दुनिया भर में एक बड़े ब्रांड के रूप में पहचाने जाने वाले ब्रांड नेस्‍ले की मैगी में लेड की मात्रा अधिक होने की बात सामने आई है। जिससे कई राज्‍यों में इस पर बैन भी लग गया है। ऐसे में अब फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया FSSAI पूरी तरह से सक्रिय हो गया। जिससे अब मैगी के बाद कई बड़े ब्रांड में घोर लापरवाही सामने आई है। किसी में चूहा तो किसी में कीड़ा यहां तक दूध में डिटर्जेंट तक पाया गया है। सबसे खास बात तो यह है कि जिन उत्‍पादों में यह चीजें सामने आई हैं वे लोगों के बीच काफी पॉपुलर भी हैं। ऐसे में आइए जानें उन उत्‍पादों के बारे में जिनकी मैगी के बाद पोल खुली है...

मदर डेयरी:
हाल ही में बीते बुधवार को यूपी के आगरा शहर में मदर डेयरी के दूध में डिटर्जेंट मिलने की बात सामने आई है। यूपी एफडीए, आगरा के अधिकारी रामनरेश यादव का कहना है कि टेस्ट के लिए मदर डेयरी मिल्क के सैंपल उठाए गए। जिसमें  “टेस्ट के बाद पता चलता है कि दूध के नमूनों की क्वालिटी हल्की है और दो में से एक नमूने में डिटर्जेंट मिलाया है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि लोगों के बीच में यह पैकेट वाला दूध काफी पॉपुलर है, बावजूद इसके ये बड़ी कंपनिया लोगों के स्वास्थ्य के साथ ऐसे खेल रही हैं।

सेरेलैक:

अभी मैगी का मामला शांत नहीं हुआ था कि नेस्ले के एक और ब्रांड विवादों में सामने आ गया। इस बार नेस्ले के बेबी फूड 'सेरेलैक' में जिंदा गुबरैला (कीड़ा) होने की बात सामने आई।इस बात का खुलासा कोयंबटूर में हुआ। कोयंबटूर के रहने वाले श्रीराम ने खाद्य एवं सुरक्षा विभाग में इस बात की शिकायत की। उनका कहना है कि उन्होंने अपने एक साल के बेटे के लिए पेरूर में एक फार्मेसी से रविवार को सेरेलैक खरीदा था।  जिस पर एक्सपाइरी तिथि 20 मई, 2016 की थी। सोमवार को जब पत्नी प्रीति ने खोला तो उसमें जिसमें उन्होंने जिंदा गुबरैला पाया गया।
केएफसी का चिकन:
हाल ही में सोशल मीडिया में मशहूर रेस्त्रां केएफसी में एक ग्राहक को चिकेन की जगह पर चूहा परोसने की बात सामने आई है। इसकी तस्वीरें भी फेसबुक पर शेयर हुई हैं।कैलीफोर्निया निवासी डेवाराईस डिक्सन ने जब चिकेन का आर्डर दिया तो उसकी टेबल पर पूंछ के साथ तला हुआ चूहा लाकर रख दिया। इस पर उन्होंने केएफसी के मैनेजर से की। मैनेजर ने माफी मांगते उन्हें दुबारा चिकेन प्रीफर कराया।से की तो उन्होंने इसके लिए माफी मांगी। ऐसे में सवाल उठता है कि केएफसी जैसे बड़े रेस्त्रां ग्राहकों को बेस्ट सर्विस देने का दावा ही करते हैं।
ग्लूकॉन डी:
यूपी के बुलंदशहर में मैगी मामले के सामने आने के बाद ही ग्लूकॉन डी में कीड़े मिलने का मामला सामने आया है। जिसमें एक परिवार के बच्चे ग्लूकॉन डी पीकर बीमार हो गए।जिसमें मार्च 2015 को ग्लूकोन डी के बनने का लेवल लगे पैकेट में कीड़े मिले। इसके बाद खाद्य विभाग ने सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेज दिए।हालांकि सिर्फ इतना ही नहीं इसके अलावा ग्लूकोन डी के और कई सैंपल लिए गए हैं।


स्टारबक्स:

हाल ही में मंगलवार को एक वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, स्टारबक्स भारत में अपने कैफे में खाने पीने की चीजों में ऐसी किसी सामग्री का उपयोग नहीं करेगी, जिस पर एफएसएसएआई का हस्ताक्षर न किया गया हो। इतना ही नहीं अभी स्टारबक्स ने अपने भारत में कुछ पेय पदार्थों को वापस कर दिया है, क्योंकि उनमें हस्ताक्षर नहीं थे। कहा जा रहा है कि कुछ कंपनियों के घटिया प्रोडक्ट देने की वजह से यह फैसला अब लिया गया है।
हल्दीराम:
घरेलू प्रोडॅक्ट बनाने मशूहर कंपनी हल्दीराम के भारत में बने करीब 100 उत्पादों पर अमेरिका ने बैन लगया है। यह बैन भारत में नेस्ले के मामले बाद वहां की गई जांच के बाद लगा है। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) खाद्य पदार्थ बनानेवाली मशहूर भारतीय कंपनी हल्दीराम के उत्पाद में कीटनाशक पाया है। इतना ही नहीं हल्दीराम के साथ ब्रिटैनिया, नेस्ले, हेज व एमटीआर के उत्पादों पर भी बैन वहां पर लग गया है।

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Posted By: Shweta Mishra