लेडी लॉयल में झुलस रहे नवजात
आगरा। लेडी लॉयल में उपस्थित वार्ड में दिन-रात मां पंखा कर रही है, उसके बावजूद भी हर बच्चा पसीने से लथपथ है। बोदला निवासी नीलम उपाध्याय का कहना है कि मेरी बहू पिछले छह दिनों से यहां पर एडमिट है। बहू का ऑपरेशन हुआ है। ऐसे में वह न तो खुद कहीं गर्मी में टहल सकती है न ही बच्चे को बाहर कहीं ले जा सकते हैं। दिन से ज्यादा यहां पर गर्मी में नर्क की स्थिति हो जाती है। लेडी लायल के हर वार्ड में इतनी ज्यादा भीड़ है कि पैर रखना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में सफोकेशन होना स्वभाविक है।
वार्ड में बच्चों को भीड़ दे सकती है इंफेक्शनवार्ड के अंदर भीड़ देखकर लगता है जैसे किसी मेला लगा हुआ हो। यहां पर आने वाले तीमारदार यहीं बैठकर खाना-पीना करते है। इससे बच्चे को इंफेक्शन होने के चांस बढ़ जाते हैं। जिन मां का ऑपरेशन हुआ है ऐसे में उस मां के लिए इंफेक्शन होने के चांस और भी ज्यादा रहते हैं। न्यू बोर्न बेबी और मां दोनों को ही आइसोलेशन की जरूरत होती है ऐसे में अगर वह भीड़ वाली स्थिति में रहेगा तो इससे उसको संक्रमण होने का खतरा बढ़ जायेगा। डॉ। जेएन टंडन के अनुसार छह मीटर के दायरे में मां और बच्चे से लोगों को दूर रहना चाहिए।
बे्रस्ट फीडिंग से दूर हो रहे बच्चे डॉ। शैली के अनुसार कई बार भीड़ वाली स्थिति में न्यू मां अपने न्यूबोर्न बेबी को बे्रस्ट फीडिंग करवाने में हिचकिचाती है। ऊपर से इतनी गर्मी में कई बार मां अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए खुद ही बचती रहती है या फिर वह इतना खुदको कवर कर लेती है कि बच्चा गर्मी से खुद ही दूध नहीं पीता है। इस तरह बच्चे के अंदर वीकनेस आ जाती है। बच्चे को होने वाली 80 प्रतिशत बीमारियां बच्चे को मां का दूध न मिलने से होती हैं। ------