अपना बनकर लगाया 40 लाख का चूना
- फर्जी स्टांप देकर ठग लिए 40 लाख
- चार साल से बेटे की नौकरी दिलवाने का दे रहा है झांसा - पीडि़त ने जमीन बेचकर व ब्याज पर उठाकर दिया कैश - आरोपी पैसे लौटाने पर देता है जान से मारने की धमकी Meerut: लोग ठगी करने के बड़े बड़े हथकंडे अपनाते हैं, लेकिन मेरठ के इस ठग ने अच्छे-अच्छों को मात दे दी है। जी हां इस ठग ने चार साल में फर्जीवाड़ा कर एक सरकारी कर्मचारी से किश्तों में 40 लाख रुपए ठग लिए। जब कर्मचारी को खाने तक के लाले पड़ गए तो उसे जान से मारने की धमकी देने लगा। पीडि़त ने एसएसपी से न्याय की गुहार लगाई है। ये है मामलाइंचौली थाना क्षेत्र के गांव किशोरीपुरा निवासी परशुराम पुत्र बद्वु सिंह सिंचाई विभाग की वर्कशॉप में फोर्थ क्लास कर्मचारी है। परिवार में पत्नी संतोष के अलावा एक बेटा जोनी है। जोनी के दोस्त ग्राम जई निवासी सोनू का घर में काफी दिनों से आना जाना है। जिसके चलते वे उसे परिवार का सदस्य मानने लगे और उसकी बातों पर आंख मूंदकर विश्वास करने लगे।
खास है अधिकारीपरिवार के सदस्यों को विश्वास में लेने के बाद एक दिन सोनू ने कहा कि उसके मेरठ में प्रशासनिक अधिकारियों से अच्छे संबंध हैं। वो बहुत जल्द उन्हें शहर में मकान का आवंटन करा देगा। साथ ही उनके बेटे जोनी की भी सरकारी नौकरी लगवा देगा।
झांसे में आ गए सोनू की बात सुनकर पूरा परिवार उसकी बातों में आ गया, जिसके चलते उन्होंने उसे 40 ब्लैंक चेक, वोटर आईडी कार्ड, सहित अन्य जरूरी कागज दे दिए। इसके बाद सोनू ने उनसे किश्तों में पैसे ऐंठने शुरू कर दिए। फर्जीवाड़ा नंबर : 1 28 जुलाई 2011 को सोनू ने उन्हें मोदीपुरम एंक्लेव 1/3 ए का आवंटन पत्र दिया और परशुराम से दस लाख रुपए ठग लिए। उसके बाद इलाहबाद बैंक की फर्जी रसीद उन्हें थमा दी। साथ ही यह भरोसा भी दे दिया कि अब उन्हें कोई भी पैसा जमा नहीं करना है। जिसके चलते परिवार के लोग बहुत खुश हुए। फर्जीवाड़ा नंबर : 215 मार्च 2012 को नटवरलाल ने परशुराम को बताया कि नोएडा विकास प्राधिकरण की भीमनगर कालोनी में आवंटन खुला है। आप वहां पर भी एक प्लॉट बुक करा दो। सस्ते में 150 मीटर का मिल जाएगा। उसकी बातों में आकर उसके द्वारा मांगी गई रकम 2 लाख 80 हजार रुपए उसे दे दिए। इसमें भी उसने इलाहबाद बैंक की फर्जी रसीद पीडि़त को दे दी। जिस पर खाता संख्या 2207723 लिखा था।
फर्जीवाड़ा नंबर : 3 5 जून 2012 को जब परशुराम ने कहा कि नोएडा वाले प्लॉट का क्या हुआ। तो उसने 2 लाख रुपए का फर्जी चेक संख्या 310663 पंजाब नेशनल बैंक कंकरखेड़ा का थमा दिया कि उस काम में अभी देर लग रही है। जब पीडि़त चेक लेकर बैंक गया तो वह बाउंस हो गया। फर्जीवाड़ा नंबर : 4 14 जुलाई 2014 को रिश्तेदारों का दबाव बनने के बाद नटवरलाल ने कहा कि वह पैसों के बदले जमीन का बैनामा करा देगा। जिसके चलते उसने पीडि़त को कचहरी स्थित रजिस्ट्री कार्यालय बुलाया। एक वकील के चैंबर के बाहर बैठाकर उसकी पत्नी संतोष की उंगलियों के निशान लेकर फर्जी कागजात तैयार कराए। जिसकी ऐवज में पीडि़त से 5 लाख रुपए और यह कहकर ले लिए की जमीन की कीमत ज्यादा है। फर्जीवाड़ा नंबर : 5 9 जनवरी 2015 को नटवरलाल ने मेरठ गढ़ रोड स्थित ब्रांच आंध्रा बैंक का 46 लाख रुपए का चेक दिया। जिसकी संख्या 288793 है। जो बैंक ले जाते ही बाउंस हो गया। बॉक्स ऐसे लिए पैसे 28 जुलाई 2011 को 10 लाख 15 मार्च 2012 को 2 लाख 80 हजार 14 जुलाई 2014 को 5 लाख20 जनवरी 2015 को 7 लाख के चेक
कचहरी में बुलाकर ऐंठता था पैसे पीडि़त परशुराम ने बताया कि सोनू ने जितनी बार भी उससे पैसे लिए हैं। हर बार उसे कचहरी में बुलाया गया। साथ ही फर्जी बैनामा करने के लिए भी मेरठ कचहरी परिसर में ही कागजी कार्रवाई पूरी की है। शातिर है ठग ये कोई आम ठग नहीं है। ठग के पास दर्जनों बैंकों की चेक बुक, मेरठ विकास प्राधिकरण आवास आवंटन फार्म, नोएडा विकास प्राधिकरण के आवंटन फार्म, दर्जनों बैंकों की मोहर, कलर प्रिंटर, फर्जी स्टांप आदि सामग्री है। किश्त के नाम पर फर्जी रसीद नटवर लाल इतना शातिर है कि पीडि़त से हर माह मकान की किश्त लेता रहा और एमाउंट भरकर फर्जी रसीद देता रहा। चार साल में किश्त के नाम पर भी सात लाख बीस हजार रुपए ठग लिए। ऐसे हुआ खुलासा जब परशुराम ने मोदीपुरम जाकर अपना प्लॉट नंबर देखा तो वहां उस नंबर का कोई प्लॉट नहीं था। नटवरलाल किसी और के खाली पडे़ प्लॉट को उसका बताकर हर माह किश्त ऐंठता रहा। प्लॉट न होने की बात सुनकर परशुराम के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। इसके बाद ही नटवरलाल की असलियत धीरे-धीरे सामने आने लगी।ब्याज में चली जाती है सेलरी
पीडि़त परशुराम ने बताया कि उसने अब तक का कुल फंड निकालकर व बाद में जमीन बेचकर उसे पैसे दिए हैं। उसके बाद जब उसने और पैसे की डिमांड की थी तो ब्याज पर पैसे उठाकर भी उसको दे दिए। अब उसके पास कुछ नहीं बचा है। जिसके चलते उसे खाने तक के लाले पड़ रहे हैं। सेलरी के सारे पैसे ब्याज में चले जाते हैं। थाने में नहीं लिखी रिपोर्ट पीडि़त ने कई बार सिविल लाइन थाने में आरोपी के खिलाफ तहरीर दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस की कार्यशैली से तंग आकर पीडि़त ने वकील के साथ आकर एसएसपी ऑफिस में मामले शिकायत की है। वर्जन आना है