55 करोड़ की जमीन पर खेल

- कहीं का दाखिल खारिज, कहीं करा दिया कब्जा

- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कब्जा दिलाने में मिलीभगत उजागर

- अपर मुख्य अधिकारी ने कार्रवाई के लिए सीडीओ को सौंपी रिपोर्ट

- 21 फ्लैट के निर्माण में घिरेंगे जिला पंचायत के अफसर

आई एक्सक्लूसिव

मेरठ : यहां जिला पंचायत की जमीन फर्जी तरीके से एक महिला को दिए जाने और इस पर 21 अवैध फ्लैट बनाए जाने का मामला सामने आया है। इस मामले में आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना भी की। जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने मामले की शिकायत पर जांच की तो इसका खुलासा हुआ, अब जांच रिपोर्ट सीडीओ को सौंपकर आरोपी सरकारी अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

क्या है मामला

यह मामला साल 2008 में जमीन के दाखिल-खारिज में गड़बड़ी का है। जिला पंचायत मेरठ के अधीन नौचंदी स्थित कृषि भूमि खसरा नंबर 4323 में कब्जे का विवाद सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। इस पर दिल्ली चुंगी पर रहने वाली महिला कमलेश मित्तल पत्‍‌नी सत्य प्रकाश मित्तल ने मालिकाना हक का दावा किया था। वह ही राज्य सरकार को पार्टी बनाकर अदालत गई थीं। कोर्ट ने महिला के दावे को स्वीकारते हुए न सिर्फ जमीन पर कब्जे के आदेश दे दिए, बल्कि स्थान भी निश्चित करते हुए उक्त भूमि में से 7 विस्वा (891 वर्ग मीटर) भूमि पर पश्चिम दिशा में कब्जा दिलाने के आदेश दिए।

हो गया खेल

साल 2008 में तहसील और जिला पंचायत के तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों ने राजस्व रिकार्ड में चिह्नित भूमि पर जिला पंचायत विभाग के स्थान पर कमलेश मित्तल का नाम दाखिल-खारिज कर दिया, लेकिन महिला को कब्जा पूर्व दिशा में दिलाया गया। मौजूदा समय में यह जमीन रेवेन्यू रिकार्ड में कमर्शियल के नाम से दर्ज है, जबकि कोर्ट ने जिस पर कब्जे के आदेश दिए थे वो एग्रीकल्चर लैंड में दर्ज है। साफ है कि कीमतों में जमीन-आसमान का फर्क था।

बन गए 21 अवैध फ्लैट

महिला ने इस जमीन का तत्काल सौदा कर बिल्डर को बेच दिया। बिल्डर ने इस जमीन पर 21 अवैध फ्लैट्स का निर्माण कर दिया है। मौजूदा सर्किल रेट के हिसाब से जिस जमीन पर कब्जा कर दिया गया, उसकी कीमत करीब 55 करोड़ है जबकि कोर्ट ने जिस भूमि को सौंपने के आदेश दिए थे, उसकी कीमत करीब 30 करोड़ ही है। जमीन की प्रकृति अभी भी एग्रीकल्चर है।

उजागर हुई मिलीभगत

आरटीआई एक्टिविस्ट शरीफ ने 2008 में आरटीआई के माध्यम से इस मामले को पेश किया। जिला पंचायत में लगातार शिकायत के बाद नवंबर 2016 में अपर मुख्य अधिकारी एसएस शर्मा ने प्रकरण की जांच की। इसमें कब्जा दिलाने में गड़बड़ी सामने आई। जांच रिपोर्ट सीडीओ को सौंप दी गई है। इसमें गड़बड़ी में जिला पंचायत और तहसील मेरठ के तत्कालीन अधिकारियों-कर्मचारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की गई है।

ये थे टीम में

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व टीम में क्षेत्रीय लेखपाल अनिल कुमार सिंह, महेश चंद्र और राजस्व निरीक्षक राकेश गुप्ता और जिला पंचायत मेरठ की टीम में अवर अभियंता इलम चंद्र, वर्क एजेंट/मानचित्रकार अभय सिंह, संपत्ति लिपिक देवेंद्र कुमार शामिल थे। उस समय अपर मुख्य अधिकारी के पद पर एके सिंह और अभियंता पद पर तपेश चंद्र वर्मा तैनात थे।

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किसी अन्य स्थान पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कब्जा दिलाना था, तत्कालीन तहसील और जिला पंचायत स्टाफ ने किसी अन्य स्थान पर कब्जा दिला दिया। आरटीआई एक्टिविस्ट की शिकायत पर जांच कर कार्रवाई के लिए प्रकरण सीडीओ को सौंप दिया गया है।

- एसपी शर्मा, अपर मुख्य अधिकारी

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अपर मुख्य अधिकारी की रिपोर्ट से साफ जाहिर हो रहा है कि तत्कालीन जिला पंचायत विभाग और तहसील स्टाफ की मिलीभगत से जमीन की अदला-बदली की गई है। पूरे प्रकरण को डीएम के संज्ञान में लाया गया है। निर्देश पर मुकदमा दर्ज होगा।

आर्यका अखौरी, सीडीओ, मेरठ

Posted By: Inextlive