छत्तीसगढ़: 'परिवार 56 लाख, राशन कार्ड 64 लाख'
हालत ये है कि राज्य में लगभग 56 लाख परिवार हैं, लेकिन आरोप ये है कि खाद्य आपूर्ति विभाग ने अब तक लगभग 64 लाख परिवारों का राशन कार्ड बना दिया है.छत्तीसगढ़ को बेहतर सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं. यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसके लिए छत्तीसगढ़ की प्रशंसा की थी, पर चुनावी साल में राज्य के हर ज़िले से फर्ज़ी राशन कार्डों की शिकायतें मिल रही हैं.विपक्षी कांग्रेस ने कहा है कि राज्य में इस 'राशन घोटाले' की उच्चस्तरीय जांच की जाए, लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार की परिवार की परिभाषा अलग होने के कारण ऐसी ग़फ़लत हुई है.
राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री पुन्नूलाल मोहले ने कहा, “पिछले विधानसभा चुनाव के समय भी हमने तीन लाख से अधिक राशन कार्ड रद्द किए थे. इस बार भी अगर शिकायतें सही पाई गईं, तो कार्रवाई की जाएगी.”योजनाछत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा अधिनियम में 35 किलो अनाज के साथ-साथ अंत्योदय और प्राथमिकता वाले परिवारों के लिए हर महीने दो किलो निःशुल्क आयोडीनयुक्त नमक, पांच रुपए प्रति किलो की दर पर दो किलो चना, 10 रुपए प्रति किलो की दर पर दो किलो दाल का प्रावधान है.
जोगी का कहना है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटराइज़ेशन के कारण यह सरल हो गया है कि आंकड़ों में घर-घर राशन पहुंचाया जाना दिखाया जा सके.हालांकि राज्य के खाद्य सचिव विकासशील का दावा है कि राशन पहुंचने में कोई परेशानी नहीं है. उनका कहना है कि राज्य में सभी जगह निर्बाध तरीक़े से राशन पहुंच रहा है.परिवार की परिभाषाजनसंख्या से ज़्यादा राशन कार्ड के सवाल पर विकासशील कहते हैं कि 2011 की जनगणना के मुताबिक़ राज्य में परिवारों की संख्या 56 लाख है.वो कहते हैं,“ केंद्र सरकार की परिवार की परिभाषा अलग है. वहां परिवार का मतलब 4.5 सदस्य हैं, जबकि हमने परिवार की अपनी परिभाषा बनाई है और छत्तीसगढ़ में हम 3.5 सदस्यों को परिवार मानकर राशन कार्ड बना रहे हैं."फर्ज़ी राशन कार्ड रद्द करने के सरकारी वादों पर जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष आनंद मिश्रा का कहना है कि जब तक राशन कार्ड रद्द होते हैं, तब तक साल गुज़र जाते हैं और इस दौरान करोड़ों के राशन की हेराफ़ेरी हो जाती है.
आनंद मिश्रा के मुताबिक़, "पूरे मामले की जांच की जाए तो राज्य में बड़ा राशन घोटाला सामने आएगा. संकट यह है कि राज्य सरकार जान-बूझकर ऐसी गड़बड़ी करती है और करोड़ों का राशन बाज़ार में चला जाता है. इसकी जांच ज़रूरी है."