हे प्रभु मुझे शक्ति दो कि मैं ज़िन्दा और सही सलामत इस सिनेमा हॉल से बाहर आ सकूं और बाहर आकर इसकी बुराई कर सकूं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा मनुष्यों को इस दर्द से से बचा सकूं जो इस फ़िल्म को देख कर मुझे मेरे सर में हो रहा है। वैसे तो ऐसी फिल्में देख कर 'अक्सर' ही ऐसा होता है पर आज जैसा है वैसा कभी नहीं हुआ था।

कहानी :
रईस आदमी एक भरे शरीर वाली खूबसूरत नर्स को काम पे रखता है और फायदा उठाता है, कुछ बे सिर पैर का सस्पेंस पैदा करने की कोशिश की जाती है और फिर इसमें श्रीसंथ की एक वकील के तौर पे एंट्री होती है जो अपना क्रिकेट कैरियर समाप्त होने के बाद अब फिल्मों की पारी खेलने के लिए उतरे हैं।
समीक्षा:
जिस फीचर फिल्म की कहानी किसी सी ग्रेड सॉफ्टपोर्न फिल्म के प्लाट जैसा हो वो फ़िल्म भी वैसी ही होगी, फ़िल्म बेहद खराब और भद्दी है, और मेरे खयाल से दो चार घंटो में ही लिख कर पूरी कर दी गई हो। कहीं न कहीं इस तरह की वाहियात फिल्में बनने के हम सब दोषी हैं , क्योकी जब बढ़िया फिल्मे आती हैं तो हम उनको देखने जाते नहीं, इसलिये कुछ लोगों को विश्वास हो जाता है कि जो जैसा चल रहा है चलने दो। कहानी से क्या मतलब जब फॉर्मूले से ही फ़िल्म की दाल रोटी चल जानी है, थोड़ी न्यूडिटी, थोड़ा सस्पेंस, लाउड एक्टिंग, लव सांग्स सेक्स सीन, खराब और घटिया कहानी और बहुत सारे फॉरेन लोकेशन और क्या चाहिये एक प्रॉफिटेबल फ़िल्म के लिए।

 


अदाकारी
आर यु कीडिंग मी? एक्टिंग किसने की इस फ़िल्म में। गौतम ने एब्ज़ दिखाए हैं। अभिनव ने अपने एक्टिंग के ऐब दिखाए हैं, श्रीशांत उतने ही लॉस्ट दिखे हैं जैसे जब उनकी गेंद पे छक्का लग गया हो और ज़रीन खान बस ज़रीन खान हैं।
कुल मिलाके अगर मेरे इतने बुराई के बाद भी आप फ़िल्म देखने जा रहे हैं तो फिर ये फ़िल्म आपके ही लिए बनी है। भगवान आपका भला करे।
रेटिंग : 1 स्टार
Yohaann Bhargava
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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari