यह गलत क्यों...9. नफरत के जरिए कोई भी मामला आज तक सुलझाया नहीं जा सका है। हमारे लिए सबसे जरूरी है देशभक्ित...देशभक्ित का असली मतलब है कि हम अपने बगल वाले से प्यार करें क्योंकि वह भी इस देश का ही नागरिक है। दिलों में नफरत लेकर किसी समस्या का हल निकालने बैठेंगे तो न वह कभी भी खत्म नहीं होगी।10. स्कूल-कॉलेज ऐसी जगहें हैं जहां नए-नए आइडियॉज आते हैं। हमारा यूथ हर बात को तर्क सहित जानना चाहता है...तो इसमें गलत क्या है।inextlive from Spark-Bites Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari