-यात्रा में आने वाले यात्रियों से टूरिज्म विभाग कर रहा भद्दा मजाक

-आपदा में तबाह हो चुके रामबाड़ा में बताया जा रहा रेस्ट हाउस

-यात्रा दिग्दर्शिका एवं सूचना निदर्शिनी के पर्यटन मानचित्र में बड़ी खामी

DEHRADUN : आपदा के बाद पूरे देश में जमकर आलोचना झेलनी वाली राज्य सरकार के नुमाइंदे अब भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। पहले हुई किरकिरी कम थी कि, उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा प्रकाशित चारधाम हेमुकंड साहिब यात्रा दिग्दर्शिका एवं सूचना निदर्शिनी में एक बड़ी खामी प्रकाशित कर डाली गई। टूरिज्म डिपार्टमेंट की इस बुकलेट को सच माने तो आज भी रामबाड़ा में रेस्ट हाउस है। जहां यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु ठहर सकते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इस टूरिस्ट गाइड बुक को यात्रा रूट पर वितरित भी करा दिया गया। जो यात्री पहली बार बाबा केदार के दर्शन करने के लिए आए हैं उनके लिए यह गाइड बुक भद्दे मजाक से अधिक कुछ और नहीं है।

रामबाड़ा में है रेस्ट हाउस

राज्य पर्यटन विभाग के इस टूरिस्ट गाइड बुक के आखिरी पेज पर संलग्न चारधाम यात्रा पर्यटन मानचित्र का पन्ना राज्य सरकार के साथ ही महकमे के लिए भी शर्मनाक है। जिस बड़े आपदा को पूरी दुनिया ने देखा उसमें गलती कैसे संभव है। इस पन्ने पर एक बॉक्स है जिसके ऊपर रिफरेंस लिखा हुआ है। इस रिफरेंस बॉक्स में संकेतों के जरिए ये बताया गया है कि पर्यटन मानचित्र में अंकित निशानों का क्या मतलब है। एक ऐसा ही हरा निशान है जिसके आगे टूरिस्ट रेस्ट हाउस लिखा गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि, इस संकेत के माध्यम से रामबाड़ा में रेस्ट हाउस दिखाया गया है।

क्या नींद में थे जिम्मेदार

चौतरफा जग हंसाई के बाद प्रदेश कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तमाम चुनौतियों के बावजूद बाबा केदार की यात्रा को इसी वर्ष आरंभ करने का प्रण लिया। इसमें दो राय नहीं कि, वे अपने मकसद में काफी हद तक कामयाब भी रहे। रूद्रप्रयाग से लेकर बाबा केदार की नगरी तक का रास्ता जानलेवा बन चुका था। महज तीन माह के अंदर इसे चलने लायक बना दिया गया। लेकिन, पर्यटन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आज भी ये मानने को तैयार नहीं कि रामबाड़ा का अस्तित्व आपदा में मिट चुका है। इसे एक बार फिर से सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। किस तरह रामबाड़ा में रेस्ट हाउस दिखा दिया गया। इसकी जवाबदेही कौन लेगा।

हां हुई है गलती

चारधाम यात्रा के नोडल आफिसर योगेंद्र कुमार गंगवार से जब इस बड़े मिस्टेक के बार में पूछा गया तो उन्होंने कुछ हिचकिचाते हुए ही सही लेकिन, ये जरूर मान लिया कि हां ये बड़ी गलती हुई है। जिसके लिए प्रकाशन विभाग जिम्मेदार है। हैरान करने वाली बात तो ये भी है कि गाइड बुक प्रिंट होने के बाद चारधाम यात्रा रूट पर स्थापित जीएमवीएन और टूरिस्ट विभाग के तमाम सेंटर्स पर वितरित भी कर दी गई। जहां से इन्हें टूरिस्ट्स को भी वितरित किया गया। हांलाकि, उनके लिए भी यह कम हैरानी पैदा करने वाली नहीं रहा होगा कि जिस रामबाड़ा को आपदा में तबाह दिखाया गया वहां टूरिज्म डिपार्टमेंट का रेस्ट हाउस कैसे बचा रह गया।

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साहब को पता ही नहीं

एक तरफ यात्रा के नोडल ऑफिसर खुलकर मान रहे हैं कि हां चारधाम एवं हेमकुंड साहिब यात्रा दिग्दर्शिका एवं सूचना निदर्शिनी के पर्यटन मानचित्र में रामबाड़ा का रेस्ट हाउस दिखाना बड़ी भूल है तो, वहीं पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर वीएस चौहान को इस बारे में पता ही नहीं। आई नेक्स्ट ने जब उनसे इस बड़ी खामी पर जानकारी चाही तो उन्होंने कहा ये गलती उनके संज्ञान में नहीं है। इस बाबत पता किया जाएगा। ऐसा तब जब इस टूरिस्ट गाइड बुक का प्रकाशन एवं मुद्रण इसी विभाग द्वारा कराया जाता है।

हां दिग्दर्शिका एवं सूचना निदर्शिनी के पर्यटन मानचित्र में रामबाड़ा का रेस्ट हाउस प्रकाशित होना ब्लंडर मिस्टेक है। इससे टूरिस्ट्स को गलत जानकारी मिलेगी। यात्रा का नोडल ऑफिसर होने के नाते हमें इस पर खेद है।

-वाईके गंगवार, नोडल ऑफिसर, चारधाम यात्रा

इस बारे में मुझे अभी कुछ पता नहीं है। जानकारी लेने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा।

-वीएस चौहान, डिप्टी डायरेक्टर, पर्यटन विभाग

Posted By: Inextlive