'विरोध-प्रदर्शन की अनुमति देना राष्ट्रहित में नहीं'
हाईकोर्ट ने खारिज की सीएए के विरोध में विरोध प्रदर्शन की अनुमति की मांग में दाखिल याचिका
विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए समादेश जारी करने से भी इन्कार prayagraj@inext.co.in प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह शांति व्यवस्था कायम रखने में हर कीमत पर सहयोग करे। खुद इसके लिए पहल करे। किसी मुद्दे पर असहमति के चलते विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगना राष्ट्रहित में नहीं है। यह महत्वपूर्ण टिप्पणी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सीएए के विरोध में प्रदर्शन की अनुमति की मांग में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप से इनका करते हुए इसे खारिज कर दिया है। अनुमति न देना संवैधानिक अधिकार का हननयह आदेश जस्टिस भारती सप्रू और पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने फिरोजाबाद के मो। फुरकान की याचिका पर दिया है। याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाह ने प्रतिवाद किया। याची का कहना था कि छात्रों ने सीएए के विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी है। लेकिन, उन्हें अनुमति नहीं दी जा रही है। जो उनके संवैधानिक अधिकार का हनन है। ऐसे में कोर्ट विरोध-प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए समादेश जारी करे। याचिका में राज्य सरकार के पोर्टल सीसीटीएनएस पर 22 जनवरी 2020 को अपलोड आदेश को रद करने की भी मांग की गयी है। रसूलपुर थाना प्रभारी ने याची को नोटिस देकर कहा गया है कि फीरोजाबाद जिले में धारा 144 लगी है। इससे पहले 20 दिसंबर के विरोध प्रदर्शन में हिंसा हुई है। इसलिए लोक शांति प्रभावित करने पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रयागराज में भी चल रहा है आंदोलन बता दें कि सीएए नोटिफिकेशन के बाद देश के तमाम हिस्सों में बवाल चल रहा है। प्रयागराज भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी मंसूर अली पार्क में एक महीने से अधिक समय से महिलाएं धरना दे रही हैं। इस धरना-प्रदर्शन को तमाम राजनैतिक संगठनों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। पुलिस दो बार इसे हटाने का प्रयास भी कर चुकी है। शांति व्यवस्था कायम रखना हर भारतीय का दायित्व है। याचिका दाखिल करने वाले को भी भी यह समझना चाहिए। इस मामले में याची को राहत नहीं दी जा सकती। इलाहाबाद हाईकोर्ट