आईएफएस ऑफीसर संजीव चतुर्वेदी और गैर सरकारी संस्था गूंज के संस्थापक अंशू गुप्ता दो भारतीयों को इस वर्ष के रेमन मैगसेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है। इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और इस विधानसभा चुनावों में उनकी प्रतिद्वंदी किरन बेदी भी इस अवॉर्ड को हासिल कर चुके हैं।


फ़िलीपीन्स के बाद दूसरे नंबर पर हैं पुरस्कार पाने वाले भारतीय


रेमन मैगसेसे पुरस्कार को एशिया में नोबेल पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है। इसके लिए इस बार दो भारतीयों का चयन किया गया है। पहले हैं 2002 बैंच के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी और दूसरे गैर सरकारी संगठन 'गूंज' के संस्थापक अंशु गुप्ता। फ़िलीपीन्स के पूर्व राष्ट्रपति रेमन मैगसेसे के सम्मान में ये पुरस्कार सरकारी और सार्वजनिक सेवा, सामुदायिक नेतृत्व, पत्रकारिता, साहित्य और सृजनात्मक कला के साथ साथ शान्ति और अन्तरराष्ट्रीय सद्भावना के लिए दिया जाता है। इससे पहले विभिन्न क्षेत्रों में करीब 51 भारतीय इस सम्मान को प्राप्त कर चुके हैं। इस आधार पर संस्थापक देश फ़िलीपीन्स के बाद भारत पुरस्कार पाने वो लोगों की संख्या के हिसाब से दूसरे नंबर पर है। फ़िलीपीन्स में अब तक 55 लोग इस अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं। 1958 में विनोबा भावे पहले भारतीय बने जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया था। इस पुरस्कार को पाने वाले छटे नौकरशाह हैं संजीव चतुर्वेदी

संजीव चतुर्वेदी मूलत: हरियाणा काडर के अफसर हैं। वे छटे ब्यूरोक्रेट हैं, जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया है। इससे पहले चिंतामन देशमुख, टीएन शेषन, जेम्स माइकल लिंगदोह, किरण बेदी और दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह उपलब्धि हासिल की थी। संजीव ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सीवीओ पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया था। इसके बाद उन्हें पद से हटाया गया तो बड़ा विवाद हुआ था। हाल ही में मैग्सेसे अवॉर्ड में उनके अग्रणी केजरीवाल ने उन्हें दिल्ली सरकार में अपना ऑफीसर ऑन स्पेशल ड्यूटी यानि OSD बनाने का आवेदन किया था जो अब भी विचाराधीन है।   आपदा प्रबंधक संस्था चलाते हैं अंशु गुप्ता

पूरे देश में आपदा प्रबंधन के लिए पहुंचने को तत्पर रहने वाले गैर सरकारी संस्था के संस्थापक अंशु गुप्ता का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। 1991 में जब दहला देने वाला भूकंप आया था तो अपनी स्नातक की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर अंशु वहां लोगों की मदद करने पहुंच गए थे। और उस पूरे वक्त वो एक टेंट में ही रहे और वहीं से सबकी सहायता का जिम्मा उठाया। इसके बाद वापस आ कर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और कॉरपोरेट सर्विसेज से जुड़ गए। वो एक नामी कंपनी के मैनेजर भी नियुक्त हो गए। लेकिन इस काम में उनका मन नहीं लगा और उन्होंने समाजसेवा के क्षेत्र में ही आगे बढ़ने का फैसला ले लिया। उन्होंने 'गूंज' नाम से अपना एनजीओ शुरू किया जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। यहीं से वे पूरे देश में कहीं भी कोई मुसीबत आने पर आपदा प्रबंधन का कार्य संभालने पहुंच जाते हैं। 'गूंज' का एक काम यह भी है कि शहरों में अनुपयोगी समझे गए सामानों को गांवों में सदुपयोग के लिए पहुंचाना। देश के 21 राज्यों में गूंज संस्था के संग्रहण केंद्र काम कर रहे हैं।

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Posted By: Molly Seth